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Lucknow RTO News : फिटनेस में वाहन स्वामियों को परेशानी, डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने दिया 72 घंटे का अल्टीमेटम

लखनऊ में ट्रांसपोर्टनगर स्थित इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर इन दिनों वाहनों स्वामियों के लिए मुसीबत बना हुआ है. दो कंपनियों की लड़ाई में वाहन स्वामी वाहनों की फिटनेस के लिए भटक रहे हैं और कंपनियों की मनमानी का शिकार हो रहे हैं.

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Published : Mar 27, 2023, 5:22 PM IST

लखनऊ : ट्रांसपोर्टनगर स्थित इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर पर वाहन स्वामियों को अपने वाहन की फिटनेस कराने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आए दिन फिटनेस सेंटर पर वाहन स्वामी हंगामा करते हैं. जिम्मेदार फर्म पर वसूली का आरोप भी लगाते हैं. वाहन स्वामियों की समस्या को देखते हुए सोमवार को परिवहन विभाग मुख्यालय से तकनीकी अधिकारी आईएनसी सेंटर का इंस्पेक्शन करने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने वाहन की फिटनेस में आ रही तकनीकी दिक्कतों को परखा. तकनीकी अधिकारी निरीक्षण कर ही रहे थे. इसी बीच अचानक डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (लखनऊ जोन) निर्मल प्रसाद निरीक्षण करने पहुंच गए. उन्होंने कंपनी के प्रतिनिधियों से पूछताछ और अल्टीमेटम दिया कि 72 घंटे के अंदर सभी दिक्कतें दूर कर लें, नहीं तो मुकदमा दर्ज कराया जाएगा.

गौरतलब है कि वाहनों के फिटनेस इन दिनों आईएनसी सेंटर पर होने में काफी दिक्कत हो रही है. इसकी वजह है कि जिस कंपनी को वाहनों की फिटनेस का ठेका मिला है उसके पास मेंटेनेंस का ठेका नहीं है और जिसके पास मेंटेनेंस का ठेका है. उसके पास वाहनों की फिटनेस का ठेका नहीं है. इसलिए दोनों कंपनियां आपस में ही भिड़ी हुई हैं. इसका खामियाजा वाहन स्वामियों को भुगतना पड़ रहा है. उनके वाहनों की फिटनेस कभी तकनीकी दिक्कत होने के चलते नहीं हो पा रही है तो कभी नई फर्म के लोगों की तरफ से लापरवाही बरतने के चलते. इससे वाहन स्वामी कई कई दिन अपनी फिटनेस कराने के लिए वाहन लेकर चक्कर काटने को मजबूर हैं.

वाहन स्वामियों का आरोप है कि तब तक वाहनों की फिटनेस में दिक्कतें पैदा की जाती हैं जब तक सुविधा शुल्क न दे दिया जाए. सुविधा शुल्क देने के बाद ही फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. जबकि वाहन स्वामियों को इन आरोपों को फिटनेस का काम कर रही कंपनी के जिम्मेदारों ने पूरी तरह से नकार दिया है. उनका कहना है कि मशीन से जांच होने के बाद जो भी रिपोर्ट आती है उससे हमारा कोई लेना-देना ही नहीं रहता है. लिहाजा जो भी आरोप हैं वह पूरी तरह गलत हैं. दिक्कत इसलिए आ रही है, क्योंकि मेंटेनेंस का काम पहले वाली कंपनी के हाथ है. खराबी आने पर काम ठप हो जाता है. इसलिए वाहनों के फिटनेस होने में देरी होती है. पहले ही परिवहन विभाग के अधिकारियों से अनुरोध किया गया था कि यहां पर पूर्व की कंपनी के किसी इंजीनियर को नियुक्त करा दिया जाए. जिससे इस तरह की समस्या न आए और वाहन स्वामियों की दिक्कत खत्म हो.

वाहन स्वामियों को हो रही दिक्कतों का मामला संज्ञान में आने पर डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (लखनऊ जोन) निर्मल प्रसाद के साथ ही लखनऊ के आरटीओ आरपी द्विवेदी और एआरटीओ (प्रशासन) अखिलेश द्विवेदी भी फिटनेस सेंटर पहुंचे. यहां पर उन्होंने कंपनी के प्रतिनिधियों से पूरे मामले की पड़ताल की. उप परिवहन आयुक्त निर्मल प्रसाद ने बताया कि वाहन स्वामियों को आ रही समस्याओं की शिकायत दूर करने के लिए कंपनी को 72 घंटे का समय दिया गया है. इसके बाद किसी तरह की शिकायत सामने आएगी तो कंपनी पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा. उनके मालिक को भी मुख्यालय तलब किया गया है.

