लखनऊः राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सोमवार को दिल्ली में आयोजित द्वितीय राष्ट्रीय महिला संसद के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महिला संसद के आयोजन का उद्देश्य महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ाने के साथ समाज में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने का वातावरण बनाने का है.
राष्ट्रपिता भी देते थे महिला अधिकारों को प्राथमिकता
राज्यपाल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी महिला अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते थे. भारतीय राजनीति में गांधी के पर्दापण के साथ महिलाओं के विषय में एक नये नजरिये की शुरुआत हुई. नारी के संबंध में महात्मा गांधी की समन्वित सोच व सम्मानपूर्ण भाव का आधार रहा है. वे महिलाओं को एक ऐसी नैतिक शक्ति के रूप में देखना चाहते थे, जिनके पास अपार नारीवादी साहस हो. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महिला संसद का यह मंच समाज की उन महान महिला विभूतियों को जिन्होंने राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक, खेल, कला, संस्कृति, उद्योग, व्यवसायिक तथा मीडिया आदि क्षेत्रों में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है, को अनुभव साझा करने लिए अवसर प्रदान करता है.
शक्तिशाली महिलाएं खुद कर सकती हैं फैसले
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि महिला सशक्तीकरण का सीधा सा मतलब महिलाओं को सामाजिक हाशिए से हटाकर समाज की मुख्यधारा में लाना, निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना, उनमें पराधीनता और हीन भावना को समाप्त करना है. महिलाएं शक्तिशाली बनती हैं तो वे अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं. महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हों और देश के विकास में अपना योगदान दें.
महिलाओं के लिए पीएम ने उठाये कदम
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में गरीबी, अशिक्षा, स्वच्छता तथा कुपोषण जैसे मुद्दों पर अनेक कदम उठाये हैं. कुपोषण देश के लिए एक समस्या है. इस समस्या के समाधान के लिए ही देश में बड़े स्तर पर आंगनबाड़ी केन्द्रों और मिड-डे-मील कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. प्रधानमंत्री की पहल पर भारत को कुपोषण से मुक्त बनाने के उद्देश्य से महिलाओं और बच्चों के पोषण स्तर को सुधारने पर जोर दिया जा रहा है.