लखनऊ: कोरोना संक्रमण (corona infection) का खतरा कम होने के बाद महिलाओं में मां बनने की उम्मीद एक बार फिर लौटी है. कोविड संक्रमण के डर से इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (in vitro fertilization आईवीएफ) यानी कृत्रिम गर्भाधान विधि से भी महिलाएं गर्भधारण नहीं कर सकीं. क्योंकि दो साल तक आईवीएफ सेंटर बंद रहें, लिहाजा महिलाएं आईवीएफ की प्रक्रिया से मां नहीं बन सकीं. एक निजी संस्थान के मुताबिक, इस अवधि में आईवीएफ तकनीक से तैयार भ्रूण (embryo) को गर्भधारण करने के बजाय भ्रूण फ्रीज करवा दिए गए थे. कोरोना का खतरा कम होने के बाद वैक्सीनेशन करवा चुकी महिलाएं अब फ्रीज करवाए गए भ्रूण से गर्भधारण कर रही हैं. बहुत सी महिलाओं ने कोरोना काल में जच्चा और बच्चा का ध्यान रखते हुए लैब में बने 100 प्रतिशत भ्रूण फ्रीज करवा दिए थे. अब एक बार फिर वो महिलाएं आईवीएफ सेंटर जा रही हैं और फ्रीज करवाए गए भ्रूण से गर्भ धारण कर रही हैं. डॉक्टर के मुताबिक, टीकाकरण करवा चुकी महिलाओं को कोई खतरा नहीं है.
हजरतगंज स्थित एक निजी क्लीनिक की डॉ. आरके सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण के प्रकोप को देखते हुए डब्ल्यूएचओ (WHO) की ओर से इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फर्टिलिटी (International Federation of Fertility) आइएफएफएस) की गाइड लाइन में भ्रूण फ्रीज करने के लिए कहा गया था. क्योंकि इस दौरान कोरोना वायरस से होने वाले नुकसान का आंकलन नहीं हो पा रहा था. हालांकि, अब स्टडी के बाद पता चल गया है कि कोविड संक्रमण गर्भवस्था पर बुरा असर नहीं डालता है.
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सरकारी अस्पताल में नहीं है आईवीएफ की कोई सुविधा
निजी अस्पतालों को अगर हम छोड़ दें तो सरकारी अस्पताल में आईवीएफ यानी कि वीटो फर्टिलाइजेशन द्वारा गर्भधारण कराने की कोई सुविधा नहीं है. हजरतगंज के डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में संतान सुख क्लीनिक बनाया गया, लेकिन यहां भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं. ऐसे में बहुत सारे गरीब लोग हैं, जो संतान सुख से वंचित हैं. उनके लिए आईवीएफ जैसी महंगा ट्रीटमेंट कराना मुश्किल है. सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. एसके नंदा का कहना है कि संतान सुख क्लीनिक में जल्दी डॉक्टर बैठेंगे. बाकी जिले के अन्य अस्पतालों में आईवीएफ जैसी कोई भी सुविधा नहीं है.
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