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योगी मंत्रिमंडल को क्यों पड़ी आईआईएम से प्रबंधन सीखने की जरूरत! - प्रबंधन

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्रियों को आईआईएम में प्रबंधन का गुर सिखाए जाने को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. वहीं इसे लेकर जानकारों का कहना है कि सीएम योगी की यह पहल स्वागत योग्य है. नए मंत्रियों के लिए विकास को जमीनी स्तर तक उतारे जाने के बारे में प्रबंधन की जानकारी होना आवश्यक है.

योगी आदित्यनाथ
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Published : Sep 11, 2019, 7:58 PM IST

लखनऊ: योगी मंत्रिमंडल के IIM लखनऊ में प्रबंधन के गुर सीखने की चर्चाएं तेज हो गई हैं. सत्ता के गलियारे में यह चर्चाएं अब शुरू हो गई हैं कि लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते हुए आईआईएम संस्थानों में जाकर क्लास ली थी. वहीं अब योगी मंत्रिमंडल को आईआईएम में पढ़ने की जरूरत क्यों पड़ गई है. चर्चाएं इस बात को लेकर भी हो रही हैं कि क्या योगी के मंत्री उतना बेहतर काम नहीं कर पा रहे हैं जितना कि उनसे अपेक्षाएं है या सरकार एक हाईप्रोफाइल मैनेजमेंट के तौर पर काम करना चाहती है.

योगी मंत्रिमंडल के प्रबंधन के गुर सीखने पर जानकरों की राय.

सीएम योगी ने प्रदेश में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानों को उनके कार्यालय में जन समस्याओं की सुनवाई करने और मौके पर निस्तारण करने के निर्देश दिए. बावजूद इसके अभी तक सुनवाई की प्रक्रिया ढर्रे पर नहीं आ सकी है. 'एक जनपद एक उत्पाद' योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है. ऐसी तमाम योजनाएं हैं, जिसे वह मूर्त रूप देना चाह रहे हैं. सीएम योगी चाहते हैं कि प्रदेश सरकार की सभी योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए मंत्रियों का प्रबंधन में प्रशिक्षित होना जरूरी है. आईआईएम प्रबंधन के लिए जाना पहचाना संस्थान है, इसलिए सीएम योगी वहां से प्रबंधन के गुर सिखाना चाह रहे है.

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भाजपा प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि आज पूरे वैश्विक धरातल पर तकनीक का विकास हो रहा है. ऐसे में विकास की गति को और तेज करने के लिए, जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि मंत्री भी नई तकनीक और नई विधाओं के बारे में जानकारी रखें. विकास के कार्यक्रम को नियोजित ढंग से चलाने के लिए, जनता को इसका ज्यादा लाभ मिल सके, उसका प्रबंधन हो सके, इन सब चीजों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह बहुत ही सकारात्मक पहल मानी जाएगी.

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वहीं राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी का कहना है कि अगर यह सुविधा सुलभ हो जाए कि आईआईएम के परिसर में जाकर वहां के प्राध्यापकों द्वारा प्रबंधन के कुछ गुर सीखें तो यह अच्छी बात है. उन्होंने कहा कि सीखना भी चाहिए क्योंकि राजनीति में जो नए लोग हैं, विधायक चुनकर आए हैं और अभी सत्ता में हैं. जो नए मंत्री बनाए गए हैं, उसमें लगभग 18 नए चेहरे हैं. पहली बार उन्हें सत्ता की कुर्सी मिली है, तो विभाग कैसे चले. विभागीय बजट का उपयोग कैसे हो, ऐसी तमाम चीजें होती हैं वहां प्रबंधन मुख्य होता है. आईआईएम संस्थान में जाकर प्रबंधन के गुर सीखना अच्छी बात है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह पहल स्वागत योग्य है.

लखनऊ: योगी मंत्रिमंडल के IIM लखनऊ में प्रबंधन के गुर सीखने की चर्चाएं तेज हो गई हैं. सत्ता के गलियारे में यह चर्चाएं अब शुरू हो गई हैं कि लालू प्रसाद यादव ने रेल मंत्री रहते हुए आईआईएम संस्थानों में जाकर क्लास ली थी. वहीं अब योगी मंत्रिमंडल को आईआईएम में पढ़ने की जरूरत क्यों पड़ गई है. चर्चाएं इस बात को लेकर भी हो रही हैं कि क्या योगी के मंत्री उतना बेहतर काम नहीं कर पा रहे हैं जितना कि उनसे अपेक्षाएं है या सरकार एक हाईप्रोफाइल मैनेजमेंट के तौर पर काम करना चाहती है.

योगी मंत्रिमंडल के प्रबंधन के गुर सीखने पर जानकरों की राय.

सीएम योगी ने प्रदेश में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानों को उनके कार्यालय में जन समस्याओं की सुनवाई करने और मौके पर निस्तारण करने के निर्देश दिए. बावजूद इसके अभी तक सुनवाई की प्रक्रिया ढर्रे पर नहीं आ सकी है. 'एक जनपद एक उत्पाद' योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है. ऐसी तमाम योजनाएं हैं, जिसे वह मूर्त रूप देना चाह रहे हैं. सीएम योगी चाहते हैं कि प्रदेश सरकार की सभी योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए मंत्रियों का प्रबंधन में प्रशिक्षित होना जरूरी है. आईआईएम प्रबंधन के लिए जाना पहचाना संस्थान है, इसलिए सीएम योगी वहां से प्रबंधन के गुर सिखाना चाह रहे है.

