लखनऊ: प्रदेश की राजधानी के चारबाग रेलवे स्टेशन पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के आने का सिलसिला जारी है. हजारों श्रमिक रोजाना ही यहां पहुंच रहे हैं. स्टेशन के अंदर तो सोशल डिस्टेंसिंग साफ तौर पर देखने को मिल रही है, लेकिन जैसे ही परिसर से बाहर श्रमिक पहुंचते हैं, यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती साफ देखी जा सकती हैं.
सरकार लगातार कोरोना से बचाव के लिए लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग की अपील कर रही है. उन्हें जागरूक करने के लिए तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन लोगों पर इसका असर नहीं पड़ रहा है. हजारों की संख्या में श्रमिक रेलवे स्टेशन पर पहुंचते हैं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते हैं. स्टेशन के बाहर लगी लाइने बस में बैठने को बेताब हैं.
हालांकि प्रशासन की तरफ से पहले आधार कार्ड दिखाकर उनका ब्यौरा दर्ज किया जा रहा है, लेकिन लाइन में लोग ऐसे लगे हैं कि उनके बीच से हवा भी पास होना मुश्किल है. ऐसे में सोशल डिस्टेंस की उम्मीद करना तो बेमानी है. कुछ लोग बीच-बीच में आकर इन लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग के प्रति जागरूक करते हैं, लेकिन थोड़ी ही देर में यह सब कुछ हवा हो जाता है.
लाइन में सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाएं, बूढ़े और बच्चे भी लगे हुए हैं, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कोई भी नहीं कर रहा है. ऐसे में सवाल यह है कि जब 2 गज की दूरी ही नहीं है तो अगर कोई भी एक कोरोना पॉजिटिव इनके बीच हुआ तो भला कोरोना फैलने से कौन रोक सकता है.