लखनऊः किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के पीडियाट्रिक विभाग में वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक का आयोजन किया जा रहा है. आखिरी दिन पर 'धातृ अमृत कलश' पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस आयोजन में केजीएमयू में खोले गए ह्यूमन मिल्क बैंक के पिछले चार महीनों की उपलब्धियों के बारे में चर्चा की गई. इस अवसर पर केजीएमयू के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट ने कहा कि आज देश में केवल 27 फ़ीसदी माताएं ही अपने बच्चों को पर्याप्त दूध पिला पाती हैं और 45 फ़ीसदी माताएं ही 6 महीने तक दूध पिलाने में सक्षम है जो कि बेहद दुख का विषय है.
ह्यूमन मिल्क बैंक पर क्या कहते हैं प्रोफेसरः
प्रोफेसर भट्ट ने बताया कि केजीएमयू में बनाया गया ह्यूमन मिल्क बैंक पूरे उत्तर प्रदेश में स्तनपान प्रबंधन केंद्रों की स्थापना और उनका मार्गदर्शन कर सकता है. इससे सभी शिशुओं के लिए मानव दूध की पहुंच भी बढ़ सकती है. इस अवसर पर पीडियाट्रिक्स विभाग की प्रोफेसर और कंप्रिहेंसिव लेक्टेशन मैनेजमेंट सेंटर यानी ह्यूमन मिल्क बैंक की नोडल ऑफिसर डॉक्टर माला कुमार ने मिल्क बैंक के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के पहले हुमन मिल्क बैंक की स्थापना 5 मार्च को की गई थी. उसके बाद से अब तक मिल्क बैंक में हमने 40 लीटर दूध इकट्ठा करने में कामयाबी हासिल की है. इसमें से 25 लीटर दूध 7 बच्चों को दिया जा चुका है. इसके अलावा कंगारू मदर केयर के जरिए 150 बच्चों को ह्यूमन मिल्क बैंक का लाभ मिला है.
मानव जाति ही एक सबसे शिक्षित प्रशिक्षित और सभ्य प्रजाति है. इसके बावजूद उन्हें स्तनपान के लिए काउंसलिंग और प्रशिक्षण देना पड़ता है. कार्यक्रम में हमें यह पता चला कि पिछले 4 महीनों में ट्रॉमा सेंटर में स्थापित किये गए ह्यूमन मिल्क बैंक तकरीबन 150 शिशुओं को न केवल मां का दूध उपलब्ध कराया है बल्कि उनके जीवन को भी सशक्त बनाने में मदद की है.
प्रोफेसर एमएलबी भट्ट, कुलपति, केजीएमयू, लखनऊ