लखनऊ : बसपा में बाबू मुनकाद अली का बड़ा कद है. पार्टी में उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां मिलीं. वहीं, आगामी विधानसभा चुनाव में भी पार्टी के भीतर उनका अहम रोल होता दिखाई दे रहा है. हाल में ही लखनऊ में आयोजित रैली में उन्होंने भी भाग लिया था.
इसी बीच मंगलवार को एकाएक उनके सपा का दामन थामने की खबर उड़ी. इससे राजधानी में सियासी तापमान बढ़ता दिखाई दिया. ऐसे में 'ईटीवी भारत' से फोन पर मुनकाद अली ने मेरठ से जुड़कर खुद स्थिति साफ की. दावा किया कि वे मरते दम तक बसपा में ही बने रहेंगे.
मुनकाद अली ने कहा कि बसपा प्रमुख उनकी नेता हैं. वह पार्टी के वफादार सिपाही हैं. बसपा से उन्हें सब कुछ दिया है. बहन जी ने पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया, राज्यसभा भी भेजा. अभी भी कई जिम्मेदारियां हैं.
ऐसे में पार्टी छोड़ने की बात निराधार है. यह चुनाव के वक्त छवि खराब करने का षडयंत्र हैं. इन चर्चाओं पर विराम लगाने के लिए एक पत्र जारी किया है. साथ ही अफवाह फैलाने वालों पर विधिक कार्रवाई करवाने की भी बात कही.
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बता दें कि मुनकाद अली का जन्म 20 मई 1962 को उत्तर प्रदेश के मेरठ के किठौर में हुआ था. उनकी माता का नाम वारिसा बेगम और पिता का नाम शौकत अली है. उन्होंने मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से बीए किया है.
मुनकाद अली को बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबियों में गिना जाता है. अप्रैल 2006 में उन्हें बसपा से राज्यसभा भेजा गया था. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें पूर्वांचल का प्रभारी बनाया गया. वहीं, 2019 में बसपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. इस बीच विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद बसपा प्रमुख ने संगठन में फिर से फेर बदल कर दिया.
इसी बीच बसपा की विधानसभा चुनाव की तैयारी जोरों पर हैं. पार्टी ने हर जिले में एक अल्पसंख्यक को प्रभारी, सह-प्रभारी और बूथ प्रभारी नियुक्त किया है. अल्पसंख्यक प्रभारी, सह-प्रभारी, बूथ प्रभारी, मुस्लिम समुदाय के बीच जाकर बहुजन समाज पार्टी की नीतियों के बारे में बताएंगे. वह यह भी बताएंगे कि किस तरीके से समाजवादी पार्टी और अन्य दलों ने मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया.