लखनऊ: शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने चांद-सितारे वाले हरे झंडों को 'गैर इस्लामिक' बताया है. उन्होंने कहा कि देश में जो मुसलमान इन झंडों को फहराते हैं वह पाकिस्तान से मोहब्बत करते हैं. इन झंडों पर बैन की मांग के लिए वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.
क्या है वसीम रिजवी की दलील
वसीम रिज़वी ने कहा कि साल 1906 में बांग्लादेश में मुस्लिम लीग ने चांद-तारों वाले हरे झंडे को बनाया था. उसी वक्त से आजादी की लड़ाई में हिन्दू और मुसलमानों के बंटवारे की राजनीति शुरू की गई. साल 1913 में मोहम्मद अली जिन्ना को मुस्लिम लीग का अध्यक्ष बनाया गया. जिन्ना ने मुस्लिम लीग का प्रयोग देश में हिंदू-मुसलमानों के बीच खाई पैदा करने के लिए किया जिसका अंजाम 1947 में भारत-पाक बंटवारे के रूप में देखने को मिला. इसके बावजूद आज हिंदुस्तान का मुसलमान चांद-तारे का हरा झंडा उठाकर घूम रहा है. ऐसे मुसलमान इस्लाम या हिंदुस्तान की मोहब्बत में नहीं बल्कि पाकिस्तान से मोहब्बत का इजहार कर रहे हैं.
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
बता दें कि रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. याचिका में उन्होंने कहा था कि चांद-सितारे वाले झंडे पर बैन लगा देना चाहिए क्योंकि इसका इस्लाम से कोई संबंध नहीं है बल्कि यह पाकिस्तान की मुस्लिम लीग का झंडा है. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए 2 हफ्तों में सरकार से जवाब दाखिल करने को कहा है.