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महिला अस्पताल की ओपीडी में कम पहुंच रही महिलाएं!

राजधानी में कोरोना के मरीज दिन-ब-दिन कम हो रहे हैं. ऐसे में अब शहर में लॉकडाउन खुल गया है. सारी चीजें फिर से पटरी पर आने लगी. शहर के कई अस्पतालों में ओपीडी शुरू हो चुकी है तो कुछ अस्पताल में सोमवार से शुरू होगी.

ओपीडी में कम पहुंच रही महिलाएं
ओपीडी में कम पहुंच रही महिलाएं
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Published : Jun 13, 2021, 5:11 AM IST

लखनऊ: राजधानी में कोरोना के मरीज दिन-ब-दिन कम हो रहे हैं. ऐसे में अब शहर में लॉकडाउन खुल गया है. सारी चीजें फिर से पटरी पर आने लगी. शहर के कई अस्पतालों में ओपीडी शुरू हो चुकी है तो कुछ अस्पताल में सोमवार से शुरू होंगी. वहीं शहर के महिला अस्पताल की बात की जाए तो डॉक्टरों के मुताबिक ओपीडी में गर्भवती महिलाएं हर महीने की जांच के लिए बेहद कम आ रही हैं.


कम आ रही ओपीडी में महिलाएं
हजरतगंज स्थित वीरांगना झलकारी बाई अस्पताल की सीएमएस रंजना खरे ने बताया कि पहले 80 या 100 गर्भवती आती थी लेकिन अब सिर्फ 20 से 40 महिलाएं आ रही हैं. इन दिनों जब से ओपीडी चालू हुई है उसके बाद से मरीजों की संख्या में कमी आई है. क्योंकि इस समय पहले की तरह ओपीडी में गर्भवती महिलाएं नहीं आ रही है. जबकि पहले गर्भवती महिलाएं हर महीने चेकअप के लिए गर्भवती ज्यादातर आती थी. जिसकी वजह से ओपीडी में काफी भीड़ रहती थी. लेकिन इस समय हर महीने की जांच के लिए महिलाएं बहुत कम आ रही हैं.

महिलाओं को यह समझना बहुत जरूरी है कि पहले कोरोना वायरस की वजह से ओपीडी बंद कर दी गई थी लेकिन अगर गर्भवती महिलाएं हर महीने की जांच करवाती हैं तो इससे उसके प्रसव के दौरान कम समस्याएं होती है और बच्चा गर्भ में कैसा है. इसकी जानकारी पता चलती रहती हैं. इसलिए गर्भवती महिलाओं को हर महीने डॉक्टर से मिलकर चेकअप कराते रहना चाहिए.

कोरोना का खौफ अभी गया नहीं
क्वीन मेरी अस्पताल, केजीएमयू की महिला महिला रोग विशेषज्ञ डॉ अंजू का कहना है कि क्वीन मैरी अस्पताल में हमेशा से ओपीडी चल रही थी इमरजेंसी सेवाएं चालू थी लेकिन कोरोना के डर के कारण बहुत कम महिलाएं आ रही हैं. कोरोना समय में 50 से 70 के बीच महिलाएं आती हैं. जबकि नॉर्मल दिनों में हमेशा लगभग 150 से ज्यादा गर्भवती महिलाएं प्रसव या जांच के लिए अस्पताल में की ओपीडी में आती थी.


सावधानी जरूरी
डॉ अंजू बताती हैं कि कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं को अगर कोई समस्या नहीं है तो जरूरी नहीं है उनका अस्पताल आना. वह फोन पर भी हमसे बात कर सकती हैं. कोरोना काल में यही हुआ था. बहुत सारी गर्भवती महिलाएं अस्पताल नहीं आना चाहती थी. इसलिए फोन पर ही बात करके जो समस्या परेशानी होती थी हमसे साझा करती थी.

लखनऊ: राजधानी में कोरोना के मरीज दिन-ब-दिन कम हो रहे हैं. ऐसे में अब शहर में लॉकडाउन खुल गया है. सारी चीजें फिर से पटरी पर आने लगी. शहर के कई अस्पतालों में ओपीडी शुरू हो चुकी है तो कुछ अस्पताल में सोमवार से शुरू होंगी. वहीं शहर के महिला अस्पताल की बात की जाए तो डॉक्टरों के मुताबिक ओपीडी में गर्भवती महिलाएं हर महीने की जांच के लिए बेहद कम आ रही हैं.


कम आ रही ओपीडी में महिलाएं
हजरतगंज स्थित वीरांगना झलकारी बाई अस्पताल की सीएमएस रंजना खरे ने बताया कि पहले 80 या 100 गर्भवती आती थी लेकिन अब सिर्फ 20 से 40 महिलाएं आ रही हैं. इन दिनों जब से ओपीडी चालू हुई है उसके बाद से मरीजों की संख्या में कमी आई है. क्योंकि इस समय पहले की तरह ओपीडी में गर्भवती महिलाएं नहीं आ रही है. जबकि पहले गर्भवती महिलाएं हर महीने चेकअप के लिए गर्भवती ज्यादातर आती थी. जिसकी वजह से ओपीडी में काफी भीड़ रहती थी. लेकिन इस समय हर महीने की जांच के लिए महिलाएं बहुत कम आ रही हैं.

महिलाओं को यह समझना बहुत जरूरी है कि पहले कोरोना वायरस की वजह से ओपीडी बंद कर दी गई थी लेकिन अगर गर्भवती महिलाएं हर महीने की जांच करवाती हैं तो इससे उसके प्रसव के दौरान कम समस्याएं होती है और बच्चा गर्भ में कैसा है. इसकी जानकारी पता चलती रहती हैं. इसलिए गर्भवती महिलाओं को हर महीने डॉक्टर से मिलकर चेकअप कराते रहना चाहिए.

कोरोना का खौफ अभी गया नहीं
क्वीन मेरी अस्पताल, केजीएमयू की महिला महिला रोग विशेषज्ञ डॉ अंजू का कहना है कि क्वीन मैरी अस्पताल में हमेशा से ओपीडी चल रही थी इमरजेंसी सेवाएं चालू थी लेकिन कोरोना के डर के कारण बहुत कम महिलाएं आ रही हैं. कोरोना समय में 50 से 70 के बीच महिलाएं आती हैं. जबकि नॉर्मल दिनों में हमेशा लगभग 150 से ज्यादा गर्भवती महिलाएं प्रसव या जांच के लिए अस्पताल में की ओपीडी में आती थी.


सावधानी जरूरी
डॉ अंजू बताती हैं कि कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं को अगर कोई समस्या नहीं है तो जरूरी नहीं है उनका अस्पताल आना. वह फोन पर भी हमसे बात कर सकती हैं. कोरोना काल में यही हुआ था. बहुत सारी गर्भवती महिलाएं अस्पताल नहीं आना चाहती थी. इसलिए फोन पर ही बात करके जो समस्या परेशानी होती थी हमसे साझा करती थी.

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