लखनऊ: हम सभी एक बूंद हैं, जिसमें समुद्र समाया हुआ है और एक दिन यह बूंद समुद्र में समा जाएगी. जब तक हम एक बूंद हैं, हम उस अनंत का अनुभव कर सकते हैं. प्रेम रावत ने समझाया कि यह जीवन बार-बार नहीं मिलेगा. अगर हमारे जीवन में प्रकाश हो जाए, तो हम सब भी उन उपहारों को पाएंगे जो हमें इस जीवन के रूप में मिले हैं. यह बातें सोमवार को सुप्रसिद रमाबाई अम्बेडकर मैदान रैली स्थल में लेखक प्रेम रावत (Writer Prem Rawat ) ने एक कार्यक्रम में कहीं. यहां उनकी नयी पुस्तक 'स्वयं की आवाज़' का लोकार्पण किया गया, जिसे विश्व प्रसिद्ध प्रकाशक हार्पर कॉलिंस ने हिन्दी में प्रकाशित किया है. इस मौके पर संपूर्ण भारत से लोग प्रेम रावत को सुनने के लिए आये हुए थे.
लेखक प्रेम रावत ने 1,14,704 लोगों के बीच अपनी पुस्तक का विमोचन किया इस पुस्तक विमोचन समारोह (Swayam Ki Awaaz Book Release) को गिनीज़ विश्व रिकॉर्ड से नवाज़ा गया. इसमें लेखक प्रेम रावत ने 1,14,704 लोगों के बीच अपनी पुस्तक का विमोचन किया. इस कार्यक्रम में 6,786 लोगों का पुराना रिकॉर्ड (Guinness World Record) टूट गया. सबसे पहले प्रेम रावत ने अपनी पुस्तक के कुछ पन्नों को पढ़कर सुनाया, जिसे पुस्तक-प्रेमियों ने शांति पूर्वक सुना और उसका आनंद लिया. 'स्वयं की आवाज़' प्रेम रावत की अंग्रेजी पुस्तक ‘‘हियर योरसेल्फ” का हिन्दी संस्करण है, जो न्यूयॉर्क टाइम्ज़ की बेस्ट सेलर लिस्ट मे शामिल पुस्तक है.पुस्तक के लोकार्पण के बाद प्रेम रावत ने अपने सम्बोधन में जीवन में व्याप्त शोर को शांत करने के बारे में मार्गदर्शन दिया, ताकि हम अपने अंदर की असली आवाज़ सुन सकें. उन्होंने आगे कहा कि शांति मानवता की सबसे बड़ी उपलब्धि है. प्रत्येक मनुष्य के अंदर शांति का भंडार है, पर क्या आपने अपने जीवन में उसका अनुभव किया है या नहीं ? पिछले छः दशकों से मेरी कोशिश यही रही है कि मैं लोगों को यह प्रेरणा दे सकूं कि वो अपने जीवन में शांति का अनुभव कर सकते हैं. उन्होंने श्रोताओं को जीवन में मात्र विश्वास से हटकर अनुभव से जुड़ने के लिए कहा.दुनिया भर मे शांति दूत के रूप मे प्रसिद्ध प्रेम रावत, शिक्षक, बेस्टसेलिंग लेखक और मानवतावादी शख़्सियत हैं, जो लोगों को अपने हृदय की आवाज़ को सुनने और अपना सर्वश्रेष्ठ जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं. उनके द्वारा लिखी पुस्तकें दुनियाभर में सबसे ज्यादा पढ़ी जाती हैं. अपने संदेश को वो हमारे रोजमर्रा के जीवन से जुडी हुई दिलचस्प किस्से कहानियों और कथाओं के माध्यम आगे रखते हैं जिसे लोगों ने खूब सराहा है.'स्वयं की आवाज़' पुस्तक में प्रेम रावत जी ने दुनिया भर में अपनी यात्राओं के दौरान, धार्मिक हस्तियों, नेताओं से लेकर विश्व की कड़ी सुरक्षा वाली जेलों में बंद लोगों के साथ अपनी बातचीत के बारे में लिखा है. 'स्वयं की आवाज़' पुस्तक, जीवन में भय, क्रोध और चिंता से बचने का उपाय खोजने और अपने कानों के बीच के शोर को दूर करने के बारे में है. आंतरिक शांति, सुकून व संतोष के द्वारा जीवन बदलने वाली यात्रा की शुरुआत हो सकती है.कार्यक्रम की आयोजक भाग्यश्री दासानी द्वारा पूछे जाने पर कि स्वयं की आवाज़ पर ही ध्यान देने पर हम अपने आस पास के लोगों पर कैसे ध्यान दे पाएंगे और कैसे उनके दुखों को मिटा पाएंगे. जिसपर प्रेम रावत ने कहा एक बुझा हुआ दिया दीसरे बुझे हुए दीयों को नहीं जला सकता, उसी प्रकार जब तक हम स्वयं को नहीं जानते तब तक हम दूसरों की परेशानियों से उबरने में उनकी सहायता नहीं कर पाएंगे. आज कल के भागदौड़ की दुनिया में जहां मनुष्य परेशान है, थका हुआ महसूस हुआ करता है. प्रेम रावत बताते है कि हर एक मनुष्य के अंदर शांति का सुंदर संगीत बज रहा है, जिसको हम अपने ही भीतर सुन सकते हैं और शांति को प्राप्त कर सकते हैं.ये भी पढ़ें- IPS अधिकारी हिमांशु कुमार की भी विजलेंस जांच समाप्त, जानिए पूरा मामला