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भाजपा प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि आज पूरे वैश्विक धरातल पर तकनीक का विकास हो रहा है. ऐसे में विकास की गति को और तेज करने के लिए, जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए यह आवश्यक है कि मंत्री भी नई तकनीक और नई विधाओं के बारे में जानकारी रखें. विकास के कार्यक्रम को नियोजित ढंग से चलाने के लिए, जनता को इसका ज्यादा लाभ मिल सके, उसका प्रबंधन हो सके, इन सब चीजों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह बहुत ही सकारात्मक पहल मानी जाएगी.

इसे भी पढ़ें- पहले की सरकारों ने पशुओं पर नहीं दिया ध्यान: योगी आदित्यनाथ

वहीं राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी का कहना है कि अगर यह सुविधा सुलभ हो जाए कि आईआईएम के परिसर में जाकर वहां के प्राध्यापकों द्वारा प्रबंधन के कुछ गुर सीखें तो यह अच्छी बात है. उन्होंने कहा कि सीखना भी चाहिए क्योंकि राजनीति में जो नए लोग हैं, विधायक चुनकर आए हैं और अभी सत्ता में हैं. जो नए मंत्री बनाए गए हैं, उसमें लगभग 18 नए चेहरे हैं. पहली बार उन्हें सत्ता की कुर्सी मिली है, तो विभाग कैसे चले. विभागीय बजट का उपयोग कैसे हो, ऐसी तमाम चीजें होती हैं वहां प्रबंधन मुख्य होता है. आईआईएम संस्थान में जाकर प्रबंधन के गुर सीखना अच्छी बात है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह पहल स्वागत योग्य है.

Intro:लखनऊ। योगी मंत्रिमंडल के आईआईएम लखनऊ में प्रबंधन के गुर सीखने को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। सत्ता के गलियारे में यह चर्चा आम है कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री रहते हुए आईआईएम संस्थानों में जाकर क्लास ली थी और योगी मंत्रिमंडल को आईआईएम में पढ़ने की जरूरत क्यों पड़ गई है। आखिर क्या वजह है जो योगी अपने मंत्रियों को आईआईएम के गुरुओं से प्रबंधन के गुर सिखाना चाह रहे हैं।क्या योगी के मंत्री उतना बेहतरी से काम नहीं कर पा रहे हैं जितना कि उनकी अपेक्षा है। या फिर उत्तर प्रदेश सरकार एक हाईप्रोफाइल मैनेजमेंट के तौर पर काम करना चाहती है।




Body:सीएम योगी प्रदेश में कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानों को उनके कार्यालय में हर दी एक घंटे जनसमस्याओं की सुनवाई करने, मौके पर निस्तारण करने के निर्देश दिए। बावजूद इसके अभी तक सुनवाई की प्रक्रिया ढर्रे पर नहीं आ सकी है। एक जनपद एक उत्पाद योगी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है। ऐसी तमाम योजनाएं हैं जिसे वह मूर्त रूप देना चाह रहे हैं। सीएम योगी चाहते हैं कि प्रदेश सरकार की सभी योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए मंत्रियों का प्रबंधन में प्रशिक्षित होना जरूरी है। आईआईएम प्रबंधन के लिए जाना पहचाना संस्थान है। इसलिए सीएम योगी वहां से प्रबंधन के गुर सिखाना चाह रहे हैं।

बाईट- भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव का कहना है कि आज पूरे वैश्विक धरातल पर जिस प्रकार से तकनीक का विकास हो रहा है। विकास की गति को और तेज करने के लिए, जनता के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए, यह आवश्यक है कि मंत्री भी नई तकनीक और नई विधाओं के बारे में जानकारी रखें। विकास के कार्यक्रम को नियोजित ढंग से चलाने के लिए, जनता को इसका ज्यादा लाभ मिल सके, उसका प्रबंधन हो सके, इन सब चीजों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह बहुत ही सकारात्मक पहल मानी जाएगी। आईआईएम लखनऊ में प्रबोधन का कार्यक्रम हुआ, स्वागत योग्य है।

बाईट- राजनीतिक विश्लेषक पी एन द्विवेदी का कहना है कि मंत्रिपरिषद के सदस्य ठीक से काम कर रहे हैं अथवा नहीं कर रहे हैं, यह दूसरी बात है। लेकिन अगर यह सुविधा सुलभ हो जाए कि आई आई एम के परिसर में जाकर वहां के प्राध्यापकों द्वारा प्रबंधन के गुर कुछ सीखे तो यह अच्छी बात है। सीखना भी चाहिए क्योंकि राजनीति में जो लोग हैं, विधायक चुनकर आए हैं और अभी सत्ता में हैं। जो नए मंत्री बनाए गए हैं, उसमें लगभग 18 नए चेहरे हैं। पहली बार उन्हें सत्ता की कुर्सी मिली है। तो विभाग कैसे चले, विभागीय बजट का उपयोग कैसे हो, ऐसी तमाम चीजें होती हैं। वहां प्रबंधन मुख्य होता है। तो आईआईएम संस्थान में जाकर प्रबंधन के गुर सीखना अच्छी बात है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल स्वागत योग्य है।


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