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'लड़कियों को मोबाइल नहीं देना चाहिए' वाले बयान को लेकर विवादों में महिला आयोग की सदस्य

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य मीना कुमारी अपने एक बयान को लेकर विवादों में फंस गई हैं. उनके इस विवादित बयान को लेकर राजधानी की तमाम महिलाओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है.

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Published : Jun 11, 2021, 2:51 AM IST

विवादों में महिला आयोग की सदस्य
विवादों में महिला आयोग की सदस्य

लखनऊ: अलीगढ़ में महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य मीना कुमारी बुधवार को पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में सुनवाई कर रही थीं. इस दौरान उन्होंने लड़कियों पर एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि लड़कियों को मोबाइल नहीं देना चाहिए. मोबाइल की वजह से बेटी बिगड़ जाती है, जिसके बाद देखते ही देखते मीना कुमारी विवादों में फंस गईं. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने अपने दिए हुए बयान को स्पष्ट किया. राजधानी की महिलाओं का कहना है कि महिला आयोग की सदस्य को ऐसा बयान देना शोभा नहीं देता.

महिलाओं को महिला आयोग से उम्मीद

नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्रिंसिपल डॉ सृष्टि श्रीवास्तव ने कहा कि महिला आयोग की सदस्य मीना कुमारी से किसी को ऐसी उम्मीद नहीं है कि वह इस तरह का बयान देंगी. भले अब वह स्पष्टीकरण दे रही हैं. लेकिन लड़कियों पर कोई भी बयान देने से पहले उन्हें सोच समझकर बोलना चाहिए. क्योंकि वह कोई आम महिला नहीं बल्कि राज्य महिला आयोग की सदस्य हैं. महिलाओं को उनसे बेहद उम्मीदें हैं.

लोगों का उठ जाएगा भरोसा

अवध गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्रिंसिपल उपमा चतुर्वेदी का कहना है कि हमें नहीं मालूम उन्होंने यह बयान क्यों दिया और उनके दिमाग में क्या चल रहा था. लेकिन उनका यह बयान विवाद के घेरे में आ गया है. महिलाओं को महिला आयोग पर भरोसा है. यही वजह है कि जब भी कोई केस होता है तो ज्यादा से ज्यादा लोग महिला आयोग के सदस्य या अध्यक्ष से सीधे तौर पर बातचीत करना उचित समझते हैं. ऐसे में अगर उनका कोई विवादित बयान सामने आएगा तो जाहिर सी बात है कि लोगों का महिला आयोग पर से भरोसा उठ जाएगा.

नवयुग कन्या महाविद्यालय की एनसीसी टीचर मेजर डॉ मनमीत कौर सोढ़ी ने कहा कि जमाना बदल गया है. महिलाओं पर इस तरह की टिप्पणी करना महिला आयोग की सदस्य मीना कुमारी पर शोभा नही देता. हर माता-पिता अपनी बच्चियों पर ध्यान देते हैं. नजर रखते हैं.

ऐसा बयान दिया है तो बेशक गलत है

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. ईटीवी भारत के माध्यम से हमें यह जानकारी प्राप्त हुई है. उन्होंने कहा कि सदस्य मीना कुमारी ने इस तरह का बयान क्यों दिया और कब दिया है. इसकी जानकारी नहीं है. लेकिन अगर इस तरह का बयान उन्होंने लड़कियों पर दिया है तो निश्चित तौर पर गलत है.

बयान पर दिया स्पष्टीकरण

राज्य महिला आयोग की सदस्य मीना कुमारी का कहना है कि खबर को तोड़ मरोड़ कर चैनलों पर चलाया जा रहा है. सिर्फ ईटीवी भारत के अलावा किसी भी चैनल की तरफ से बयान की पुष्टि के लिए फोन नहीं आया. उन्होंने बताया कि बीते बुधवार को अलीगढ़ स्थित एक सरकारी अस्पताल में निरीक्षण करने के लिए पहुंची थी. नाबालिक लड़कियों से संबंधित 17 केस बुधवार को दर्ज हुए थे, जिसके बाद पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस पर सुनवाई हो रही थी. सुनवाई के दौरान बेटी के गलत कदम उठाने की वजह से माता-पिता काफी हताश थे, जिसके बाद उन्होंने कहा कि माता पिता को बेटियों को मोबाइल देने के बाद चेक करते रहना चाहिए कि दिन भर बेटी कहां बात कर रही है, किससे बात कर रही है. ये कोई गलत बात नही कही मैंने. बच्चियों को सही गलत समझ नहीं होती है. बाद में माता पिता को जिंदगी भर समाज के ताने सुनने पड़ते हैं.

