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आचार संहिता का उल्लंघन: किसी प्रत्याशी ने नहीं दिया आपराधिक ब्यौरे का विज्ञापन - violation of code of cunduct

लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बार में अखबारों और समाचार चैनलों में प्रकाशन कराना था. वहीं अभी तक किसी भी प्रत्याशी ने ऐसा नहीं किया है. यह साफ तौर पर आचार संहिता के उल्लंघन का मामला है.

आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रहे प्रत्याशी.
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Published : Apr 22, 2019, 11:40 PM IST

लखनऊ: लोकसभा चुनाव में इस बार प्रत्याशियों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में समाचार पत्र या टीवी चैनलों में विज्ञापन निकलवाना था. वहीं अब तक किसी भी प्रत्याशी ने ऐसा नहीं किया है. यह दावा चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच ने किया है.

क्या कहता है एडीआर

  • उत्तर प्रदेश में दो चरणों का मतदान हो चुका है, जबकि तीसरे चरण का मतदान 23 अप्रैल को होना है.
  • इस दौरान अभी तक किसी भी प्रत्याशी ने अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में विज्ञापन का प्रकाशन नहीं करवाया है.
  • उत्तर प्रदेश में आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन धड़ल्ले से किया जा रहा है.
  • एडीआर का कहना है कि प्रत्याशियों ने शपथ पत्र में तो इसका जिक्र किया हैस, लेकिन विज्ञापन नहीं निकलवाया है.
    आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रहे प्रत्याशी.

एडीआर की टीम सभी जगह नजर बनाए हुए हैं. अब तक किसी भी प्रत्याशी ने स्थानीय स्तर पर प्रकाशित होने वाले प्रमुख अखबार या समाचार चैनलों में अपने आपराधिक ब्यौरे के बारे में प्रकाशन नहीं करवाया है. यह आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है. आदर्श चुनाव आचार संहिता में इसे साफ तौर पर शामिल किया गया है, ताकि उस लोकसभा क्षेत्र की जनता यह जान सके कि उसके प्रत्याशी पर किस प्रकार के आपराधिक मामले दर्ज हैं, लेकिन इन प्रत्याशियों ने अपने आपराधिक ब्योरे का प्रकाशन अभी तक नहीं कराया है.
- संजय सिंह, एडीआर प्रभारी, उत्तर प्रदेश

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में इसे चुनाव आचार संहिता में शामिल तो किया गया, लेकिन इसे कानूनी रूप से मान्यता नहीं मिली है. ऐसे में अपने आपराधिक ब्योरे के बारे में प्रकाशन नहीं करवाने वाले प्रत्याशियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकेगी. आयोग केवल उनके ऊपर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है. आयोग यदि अभी तक ऐसे लोगों को चिन्हित नहीं कर पा रहा है, तो संसद पहुंचने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई और भी जटिल हो जाएगी.
-सत्येंद्र मिश्र, अधिवक्ता

लोकसभा सामान्य निर्वाचन में प्रत्याशियों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में अखबारों में प्रकाशन करवाना है. यदि वह ऐसा नहीं कर रहे हैं, तो आयोग इसका संज्ञान लेगा. उनके खिलाफ नियमों के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी.
-ब्रम्हदेव राम तिवारी, अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी

लखनऊ: लोकसभा चुनाव में इस बार प्रत्याशियों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में समाचार पत्र या टीवी चैनलों में विज्ञापन निकलवाना था. वहीं अब तक किसी भी प्रत्याशी ने ऐसा नहीं किया है. यह दावा चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच ने किया है.

क्या कहता है एडीआर

  • उत्तर प्रदेश में दो चरणों का मतदान हो चुका है, जबकि तीसरे चरण का मतदान 23 अप्रैल को होना है.
  • इस दौरान अभी तक किसी भी प्रत्याशी ने अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में विज्ञापन का प्रकाशन नहीं करवाया है.
  • उत्तर प्रदेश में आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन धड़ल्ले से किया जा रहा है.
  • एडीआर का कहना है कि प्रत्याशियों ने शपथ पत्र में तो इसका जिक्र किया हैस, लेकिन विज्ञापन नहीं निकलवाया है.
    आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रहे प्रत्याशी.

