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विश्व एचआईवी दिवस विशेष: अब मातृत्व के लिए HIV नहीं रहा अभिशाप

विश्व एड्स दिवस पूरी दुनिया में हर साल एक दिसम्बर को लोगों को एक्वायर्ड इम्युनो डेफिशियेंसी सिंड्रोम (एड्स) के बारे में जागरुक करने के लिये मनाया जाता है. आंकड़ों की बात करें तो महिलाओं से ज्यादा पुरुष इस बीमारी से ग्रसित पाए गए हैं. भारत के राज्यों में एड्स से ग्रसित लोगों की दशा चिंताजनक है. वहीं अब आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों ने मां के एचआईवी संक्रमण से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का बचाव करना मुमकिन कर दिया है. जानें पूरा विवरण...

विश्व एचआईवी दिवस विशेष
विश्व एचआईवी दिवस विशेष
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Published : Dec 1, 2021, 10:26 AM IST

वाराणसी: हर साल एक दिसंबर को विश्वभर के लोग इस बीमारी के साथ जी रहे लोगों का हौसला बढ़ाने और इसका शिकार होकर जान गंवाने वालों की याद में विश्व एड्स दिवस मनाते हैं, इसकी शुरुआत 1998 में की गई. तब से हर साल विश्वभर की स्वास्थ्य एजेंसियां, संयुक्त राष्ट्र, सरकारें और सिविल सोसाइटी मिलकर इस बीमारी से जागरूक करने के लिए कैंपेन चलाते हैं. प्रत्येक विश्व एड्स दिवस विशिष्ट विषय पर आधारित होता है. इस साल की थीम- 'वैश्विक एकजुटता, साझा जिम्मेदारी' है. यह थीम विश्व स्तर पर लोगों को एड्स के प्रति सतर्क करती है.

HIV (ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस), एक ऐसा वायरस है जो शरीर में कोशिकाओं पर अटैक करता है, जो शरीर को इंफेक्शनन से लड़ने में मदद करता है, जिससे व्यक्ति अन्य संक्रमणों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है. सरल शब्दों में कहें तो यह एक ऐसी स्थिति है जो तब आती है जब इम्यून सिस्टीम पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है. वायरस मानव रक्त, यौन तरल पदार्थ और स्तन के दूध में रहता है और जब इसका ट्रीटमेंट नहीं किया जाता है, तो यह एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) की ओर जाता है.

असमानताओं को समाप्त करें, एड्स समाप्त करें इस वर्ष की हैं थीम
वाराणसी के एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रीति अग्रवाल ने बताया कि हर साल एक दिसंबर को एचआईवी, एड्स के प्रति समुदाय में जागरूकता बढ़ाने व मिथ्य व भ्रांतियों को तोड़ने के लिए विश्व एचआईवी, एड्स मनाया जाता है. इस वर्ष की थीम असमानताओं को समाप्त करें, एड्स समाप्त करें निर्धारित की गई है. बताते हैं कि आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों ने मां के एचआईवी संक्रमण से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का बचाव करना मुमकिन कर दिया है.

बशर्ते गर्भवती के बारे में समय रहते यह पता चल जाए कि वह एचआईवी संक्रमित है, इसलिए सुरक्षित मातृत्व का सुख प्राप्त करने के लिए गर्भवती को अपना एचआईवी जांच जरूर करवा लेना चाहिए. गर्भधारण के तीसरे-चौथे महीने के बाद संक्रमण का पता चलने पर बच्चे को खतरा अधिक होता है, इसलिए एचआईवी संक्रमित गर्भवती का जितनी जल्द उपचार शुरू हो जाता है उतना ही उसके बच्चे को खतरा कम होता है.

50 संक्रमित महिलाओं ने दिया स्वस्थ बच्चों को जन्म
डॉ प्रीति अग्रवाल ने बताया कि प. दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय स्थित एआरटी सेंटर उपचार करा रही एचआईवी संक्रमित 50 महिलाओं ने तीन वर्ष के भीतर स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है. एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. प्रीति अग्रवाल बताती हैं कि वर्ष 2019 में 18, 2020 में 12 और 2021 में अक्टूबर माह तक 20 एचआईवी संक्रमित गर्भवती ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है. एआरटी सेंटर में दावा लेने आई एक महिला ने बताया कि चार वर्ष पूर्व हुई शादी के कुछ माह बाद ही पता चला था कि पति के साथ ही वह भी एचआईवी पॉजीटिव है. तब मां बनने के सपने पर ग्रहण लगता नजर आया था, पर एआरटी सेंटर की सलाह व उपचार से आज वह दो वर्ष के बेटी की मां है.

उपचार के साथ ही सलाह भी
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि एआरटी सेंटर में एचआइवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं का विशेष ख्याल रखा जाता है. साथ ही उसे दवा खाने के लिए विशेष रूप से निर्देश दिया जाता है. इससे गर्भस्थ शिशु पर बीमारी का असर नहीं पड़ता है. समय पूरा होने पर एचआइवी संक्रमित गर्भवती को सुरक्षित प्रसव के लिए महिला अस्पताल रेफर किया जाता है.

इसे भी पढ़ें-भारत में एड्स : जागरुकता सबसे अहम बचाव, जानें राज्यों की स्थिति

क्या है एचआईवी वायरस
डॉ. प्रीति अग्रवाल ने बताया कि एचआईवी का वायरस मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, जिसका समय से उपचार न करने पर उसे अनेक बीमारियां घेर लेती हैं. इस स्थिति को एड्स कहते हैं. उपचार से वायरस को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन रोककर रखा जा सकता है. अच्छे खानपान और उपचार से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है. इसलिए मरीज रोग को छिपाए न, समय पर और नियमित उपचार करे तो वह अपनी सामान्य आयु पूरी कर सकता है.