लखनऊ: अलीगढ़ में महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य मीना कुमारी बुधवार को पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में सुनवाई कर रही थीं. इस दौरान उन्होंने लड़कियों पर एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि लड़कियों को मोबाइल नहीं देना चाहिए. मोबाइल की वजह से बेटी बिगड़ जाती है, जिसके बाद देखते ही देखते मीना कुमारी विवादों में फंस गईं. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने अपने दिए हुए बयान को स्पष्ट किया. राजधानी की महिलाओं का कहना है कि महिला आयोग की सदस्य को ऐसा बयान देना शोभा नहीं देता.

महिलाओं को महिला आयोग से उम्मीद

नवयुग कन्या महाविद्यालय की प्रिंसिपल डॉ सृष्टि श्रीवास्तव ने कहा कि महिला आयोग की सदस्य मीना कुमारी से किसी को ऐसी उम्मीद नहीं है कि वह इस तरह का बयान देंगी. भले अब वह स्पष्टीकरण दे रही हैं. लेकिन लड़कियों पर कोई भी बयान देने से पहले उन्हें सोच समझकर बोलना चाहिए. क्योंकि वह कोई आम महिला नहीं बल्कि राज्य महिला आयोग की सदस्य हैं. महिलाओं को उनसे बेहद उम्मीदें हैं.

लोगों का उठ जाएगा भरोसा

अवध गर्ल्स डिग्री कॉलेज की प्रिंसिपल उपमा चतुर्वेदी का कहना है कि हमें नहीं मालूम उन्होंने यह बयान क्यों दिया और उनके दिमाग में क्या चल रहा था. लेकिन उनका यह बयान विवाद के घेरे में आ गया है. महिलाओं को महिला आयोग पर भरोसा है. यही वजह है कि जब भी कोई केस होता है तो ज्यादा से ज्यादा लोग महिला आयोग के सदस्य या अध्यक्ष से सीधे तौर पर बातचीत करना उचित समझते हैं. ऐसे में अगर उनका कोई विवादित बयान सामने आएगा तो जाहिर सी बात है कि लोगों का महिला आयोग पर से भरोसा उठ जाएगा.

नवयुग कन्या महाविद्यालय की एनसीसी टीचर मेजर डॉ मनमीत कौर सोढ़ी ने कहा कि जमाना बदल गया है. महिलाओं पर इस तरह की टिप्पणी करना महिला आयोग की सदस्य मीना कुमारी पर शोभा नही देता. हर माता-पिता अपनी बच्चियों पर ध्यान देते हैं. नजर रखते हैं.

ऐसा बयान दिया है तो बेशक गलत है

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विमला बाथम का कहना है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. ईटीवी भारत के माध्यम से हमें यह जानकारी प्राप्त हुई है. उन्होंने कहा कि सदस्य मीना कुमारी ने इस तरह का बयान क्यों दिया और कब दिया है. इसकी जानकारी नहीं है. लेकिन अगर इस तरह का बयान उन्होंने लड़कियों पर दिया है तो निश्चित तौर पर गलत है.

बयान पर दिया स्पष्टीकरण

राज्य महिला आयोग की सदस्य मीना कुमारी का कहना है कि खबर को तोड़ मरोड़ कर चैनलों पर चलाया जा रहा है. सिर्फ ईटीवी भारत के अलावा किसी भी चैनल की तरफ से बयान की पुष्टि के लिए फोन नहीं आया. उन्होंने बताया कि बीते बुधवार को अलीगढ़ स्थित एक सरकारी अस्पताल में निरीक्षण करने के लिए पहुंची थी. नाबालिक लड़कियों से संबंधित 17 केस बुधवार को दर्ज हुए थे, जिसके बाद पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस पर सुनवाई हो रही थी. सुनवाई के दौरान बेटी के गलत कदम उठाने की वजह से माता-पिता काफी हताश थे, जिसके बाद उन्होंने कहा कि माता पिता को बेटियों को मोबाइल देने के बाद चेक करते रहना चाहिए कि दिन भर बेटी कहां बात कर रही है, किससे बात कर रही है. ये कोई गलत बात नही कही मैंने. बच्चियों को सही गलत समझ नहीं होती है. बाद में माता पिता को जिंदगी भर समाज के ताने सुनने पड़ते हैं.

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