एडीआर की टीम सभी जगह नजर बनाए हुए हैं. अब तक किसी भी प्रत्याशी ने स्थानीय स्तर पर प्रकाशित होने वाले प्रमुख अखबार या समाचार चैनलों में अपने आपराधिक ब्यौरे के बारे में प्रकाशन नहीं करवाया है. यह आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है. आदर्श चुनाव आचार संहिता में इसे साफ तौर पर शामिल किया गया है, ताकि उस लोकसभा क्षेत्र की जनता यह जान सके कि उसके प्रत्याशी पर किस प्रकार के आपराधिक मामले दर्ज हैं, लेकिन इन प्रत्याशियों ने अपने आपराधिक ब्योरे का प्रकाशन अभी तक नहीं कराया है.
- संजय सिंह, एडीआर प्रभारी, उत्तर प्रदेश

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में इसे चुनाव आचार संहिता में शामिल तो किया गया, लेकिन इसे कानूनी रूप से मान्यता नहीं मिली है. ऐसे में अपने आपराधिक ब्योरे के बारे में प्रकाशन नहीं करवाने वाले प्रत्याशियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकेगी. आयोग केवल उनके ऊपर अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकता है. आयोग यदि अभी तक ऐसे लोगों को चिन्हित नहीं कर पा रहा है, तो संसद पहुंचने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई और भी जटिल हो जाएगी.
-सत्येंद्र मिश्र, अधिवक्ता

लोकसभा सामान्य निर्वाचन में प्रत्याशियों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में अखबारों में प्रकाशन करवाना है. यदि वह ऐसा नहीं कर रहे हैं, तो आयोग इसका संज्ञान लेगा. उनके खिलाफ नियमों के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी.
-ब्रम्हदेव राम तिवारी, अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी

Intro:लखनऊ। लोकसभा चुनाव में इस बार प्रत्याशियों को अपने अपराधिक रिकॉर्ड के बारे में समाचार पत्र या टीवी चैनलों में विज्ञापन निकलवाना था। लेकिन अब तक किसी भी प्रत्याशी ने ऐसा नहीं किया है। यह दावा चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच ने किया है।


Body:उत्तर प्रदेश में दो चरणों का मतदान हो चुका है तीसरे चरण का मतदान 23 अप्रैल को है। इस दौरान अभी तक किसी भी प्रत्याशी ने अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में विज्ञापन का प्रकाशन नहीं करवाया है। उत्तर प्रदेश मैं आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन धड़ल्ले से किया जा रहा है। प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में बात किया जाए तो एडीआर का कहना है कि प्रत्याशियों ने शपथ पत्र में तो इसका जिक्र किया है लेकिन विज्ञापन नहीं निकलवाया है।

बाईट- एडीआर के उत्तर प्रदेश इकाई के प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि एडीआर की टीम सभी जगह नजर बनाए हुए हैं देखने में आया है कि अब तक किसी भी प्रत्याशी ने स्थानीय स्तर पर प्रकाशित होने वाले प्रमुख अखबार या समाचार चैनलों में अपने आपराधिक ब्यौरे के बारे में प्रकाशन नहीं करवाया है। यह आदर्श चुनाव आचार संहिता का साफ-साफ उल्लंघन है। आदर्श चुनाव आचार संहिता में इसे साफ तौर पर शामिल किया गया है। ताकि उस लोकसभा क्षेत्र की जनता यह जान सके कि उसके प्रत्याशी पर किस प्रकार के आपराधिक मामले दर्ज हैं। लेकिन इन प्रत्याशियों ने अपने आपराधिक देवरा के का प्रकाशन अखबारों में नहीं कराया है।

बाईट- अधिवक्ता सत्येंद्र मिश्र का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में इसे चुनाव आचार संहिता में शामिल तो किया गया लेकिन इसे कानूनी रूप से मान्यता नहीं मिली है। इसलिए अपने आपराधिक दौरे के बारे में प्रकाशन नहीं करवाने वाले प्रत्याशियों पर कोई ठोस कार्यवाही नहीं हो सकेगी आयोग केवल उनके ऊपर अनुशासनात्मक कार्यवाही कर सकता है। आयोग यदि अभी तक ऐसे लोगों को चिन्हित नहीं कर पा रहा है तो संसद पहुंचने के बाद उनके खिलाफ कार्यवाही और भी जटिल हो जाएगी।

बाईट- अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ब्रम्हदेव राम तिवारी ने कहा कि लोक सभा सामान्य निर्वाचन में प्रत्याशियों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में अखबारों में प्रकाशन करवाना है लेकिन यदि वे नहीं कर रहे हैं तो आयोग इसका संज्ञान लेगा। उनके खिलाफ नियमों के अनुरूप कार्यवाही की जाएगी।


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