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पूर्व साक्षरता निदेशक संजय सिन्हा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की विजिलेंस ने शुरू की जांच

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Published : Sep 9, 2021, 10:49 PM IST

उत्तर प्रदेश के पूर्व साक्षरता निदेशक संजय सिन्हा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की खुली जांच विजिलेंस ने शुरू कर दी है. इससे पहले विजिलेंस संजय सिन्हा के खिलाफ गुप्त जांच कर रही थी.

संजय सिन्हा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की विजिलेंस ने शुरू की जांच
संजय सिन्हा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की विजिलेंस ने शुरू की जांच

लखनऊ : जीरो टॉलरेंस नीति के तहत सतर्कता अधिष्ठान(Vigilance Establishment) ने भ्रष्टाचार में फंसे पूर्व साक्षरता वैकल्पिक शिक्षा उर्दू व प्राच्य भाषाएं के निदेशक संजय सिन्हा पर शिकंजा कस दिया है. विजिलेंस ने पूर्व निदेशक के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामले में अब खुली जांच शुरू कर दी है. बता दें, कि इस मामले में गोपनीय जांच में साक्ष्य जुटाने के बाद विजिलेंस ने शासन से खुली जांच की सिफारिश की थी.

संजय सिन्हा पर यूपी के बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव पद पर तैनाती के दौरान मनमानी करके नियम के विरुद्ध शिक्षकों के तबादले व मृतक आश्रित भर्ती में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे. संजय सिन्हा के विरुद्ध विजिलेंस जांच की सिफारिश भी की गई थी, जिसके बाद 5 मार्च को उन्हें निलंबित कर दिया था. हालांकि संजय सिन्हा ने अपने निलंबन की कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

हाईकोर्ट के आदेश पर उन्हें बहाल किया गया था. हाईकोर्ट में चुनौती के बाद वह करीब 5 माह बाद बहाल हुए थे. जिसके बाद वह 31 अगस्त को निदेशक साक्षरता के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. विजिलेंस सूत्रों की मानें तो भ्रष्टाचार के गंभीर मामले में पूर्व निदेशक साक्षरता संजय सिन्हा की अब आय से अधिक संपत्तियों की भी जांच की जाएगी. इससे पूर्व निदेशक पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद उत्तर प्रदेश गृह विभाग ने 5 दिसंबर 2019 को तत्कालीन महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद को जांच सौंपी थी.

महानिदेशक ने 29 जनवरी 2020 को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को सौंपी थी. जिसमें संजय सिन्हा प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए थे. उसके बाद जांच विजिलेंस को सौंपी गई थी. संजय सिन्हा करीब 9 वर्षों तक बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव पद पर तैनात रहे. संजय सिन्हा और उनके कार्यालय के स्टाफ की विजिलेंस जांच के बहाने यूपी सरकार बेसिक शिक्षा विभाग में एक और बड़े ‘आपरेशन’ को अंजाम देने जा रही है. प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे फर्जी शिक्षकों का फंडाफोड़ होने के बाद अब तबादलों, मृतक आश्रित कोटे में हुई नियुक्तियों, नियम विरुद्ध प्रोन्नतियों और बर्खास्त शिक्षकों की बहाली का मामला खुलने वाला है. इस बार जांच की कमान सतर्कता अधिष्ठान (Vigilance Establishment) के हाथ में है, इस जांच में कई बड़े नौकरशाह की गर्दन फंसने की आशंका है.

इसे पढ़ें- UP ASSEMBLY ELECTION 2022: प्रियंका गांधी के लखनऊ दौरे को लेकर शीर्ष नेतृत्व ने शुरू की बैठक

लखनऊ : जीरो टॉलरेंस नीति के तहत सतर्कता अधिष्ठान(Vigilance Establishment) ने भ्रष्टाचार में फंसे पूर्व साक्षरता वैकल्पिक शिक्षा उर्दू व प्राच्य भाषाएं के निदेशक संजय सिन्हा पर शिकंजा कस दिया है. विजिलेंस ने पूर्व निदेशक के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामले में अब खुली जांच शुरू कर दी है. बता दें, कि इस मामले में गोपनीय जांच में साक्ष्य जुटाने के बाद विजिलेंस ने शासन से खुली जांच की सिफारिश की थी.

संजय सिन्हा पर यूपी के बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव पद पर तैनाती के दौरान मनमानी करके नियम के विरुद्ध शिक्षकों के तबादले व मृतक आश्रित भर्ती में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे. संजय सिन्हा के विरुद्ध विजिलेंस जांच की सिफारिश भी की गई थी, जिसके बाद 5 मार्च को उन्हें निलंबित कर दिया था. हालांकि संजय सिन्हा ने अपने निलंबन की कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

हाईकोर्ट के आदेश पर उन्हें बहाल किया गया था. हाईकोर्ट में चुनौती के बाद वह करीब 5 माह बाद बहाल हुए थे. जिसके बाद वह 31 अगस्त को निदेशक साक्षरता के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. विजिलेंस सूत्रों की मानें तो भ्रष्टाचार के गंभीर मामले में पूर्व निदेशक साक्षरता संजय सिन्हा की अब आय से अधिक संपत्तियों की भी जांच की जाएगी. इससे पूर्व निदेशक पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद उत्तर प्रदेश गृह विभाग ने 5 दिसंबर 2019 को तत्कालीन महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद को जांच सौंपी थी.

महानिदेशक ने 29 जनवरी 2020 को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को सौंपी थी. जिसमें संजय सिन्हा प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए थे. उसके बाद जांच विजिलेंस को सौंपी गई थी. संजय सिन्हा करीब 9 वर्षों तक बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव पद पर तैनात रहे. संजय सिन्हा और उनके कार्यालय के स्टाफ की विजिलेंस जांच के बहाने यूपी सरकार बेसिक शिक्षा विभाग में एक और बड़े ‘आपरेशन’ को अंजाम देने जा रही है. प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे फर्जी शिक्षकों का फंडाफोड़ होने के बाद अब तबादलों, मृतक आश्रित कोटे में हुई नियुक्तियों, नियम विरुद्ध प्रोन्नतियों और बर्खास्त शिक्षकों की बहाली का मामला खुलने वाला है. इस बार जांच की कमान सतर्कता अधिष्ठान (Vigilance Establishment) के हाथ में है, इस जांच में कई बड़े नौकरशाह की गर्दन फंसने की आशंका है.

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