लखनऊः यूपी डीजीपी कार्यालय (UP DGP Office) की ओर से मोहर्रम (Muharram) पर जारी सर्कुलर का शिया धर्मगुरुओं ने सर्कुलर की भाषा पर आपत्ति जताया था. अब मोहर्रम से पहले डीजीपी के पत्र पर मचे बवाल के बीच शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने भी विवादित बयान दिया है. रिजवी ने कहा कि यूपी डीजीपी का गोपनीय पत्र मुल्लाओं के हाथ लगा है. बड़े अफसोस की बात है कि वह इस पर विवाद पैदा कर रहे हैं. डीजीपी की आतंकी उमर और बगदादी से तुलना की जा रही है. इस पर फसाद हो सकता है.
अपने विवादित बयानों से अक्सर सुर्खियों में रहने वाले वसीम रिजवी ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए शिया मौलानाओं पर हमला बोला है. वसीम रिजवी ने कहा कि मोहर्रम के सवा दो महीने मौलवियों की रोजी रोटी चलती है. अगर इमाम हुसैन की शहादत न हुई होती तो मौलवियों के लिए इन सवा दो महीने रोजी रोटी कमाना मुश्किल हो गया होता. वसीम रिजवी ने कहा कि गोपनीय पत्र को वायरल करना प्रदेश कि फिजा को खराब करना है.
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वसीम रिजवी ने कहा कि कोरोना को देखते हुए मोहर्रम से पहले जो गाइडलाइंस जारी की गई है. वह हर शिया को मानना चाहिए और गम के त्योहार को उसी के तहत मनाना चाहिए. वसीम रिजवी ने कहा कि हम अपने त्योहार में बीमारी फैला दें या किसी को तकलीफ पहुंचाए यह भी जायज बात नहीं होगी. वसीम रिजवी ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि किसी को भी मौलानाओं की बातों में नहीं आना चाहिए. क्योंकि यह आपको हुकूमत कि नजरों में बुरा बनाते हैं.