लखनऊ : प्रदेश विधानमंडल के मानसून सत्र के दूसरे दिन हर घर जल योजना में हो रही अनियमितताओं और समस्याओं के साथ ही, इस योजना के तहत खोदी जा रही सड़कों के लंबे अर्से तक पुनर्निर्माण न होने का मुद्दा विपक्षी विधायकों ने जोर-शोर से उठाया. कुछ सदस्यों ने गिरते भूगर्भ जल पर भी अपनी चिंता जाहिर की है. सदस्यों का कहना था कि जिस तरह हर घर जल पहुंचाने के नाम पर खानापूरी की जा रही है, उससे समस्या का निदान होने की बजाय संकट और बढ़ गया है. अब पेयजल के लिए लगने वाले इंडिया मार्का हैंडपंप भी नहीं लगाए जा रहे हैं. जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या का समाधान होना कठिन है.
कुछ विधायकों ने कहा कि दो किलोमीटर दूर से दो इंच की पाइप लाइन से पानी भला कैसे पहुंचेगा? इस ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया है. गांवों में बिजली की आपूर्ति भी भगवान भरोसे है. ऐसी स्थिति में टंकियों में पानी कैसे भरेगा? सदस्यों ने कहा कि ऐसा लगता है कि बिना कोई योजना बनाए ही सरकार ने काम शुरू करा दिया है. गांवों में जगह-जगह पाइपों से पानी की बर्बादी भी सहज ही देखी जा सकती है, लेकिन इस विषय में भी उदासीनता बरती जा रही है. सैकड़ों गावों में पेयजल लाइन डालने के लिए खोदी गई सड़कें भी महीनों बाद नहीं बन पाई हैं. बरसात के दिनों में इन खुदी हुई सड़कों के कारण लोग दुर्घटनाओं के शिकार भी हो रहे हैं.
विधानसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि प्रदेश में गिरते हुए जल स्तर की समस्या के निदान के लिए भारत सरकार द्वारा प्रदेश के दस जिलों, जिनमें मेरठ, बागपत, चित्रकूट, हमीरपुर, बांदा, झांसी, शामली, मुजफ्फरनगर, ललितपुर और महोबा शामिल हैं, में अटल भूजल योजना लागू की गई है. इसके अंतर्गत विभिन्न कार्यदायी विभागों द्वारा कन्वर्जेन्स के माध्यम से अपनी-अपनी योजनाओं के अधीन वर्षा जल संचयन एवं भूगर्भ जल रिचार्ज के विभिन्न कार्य कराए जाते हैं.इनमें चेकडैम का निर्माण, तालाबों का जीर्णोद्धार, आन-फार्म हार्वेस्टिंग, मेड़बंदी, रूफटॉप रेनवाटर हार्वेस्टिंग आदि संरचनाओं के कार्य सम्मिलित है. अटल भूजल योजना के तहत प्रदेश के अवशेष 65 जिलों को आच्छादित करते हुए यूपी अटल भूजल योजना लागू की गई है. इसके अतिरिक्त प्रदेश के समस्त जनपदों में लघु सिंचाई विभाग द्वारा चेकडैम का निर्माण एवं तालाबों का जीर्णोद्धार कराया जाता है.
जल शक्ति मंत्री ने बताया कि प्रदेश में भूजल संसाधनों की सुरक्षा, संरक्षण, प्रबंधन एवं नियमन किए जाने के लिए ‘उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल (प्रबंधन और विनियमन) अधिनियम-2019 प्रख्यापित है. अधिनियम में निहित प्रावधानों के अंतर्गत समस्त सरकारी/अर्द्ध सरकारी भवनों तथा समस्त सरकारी सहायता प्राप्त भवनों एवं नियमानुसार निजी क्षेत्रों के 300 वर्ग मीटर एवं उससे अधिक के भवनों को आच्छादित करते हुए रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली अनिवार्य रूप से स्थापित किए जाने का प्राविधान है. इसके अतिरिक्त लघु सिंचाई विभाग एवं अन्य विभागों द्वारा भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना का कार्य किया जाता है. विगत वर्ष में प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में विभाग द्वारा विभागीय योजना के अंतर्गत लगभग 2.40 लाख वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना की गई है. इस वित्तीय वर्ष 2023-24 में 50,000 वर्ग मीटर पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली की स्थापना की जानी है.
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