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लखनऊ: कारगिल विजय में क्या थी आर्टिलरी की भूमिका, जानिए मेजर आशीष चतुर्वेदी से

कारगिल विजय दिवस के इक्कीस साल पूरे हो चुके हैं. पूरे देश में कारगिल विजय दिवस मनाया जा रहा है. ईटीवी भारत ने मेजर आशीष चतुर्वेदी से बातचीत की.

मेजर आशीष चतुर्वेदी
मेजर आशीष चतुर्वेदी
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Published : Jul 27, 2020, 7:59 AM IST

लखनऊ: आज से 21 साल पहले भारत के शूरवीरों ने कारगिल में पाकिस्तान की सेना के दांत खट्टे कर भारत की विजय पताका फहराई थी. हमारे जवानों ने देश के हर नागरिक का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया था. आज के दिन को हम कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैं. कारगिल युद्ध में हमारी सेना जमीन पर थी और दुश्मन सेना पहाड़ पर, लेकिन हमारे जवानों के हौसले के आगे दुश्मन टिक नहीं पाए.

90 दिन के इस युद्ध में हमारे जवानों ने उन्हें अर्श से फर्श पर ला दिया. पाकिस्तानी सेना हमारे बहादुरों के आगे मिट्टी में मिल गई. सेना के सूरमाओं के शौर्य को देश आज सलाम कर रहा है. कारगिल विजय में जवानों का तो पराक्रम और शौर्य दिखा ही, इसके पीछे अहम भूमिका निभाई आर्टिलरी ने. इस युद्ध में आर्टिलरी की क्या भूमिका रही इस पर मेजर आशीष चतुर्वेदी (रिटा.) ने 'ईटीवी भारत' को आर्टिलरी के इस्तेमाल और इसकी ताकत के बारे में जानकारी दी. सेना की इस विजय में आर्टिलरी ने अपना अहम योगदान दिया.

कारगिल युद्ध के बारे में मेजर आशीष चतुर्वेदी बताते हैं कि कारगिल की लड़ाई अपने आप में बहुत ऐतिहासिक लड़ाई थी. ऐतिहासिक इसलिए थी कि देश में पहली बार हाई एटीट्यूड वॉर फेयर में हम लोग गए थे. बहुत कम दिन चली ये लड़ाई इसलिए भी खास थी, क्योंकि जिन ऊंचाइयों पर लड़ी गई वहां की हाइट्स आठ हजार फीट से लेकर बारह हजार फीट तक थी. इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी होती है, दबाव ज्यादा होता है और ठंड भी ज्यादा होती है. ट्री लाइन खत्म हो जाती हैं, यानी पेड़ वहां पर खत्म से हो जाते हैं. पहाड़ बिल्कुल साफ होते हैं. उन पर केवल पत्थर होते हैं. कहीं पर आड़ नहीं होती है. पहाड़ी पर ऊपर बैठा दुश्मन को ज्यादा एडवांटेज होता है. 1×6 का अनुपात होता है, जो पहाड़ी पर बैठा है और जो उस पर कब्जा करने नीचे से आ रहा है. उसको हम इसी अनुपात में लेकर चलते हैं जो ऊपर बैठा है उसके एक के बराबर 6 हैं. इन हालातों में इंडियन आर्मी ने बहुत मुश्किलों से बहुत शौर्य के साथ बहादुरी के साथ हमारे देश के सैनिकों ने लड़ाई लड़ी और जीती थी.


क्या है आर्टिलरी गन सिस्टम

आर्टिलरी गन सिस्टम कई तरह के होते हैं, जिनमें पहला फील्ड आर्टिलरी गन, दूसरा मोर्टार और तीसरा सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी. फील्ड आर्टिलरी को होवित्जर या फिर टॉड आर्टिलरी गन सिस्टम के नाम से जाने जाता है. इसके पीछे की वजह है कि इस आर्टिलरी गन सिस्टम को अन्य जगह पर ले जाने के लिए टो करना होता है. फील्ड आर्टिलरी एक मोबाइल आर्टिलरी होती है. इसका इस्तेमाल बैटल फील्ड में आर्मी को सपोर्ट देने के लिए किया जाता है. कारगिल में इस आर्टिलरी ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से दुश्मन सेना को धूल चटाने में हमारे रणबांकुरों को सफलता मिली थी.

