लखनऊ: सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से अयोध्या मामले को लेकर मध्यस्थता के लिए लिखे गए खत पर अब विवाद बढ़ता दिखाई दे रहा है. जमीयत उलमा ने इसका खुलकर विरोध किया तो दूसरी तरफ शिया वक्फ बोर्ड भी सुन्नी वक्फ बोर्ड के इस कदम पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है.
पढ़ें: कुछ बड़बोले लोग राम मंदिर को लेकर दे रहे हैं अनाप-शनाप बयान: पीएम मोदी
शिया वक्फ बोर्ड ने सुन्नी वक्फ बोर्ड पर उठाए सवाल
एक लंबे वक्त से देश में अयोध्या मामला सुर्खियों का सबब बना है, जिसकी सुनवाई रोजाना देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में जारी है. वहीं दोनों पक्षों से सुप्रीम कोर्ट ने 18 अक्टूबर तक दलीलें देने का वक्त तय किया है. इस बीच सुन्नी वक्फ बोर्ड ने एक बार फिर इस मसले को बातचीत के जरिए हल करने की बात कही थी. इसे लेकर जमीयत उलमा और शिया वक्फ बोर्ड समेत मुस्लिम उलमा ने भी सुन्नी वक्फ बोर्ड के इस कदम पर अब सवाल खड़े कर दिए हैं.
शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने सुन्नी वक्फ बोर्ड पर कोर्ट की सुनवाई को प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए जवाबी हमला किया है. वसीम रिजवी का कहना है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड इस मामले में अकेले पार्टी नहीं है बल्कि और भी मुसलमानों की जमाते उसमें पार्टी हैं. जब तक सब तैयार नहीं होती तब तक यह संभव नहीं है कि इस मामले में मध्यस्थता हो.
लोगों को कोर्ट के फैसले का करना चाहिए इंतजार
वहीं दूसरी ओर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास ने इस मामले पर अब मध्यस्थता की बात करना गैर मुनासिब बताया है. सैफ अब्बास ने कहा कि जब कोर्ट ने आधे से ज़्यादा हद तक सुनवाई पूरी कर ली है तो लोगों को कोर्ट के फैसले का इंतज़ार करना चाहिए.