एचआईवी पॉजीटिव होने के कुछ प्रमुख लक्षण

  1. लगातार वजन का घटना
  2. लगातार दस्त होना
  3. लगातार बुखार होना
  4. शरीर पर खाज, खुजली, त्वचा में संक्रमण होना
  5. मुंह में छाले, जीभ पर फफूंदी आना

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वाराणसी: हर साल एक दिसंबर को विश्वभर के लोग इस बीमारी के साथ जी रहे लोगों का हौसला बढ़ाने और इसका शिकार होकर जान गंवाने वालों की याद में विश्व एड्स दिवस मनाते हैं, इसकी शुरुआत 1998 में की गई. तब से हर साल विश्वभर की स्वास्थ्य एजेंसियां, संयुक्त राष्ट्र, सरकारें और सिविल सोसाइटी मिलकर इस बीमारी से जागरूक करने के लिए कैंपेन चलाते हैं. प्रत्येक विश्व एड्स दिवस विशिष्ट विषय पर आधारित होता है. इस साल की थीम- 'वैश्विक एकजुटता, साझा जिम्मेदारी' है. यह थीम विश्व स्तर पर लोगों को एड्स के प्रति सतर्क करती है.

HIV (ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस), एक ऐसा वायरस है जो शरीर में कोशिकाओं पर अटैक करता है, जो शरीर को इंफेक्शनन से लड़ने में मदद करता है, जिससे व्यक्ति अन्य संक्रमणों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है. सरल शब्दों में कहें तो यह एक ऐसी स्थिति है जो तब आती है जब इम्यून सिस्टीम पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है. वायरस मानव रक्त, यौन तरल पदार्थ और स्तन के दूध में रहता है और जब इसका ट्रीटमेंट नहीं किया जाता है, तो यह एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) की ओर जाता है.

असमानताओं को समाप्त करें, एड्स समाप्त करें इस वर्ष की हैं थीम
वाराणसी के एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रीति अग्रवाल ने बताया कि हर साल एक दिसंबर को एचआईवी, एड्स के प्रति समुदाय में जागरूकता बढ़ाने व मिथ्य व भ्रांतियों को तोड़ने के लिए विश्व एचआईवी, एड्स मनाया जाता है. इस वर्ष की थीम असमानताओं को समाप्त करें, एड्स समाप्त करें निर्धारित की गई है. बताते हैं कि आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों ने मां के एचआईवी संक्रमण से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का बचाव करना मुमकिन कर दिया है.

बशर्ते गर्भवती के बारे में समय रहते यह पता चल जाए कि वह एचआईवी संक्रमित है, इसलिए सुरक्षित मातृत्व का सुख प्राप्त करने के लिए गर्भवती को अपना एचआईवी जांच जरूर करवा लेना चाहिए. गर्भधारण के तीसरे-चौथे महीने के बाद संक्रमण का पता चलने पर बच्चे को खतरा अधिक होता है, इसलिए एचआईवी संक्रमित गर्भवती का जितनी जल्द उपचार शुरू हो जाता है उतना ही उसके बच्चे को खतरा कम होता है.

50 संक्रमित महिलाओं ने दिया स्वस्थ बच्चों को जन्म
डॉ प्रीति अग्रवाल ने बताया कि प. दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय स्थित एआरटी सेंटर उपचार करा रही एचआईवी संक्रमित 50 महिलाओं ने तीन वर्ष के भीतर स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है. एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. प्रीति अग्रवाल बताती हैं कि वर्ष 2019 में 18, 2020 में 12 और 2021 में अक्टूबर माह तक 20 एचआईवी संक्रमित गर्भवती ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है. एआरटी सेंटर में दावा लेने आई एक महिला ने बताया कि चार वर्ष पूर्व हुई शादी के कुछ माह बाद ही पता चला था कि पति के साथ ही वह भी एचआईवी पॉजीटिव है. तब मां बनने के सपने पर ग्रहण लगता नजर आया था, पर एआरटी सेंटर की सलाह व उपचार से आज वह दो वर्ष के बेटी की मां है.

उपचार के साथ ही सलाह भी
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि एआरटी सेंटर में एचआइवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं का विशेष ख्याल रखा जाता है. साथ ही उसे दवा खाने के लिए विशेष रूप से निर्देश दिया जाता है. इससे गर्भस्थ शिशु पर बीमारी का असर नहीं पड़ता है. समय पूरा होने पर एचआइवी संक्रमित गर्भवती को सुरक्षित प्रसव के लिए महिला अस्पताल रेफर किया जाता है.

इसे भी पढ़ें-भारत में एड्स : जागरुकता सबसे अहम बचाव, जानें राज्यों की स्थिति

क्या है एचआईवी वायरस
डॉ. प्रीति अग्रवाल ने बताया कि एचआईवी का वायरस मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, जिसका समय से उपचार न करने पर उसे अनेक बीमारियां घेर लेती हैं. इस स्थिति को एड्स कहते हैं. उपचार से वायरस को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन रोककर रखा जा सकता है. अच्छे खानपान और उपचार से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है. इसलिए मरीज रोग को छिपाए न, समय पर और नियमित उपचार करे तो वह अपनी सामान्य आयु पूरी कर सकता है.


एचआईवी पॉजीटिव होने के कुछ प्रमुख लक्षण

  1. लगातार वजन का घटना
  2. लगातार दस्त होना
  3. लगातार बुखार होना
  4. शरीर पर खाज, खुजली, त्वचा में संक्रमण होना
  5. मुंह में छाले, जीभ पर फफूंदी आना

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