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लखनऊ: महिला सशक्तिकरण और अपराध नियंत्रण के लिए किया गया जागरूक - महिला अपराध नियंत्रण

राजधानी लखनऊ में रविवार को कई जगहों पर मिशन शक्ति के तहत पुलिस कमिश्नरेट व वामा सारथी ने 'हर बेटी हर महिला का सम्मान' अभियान की शुरुआत की. वहीं एक कार्यक्रम में महिला अपराध नियंत्रण पर आधारित नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया.

डीसीपी ईस्ट चारू निगम ने किया जागरूक
डीसीपी ईस्ट चारू निगम ने किया जागरूक
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Published : Oct 19, 2020, 3:15 AM IST

लखनऊ: राजधानी में रविवार को महिला सशक्तिकरण और महिला अपराध नियंत्रण पर आधारित नुक्कड़ नाटक 'क्योंकि मैं बेटी हूं' का आयोजन किया गया. महिला अपराध नियंत्रण पर आधारित नुक्कड़ नाटक में डीसीपी ईस्ट चारू निगम ने भी कार्यक्रम में पहुंचकर महिलाओं के साथ 'हर बेटी हर महिला का सम्मान' अभियान की शुरुआत की. ये अभियान पत्रकारपुरम से शुरू हुआ फिर महिला पॉवर लाइन चौराहा व फन मॉल में हुआ.

दरअसल, राजधानी लखनऊ में रविवार को कई जगहों पर मिशन शक्ति के तहत पुलिस कमिश्नरेट व वामा सारथी ने 'हर बेटी हर महिला का सम्मान' अभियान की शुरुआत की. वहीं कार्यक्रम में महिला अपराध नियंत्रण पर आधारित नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया. नाटक का निर्देशन डॉ. सीमा मोदी ने किया. सीमा मोदी ने कहा कि इस प्रस्तुति के लिए 15 दिन की वर्कशॉप की. ये अभियान आगे निरंतर चलता रहेगा. गीत के साथ नाटक मंचन शुरू हुआ. इसके पश्चात सभी लड़कियां अपनी समस्याओं को प्रस्तुत करती हैं. तत्पश्चात सभी लड़के एक-एक करके लड़कियों की अपेक्षाकृत अपने आप को बेहतर प्रस्तुत करते हुए लड़कों और लड़कियों के बीच समाज में अंतर प्रस्तुत करते हैं.

नाटक के माध्यम से समाज को संदेश देने के लिए एक दांपत्य जीवन को दर्शाया जाता है. इसमें एक पुरुष प्रधान समाज महिलाओं को किस तरह से कमजोर समझ कर प्रताड़ित करता है और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, इसे स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जाता है. वहीं दूसरा संदेश एक और कहानी के माध्यम से दिया जाता है. अगर पति-पत्नी एक साथ एक-दूसरे का साथ देकर काम करें और इस समाज में महिलाओं को अपने साथ खड़ा करके महिला और पुरुष में भेदभाव न करते हुए अगर समान रूप से समान अवसर प्रदान किया जाए तो हमारे भारतवर्ष का विकास दोगुनी रफ्तार से हो सकता है. गीत के साथ समाज को एक अच्छा संदेश देते हुए नाटक का समापन होता है.

महिलाओं एवं बेटियों की सुरक्षा व सम्मान की शुरुआत घर से ही होनी चाहिए. बेटा-बेटी में कोई भेद नहीं होना चाहिए. ऐसे कार्यक्रम समाज को नई दिशा प्रदान करते हैं.
सुजीत पांडेय, लखनऊ पुलिस कमिश्नर

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना और मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना जैसे प्रयासों के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकार पूरी मजबूती से बेटियों के उत्थान के लिए संकल्पित है. अपने खिलाफ होने वाली हिंसा या अपराध की शिकायत जरूर करें. हमारे पास 1090, 189, 112 जैसे तमाम विकल्प हर समय उपलब्ध हैं.
श्वेता श्रीवास्तव, एसीपी गोमतीनगर

वहीं कोरोना के खिलाफ भी जागरूकता अभियान चलाया गया. यह नाटक 'जाग उठा हर भारतवासी सावधानी से बैर नहीं, कोरोना तेरी खैर नहीं' की कहानी से शुरू होता है. इसमें एक कोरोना के मरीज बने हुए कलाकार को समझाया जाता है कि जब घर का कूड़ा कूड़ेदान में नहीं फेंकते हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते हैं, रोड पर थूक देते हैं या साबुन से अच्छे से हाथ नहीं धोते हैं तो इन लापरवाही के कारण कोरोना व दूसरी महामारी फैलती है. इससे अगर बचना है तो बापू के नियमों का पालन करना ही होगा. उन्होंने कहा था कि यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं रहता है तो स्वस्थ नहीं रह सकता है.