लखनऊ: आज से 21 साल पहले भारत के शूरवीरों ने कारगिल में पाकिस्तान की सेना के दांत खट्टे कर भारत की विजय पताका फहराई थी. हमारे जवानों ने देश के हर नागरिक का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया था. आज के दिन को हम कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाते हैं. कारगिल युद्ध में हमारी सेना जमीन पर थी और दुश्मन सेना पहाड़ पर, लेकिन हमारे जवानों के हौसले के आगे दुश्मन टिक नहीं पाए.

90 दिन के इस युद्ध में हमारे जवानों ने उन्हें अर्श से फर्श पर ला दिया. पाकिस्तानी सेना हमारे बहादुरों के आगे मिट्टी में मिल गई. सेना के सूरमाओं के शौर्य को देश आज सलाम कर रहा है. कारगिल विजय में जवानों का तो पराक्रम और शौर्य दिखा ही, इसके पीछे अहम भूमिका निभाई आर्टिलरी ने. इस युद्ध में आर्टिलरी की क्या भूमिका रही इस पर मेजर आशीष चतुर्वेदी (रिटा.) ने 'ईटीवी भारत' को आर्टिलरी के इस्तेमाल और इसकी ताकत के बारे में जानकारी दी. सेना की इस विजय में आर्टिलरी ने अपना अहम योगदान दिया.

कारगिल युद्ध के बारे में मेजर आशीष चतुर्वेदी बताते हैं कि कारगिल की लड़ाई अपने आप में बहुत ऐतिहासिक लड़ाई थी. ऐतिहासिक इसलिए थी कि देश में पहली बार हाई एटीट्यूड वॉर फेयर में हम लोग गए थे. बहुत कम दिन चली ये लड़ाई इसलिए भी खास थी, क्योंकि जिन ऊंचाइयों पर लड़ी गई वहां की हाइट्स आठ हजार फीट से लेकर बारह हजार फीट तक थी. इतनी ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी होती है, दबाव ज्यादा होता है और ठंड भी ज्यादा होती है. ट्री लाइन खत्म हो जाती हैं, यानी पेड़ वहां पर खत्म से हो जाते हैं. पहाड़ बिल्कुल साफ होते हैं. उन पर केवल पत्थर होते हैं. कहीं पर आड़ नहीं होती है. पहाड़ी पर ऊपर बैठा दुश्मन को ज्यादा एडवांटेज होता है. 1×6 का अनुपात होता है, जो पहाड़ी पर बैठा है और जो उस पर कब्जा करने नीचे से आ रहा है. उसको हम इसी अनुपात में लेकर चलते हैं जो ऊपर बैठा है उसके एक के बराबर 6 हैं. इन हालातों में इंडियन आर्मी ने बहुत मुश्किलों से बहुत शौर्य के साथ बहादुरी के साथ हमारे देश के सैनिकों ने लड़ाई लड़ी और जीती थी.


क्या है आर्टिलरी गन सिस्टम

आर्टिलरी गन सिस्टम कई तरह के होते हैं, जिनमें पहला फील्ड आर्टिलरी गन, दूसरा मोर्टार और तीसरा सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी. फील्ड आर्टिलरी को होवित्जर या फिर टॉड आर्टिलरी गन सिस्टम के नाम से जाने जाता है. इसके पीछे की वजह है कि इस आर्टिलरी गन सिस्टम को अन्य जगह पर ले जाने के लिए टो करना होता है. फील्ड आर्टिलरी एक मोबाइल आर्टिलरी होती है. इसका इस्तेमाल बैटल फील्ड में आर्मी को सपोर्ट देने के लिए किया जाता है. कारगिल में इस आर्टिलरी ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसकी वजह से दुश्मन सेना को धूल चटाने में हमारे रणबांकुरों को सफलता मिली थी.

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