लखनऊ: प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) उच्च तकनीकी (डिजिटल) सूचना संवाद केंद्र के शिक्षकों के पांच दिवसीय प्रशिक्षण सत्र की शुरुआत की गई है. तकनीकी प्रशिक्षण सत्र कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि पुलिस आयुक्त ध्रुवकांत ठाकुर ने की. ध्रुवकांत ने कहा देश के नौनिहालों को जब तक उच्चतर शिक्षा के साथ-साथ समुचित संस्कार नहीं दिए जाएंगे. तब तक वो तथ्य विचलित, मार्ग विचलित, भ्रमित और गलत काम में जुड़ जाएंगे. इससे समाज में अपराध को बढ़ावा मिलेगा. आज हमें ऐसी संस्कारवान शिक्षा की जरूरत है, जो देश में संस्कारों को पुन: प्रतिष्ठापित कर सके. हमें ज्ञान ही नहीं, संस्कारवान ज्ञान चाहिए, इसके लिए विद्या भारती का प्रयास सराहनीय है.
लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम से नई शिक्षा नीति को मिलेगी मजबूती
कार्यक्रम अध्यक्ष महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने एलएमएस (लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम) की सराहना करते हुए कहा कि विद्या भारती ने एक बड़ी योजना साकार कर दिखाई है, जो भारत सरकार और राज्य सरकार का तंत्र नहीं कर पाया. इसे सिर्फ उच्च तकनीक क्षेत्र में नवाचार के रूप में सैटेलाइट से ऑनलाइन क्लास रूम तक नहीं देखना चाहिए. उन्होंने कहा कि विद्या भारती जिस संकल्पना के साथ प्रारम्भ हुई थी, वह संकल्पना नई शिक्षा नीति 2020 में भी साफ दिखाई दे रही है.
विद्या भारती लर्निंग एप के बारे में दी जानकारी
विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रचार प्रमुख सौरभ मिश्रा ने एलएमएस (लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम) एप के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि विद्या भारती पहले से ही सेटेलाइट के जरिए शिक्षा दे रहा था, लेकिन कोरोना काल ने ऑनलाइन शिक्षा पर सोचने के लिए मजबूर किया. उन्होंने कहा कि पूरे देश में विद्या भारती ही ऐसा संस्थान है जो ऐप के जरिए छात्रों को त्रिस्तरीय शिक्षा मुहैया करा रहा है. इस व्यवस्था को जरिए छात्रों को विषय वस्तु की गहनता से जानकारी हो सकेगी. उन्होंने कहा कि छात्रों में कौशल विकास हो, इसके लिए विद्या भारती उत्तर प्रदेश कौशल विकास विभाग के साथ मिलकर काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि कौशल के माध्यम से हम स्वरोजगार की ओर आगे बढ़ेंगे.
मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के सह संगठन मंत्री संजय ने एक रूसी लेखक द्वारा कही बात का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे सामने लक्ष्य है कि हम बालक को क्या बनाना चाहते हैं और वह बालक किस लक्ष्य को पूरा करना चाहता है. यह हमें स्पष्ट होना चाहिए.