लखनऊ: राजधानी में रविवार को महिला सशक्तिकरण और महिला अपराध नियंत्रण पर आधारित नुक्कड़ नाटक 'क्योंकि मैं बेटी हूं' का आयोजन किया गया. महिला अपराध नियंत्रण पर आधारित नुक्कड़ नाटक में डीसीपी ईस्ट चारू निगम ने भी कार्यक्रम में पहुंचकर महिलाओं के साथ 'हर बेटी हर महिला का सम्मान' अभियान की शुरुआत की. ये अभियान पत्रकारपुरम से शुरू हुआ फिर महिला पॉवर लाइन चौराहा व फन मॉल में हुआ.

दरअसल, राजधानी लखनऊ में रविवार को कई जगहों पर मिशन शक्ति के तहत पुलिस कमिश्नरेट व वामा सारथी ने 'हर बेटी हर महिला का सम्मान' अभियान की शुरुआत की. वहीं कार्यक्रम में महिला अपराध नियंत्रण पर आधारित नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया. नाटक का निर्देशन डॉ. सीमा मोदी ने किया. सीमा मोदी ने कहा कि इस प्रस्तुति के लिए 15 दिन की वर्कशॉप की. ये अभियान आगे निरंतर चलता रहेगा. गीत के साथ नाटक मंचन शुरू हुआ. इसके पश्चात सभी लड़कियां अपनी समस्याओं को प्रस्तुत करती हैं. तत्पश्चात सभी लड़के एक-एक करके लड़कियों की अपेक्षाकृत अपने आप को बेहतर प्रस्तुत करते हुए लड़कों और लड़कियों के बीच समाज में अंतर प्रस्तुत करते हैं.

नाटक के माध्यम से समाज को संदेश देने के लिए एक दांपत्य जीवन को दर्शाया जाता है. इसमें एक पुरुष प्रधान समाज महिलाओं को किस तरह से कमजोर समझ कर प्रताड़ित करता है और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाता है, इसे स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जाता है. वहीं दूसरा संदेश एक और कहानी के माध्यम से दिया जाता है. अगर पति-पत्नी एक साथ एक-दूसरे का साथ देकर काम करें और इस समाज में महिलाओं को अपने साथ खड़ा करके महिला और पुरुष में भेदभाव न करते हुए अगर समान रूप से समान अवसर प्रदान किया जाए तो हमारे भारतवर्ष का विकास दोगुनी रफ्तार से हो सकता है. गीत के साथ समाज को एक अच्छा संदेश देते हुए नाटक का समापन होता है.

महिलाओं एवं बेटियों की सुरक्षा व सम्मान की शुरुआत घर से ही होनी चाहिए. बेटा-बेटी में कोई भेद नहीं होना चाहिए. ऐसे कार्यक्रम समाज को नई दिशा प्रदान करते हैं.
सुजीत पांडेय, लखनऊ पुलिस कमिश्नर

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना और मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना जैसे प्रयासों के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकार पूरी मजबूती से बेटियों के उत्थान के लिए संकल्पित है. अपने खिलाफ होने वाली हिंसा या अपराध की शिकायत जरूर करें. हमारे पास 1090, 189, 112 जैसे तमाम विकल्प हर समय उपलब्ध हैं.
श्वेता श्रीवास्तव, एसीपी गोमतीनगर

वहीं कोरोना के खिलाफ भी जागरूकता अभियान चलाया गया. यह नाटक 'जाग उठा हर भारतवासी सावधानी से बैर नहीं, कोरोना तेरी खैर नहीं' की कहानी से शुरू होता है. इसमें एक कोरोना के मरीज बने हुए कलाकार को समझाया जाता है कि जब घर का कूड़ा कूड़ेदान में नहीं फेंकते हैं, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते हैं, रोड पर थूक देते हैं या साबुन से अच्छे से हाथ नहीं धोते हैं तो इन लापरवाही के कारण कोरोना व दूसरी महामारी फैलती है. इससे अगर बचना है तो बापू के नियमों का पालन करना ही होगा. उन्होंने कहा था कि यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं रहता है तो स्वस्थ नहीं रह सकता है.

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