लखनऊ : ट्रांसपोर्टनगर स्थित इंस्पेक्शन एंड सर्टिफिकेशन सेंटर पर वाहन स्वामियों को अपने वाहन की फिटनेस कराने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. आए दिन फिटनेस सेंटर पर वाहन स्वामी हंगामा करते हैं. जिम्मेदार फर्म पर वसूली का आरोप भी लगाते हैं. वाहन स्वामियों की समस्या को देखते हुए सोमवार को परिवहन विभाग मुख्यालय से तकनीकी अधिकारी आईएनसी सेंटर का इंस्पेक्शन करने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने वाहन की फिटनेस में आ रही तकनीकी दिक्कतों को परखा. तकनीकी अधिकारी निरीक्षण कर ही रहे थे. इसी बीच अचानक डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (लखनऊ जोन) निर्मल प्रसाद निरीक्षण करने पहुंच गए. उन्होंने कंपनी के प्रतिनिधियों से पूछताछ और अल्टीमेटम दिया कि 72 घंटे के अंदर सभी दिक्कतें दूर कर लें, नहीं तो मुकदमा दर्ज कराया जाएगा.

गौरतलब है कि वाहनों के फिटनेस इन दिनों आईएनसी सेंटर पर होने में काफी दिक्कत हो रही है. इसकी वजह है कि जिस कंपनी को वाहनों की फिटनेस का ठेका मिला है उसके पास मेंटेनेंस का ठेका नहीं है और जिसके पास मेंटेनेंस का ठेका है. उसके पास वाहनों की फिटनेस का ठेका नहीं है. इसलिए दोनों कंपनियां आपस में ही भिड़ी हुई हैं. इसका खामियाजा वाहन स्वामियों को भुगतना पड़ रहा है. उनके वाहनों की फिटनेस कभी तकनीकी दिक्कत होने के चलते नहीं हो पा रही है तो कभी नई फर्म के लोगों की तरफ से लापरवाही बरतने के चलते. इससे वाहन स्वामी कई कई दिन अपनी फिटनेस कराने के लिए वाहन लेकर चक्कर काटने को मजबूर हैं.

वाहन स्वामियों का आरोप है कि तब तक वाहनों की फिटनेस में दिक्कतें पैदा की जाती हैं जब तक सुविधा शुल्क न दे दिया जाए. सुविधा शुल्क देने के बाद ही फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जाता है. जबकि वाहन स्वामियों को इन आरोपों को फिटनेस का काम कर रही कंपनी के जिम्मेदारों ने पूरी तरह से नकार दिया है. उनका कहना है कि मशीन से जांच होने के बाद जो भी रिपोर्ट आती है उससे हमारा कोई लेना-देना ही नहीं रहता है. लिहाजा जो भी आरोप हैं वह पूरी तरह गलत हैं. दिक्कत इसलिए आ रही है, क्योंकि मेंटेनेंस का काम पहले वाली कंपनी के हाथ है. खराबी आने पर काम ठप हो जाता है. इसलिए वाहनों के फिटनेस होने में देरी होती है. पहले ही परिवहन विभाग के अधिकारियों से अनुरोध किया गया था कि यहां पर पूर्व की कंपनी के किसी इंजीनियर को नियुक्त करा दिया जाए. जिससे इस तरह की समस्या न आए और वाहन स्वामियों की दिक्कत खत्म हो.

वाहन स्वामियों को हो रही दिक्कतों का मामला संज्ञान में आने पर डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (लखनऊ जोन) निर्मल प्रसाद के साथ ही लखनऊ के आरटीओ आरपी द्विवेदी और एआरटीओ (प्रशासन) अखिलेश द्विवेदी भी फिटनेस सेंटर पहुंचे. यहां पर उन्होंने कंपनी के प्रतिनिधियों से पूरे मामले की पड़ताल की. उप परिवहन आयुक्त निर्मल प्रसाद ने बताया कि वाहन स्वामियों को आ रही समस्याओं की शिकायत दूर करने के लिए कंपनी को 72 घंटे का समय दिया गया है. इसके बाद किसी तरह की शिकायत सामने आएगी तो कंपनी पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा. उनके मालिक को भी मुख्यालय तलब किया गया है.

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