लखनऊ: जब से मशीनों से वाहनों की फिटनेस शुरू हुई है, वाहन स्वामियों की दिक्कतों में इजाफा हो गया है. वाहन मालिकों के वाहन की किस्त नहीं निपट पा रही है. वहीं उनका खर्चा भी नहीं चल पा रहा है. फिटनेस कराने के लिए कई-कई बार आरटीओ कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं, फिर भी फिटनेस टेस्ट में वाहन पास नहीं हो रहे हैं.
वहीं दो से 5 बार तक ड्राइवर और वाहन स्वामी फिटनेस के लिए आते हैं, लेकिन बिना फिटनेस कराए ही लौट जाते हैं. उनका टाइम भी खर्च हो रहा है और पैसा भी. सोमवार को आखिरकार वाहन स्वामियों के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने फिटनेस ग्राउंड पर हंगामा खड़ा कर दिया. वहीं वाहन स्वामियों ने जबरन फिटनेस ग्राउंड ही बंद करा दिया. मौके पर पुलिस को बुलाना पड़ गया, लेकिन फिर भी वाहन स्वामियों ने फिटनेस ग्राउंड पर काम नहीं होने दिया. लिहाजा, सोमवार को वाहनों की फिटनेस भी नहीं हो पाई.
वाहन स्वामियों के गुस्से के आगे सोमवार फिटनेस ग्राउंड पर वाहनों की फिटनेस जांच नहीं हो पाई. बार-बार फिटनेस में फेल हो रहे वाहन स्वामियों ने इसके लिए मशीनों को जिम्मेदार ठहराया. उनका साफ कहना है कि हमारे पास इतने बेहतरीन टेक्निकल लोग नहीं हैं, जो हम मशीनों के अनुसार वाहनों की लाइट लगवाएं. पहले आरआई सभी वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र देता था और वह सब सही होता था, लेकिन अब जरा सी लाइट इधर-उधर होती है, तो फिटनेस ही नहीं मिलती है. बस अब सारा काम छोड़कर आरटीओ कार्यालय में बार-बार फिटनेस लेने के लिए ही आना पड़ रहा है.
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उनका कहना है कि उन्हें हर हाल में लाइट की वजह से नहीं हो पा रही फिटनेस से मुक्ति चाहिए. काफी देर तक सोमवार को आरटीओ कार्यालय के फिटनेस ग्राउंड पर वाहन स्वामियों ने हंगामा किया. मौके पर पुलिस भी पहुंची और समझाने की कोशिश की हालांकि वाहन स्वामी पुलिस के सामने ही अपना दर्द बयां करने लगे और उन्होंने एक भी नहीं सुनी.
शहजाद, बस स्वामी का कहना है कि मेरी बस की लाइट की वजह से तीन-चार बार हमें वापस किया जा रहा है. हमारा कहना है हमारी गाड़ी में डिफेक्ट है तो गाड़ी हटा दी जाए. हमारी गाड़ी में अन्य कोई भी चीज खराब है. हम नई लाइट लगवा रहे हैं नया बल्ब लगवा रहे हैं. हमारे पास कोई टेक्नीशियन नहीं है. हम बाहर अपनी लाइट ठीक कराते हैं और जब यहां आते हैं तो जरा सी भी लाइट अगर ऊंची नीची हो जाती है, तो रिजेक्ट कर दिया जाता है. फिर अगले दिन लाइन में सुबह 8:00 बजे लगते हैं ₹1000 फीस जमा करते हैं. अब हम इस चीज को बर्दाश्त नहीं करेंगे. लाइट आरआई या फिर विभाग का कोई भी अधिकारी चेक कर ले. अब हम लाइट का मामला निपटा कर ही रहेंगे चाहे हमें जेल ही क्यों न जाना पड़ जाए.