लखनऊ: प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को बेहतर करना है. दूसरी ओर यूपी पुलिस में आने वाले दिनों में बड़ा बदलाव होने जा रहा है. 31 जनवरी 2020 को डीजीपी ओपी सिंह का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. डीजीपी ओपी सिंह का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यूपी पुलिस को अपना नया डीजीपी मिलेगा.
डीजीपी पद के लिए केंद्र सरकार को भेजा नाम
प्रदेश की योगी सरकार ने 7 सीनियर आईपीएस अधिकारियों का नाम डीजीपी पद के लिए केंद्र सरकार को भेजा है. डीएस चौहान की वापसी के बाद एक बार फिर नए डीजीपी को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. केंद्र सरकार को भेजी गई आईपीएस अधिकारियों की सूची में डीएस चौहान का नाम नहीं भेजा गया है.
डीएस चौहान 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और 2016 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे. इनका कार्यकाल 2023 तक था, जिसे पूरा होने से पहले ही उन्हें बुला लिया गया है. उत्तर प्रदेश पुलिस में तैनाती के दौरान मूल रूप से मैनपुरी के निवासी डीएस चौहान नोएडा, गाजियाबाद, आगरा, रामपुर, बुलंदशहर और प्रतापगढ़ जिले में पुलिस कप्तान के तौर पर काम कर चुके हैं.
यह अधिकारी भी रेस में
डीजीपी पद की रेस में आने वाले अधिकारियों की बात करें तो इस रेस में कई अधिकारियों के नामों की चर्चा है. डीजीपी ओपी सिंह के रिटायरमेंट के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस में सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हितेश चंद्र अवस्थी हैं. यह वर्तमान में डीजी विजिलेंस के पद पर तैनात है. अवस्थी 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. अवस्थी के बाद 1986 बैच के आईएएस अधिकारी जवाहरलाल त्रिपाठी और सुजान वीर सिंह 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी है. आरपी सिंह के नाम की चर्चाएं भी तेज हैं. डीजी इंटेलिजेंस भावेश कुमार सिंह, डीजी विशेष जांच महेंद्र मोदी, डीजी जेल आनंद कुमार, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस भेजे गए आईएएस अधिकारी जावेद अहमद के नाम की चर्चाएं भी हो रही हैं.
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सीनियर मोस्ट अधिकारी जिनको सरकार डीजीपी पोस्ट के लिए सक्षम समझती है. उनके नामों को यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन (यूपीएससी) को भेजे जाते हैं. यूपीएससी इन नामों में से एक नाम को चयनित करती है. मैं समझता हूं कि इस प्रक्रिया का पालन किया जाएगा और उत्तर प्रदेश में एक सक्षम व ईमानदार अधिकारी की तैनाती की जाएगी.
-एके जैन, पूर्व डीजीपी