ETV Bharat / state

वाहन स्वामियों को मशीनें दे रहीं दर्द, वाहनों की लाइट फ्यूज कर रही फिटनेस

उत्तर प्रदेश की राजधानी में आरटीओ ने एक अक्टूबर से वाहनों की मशीनों से फिटनेस का कार्य शुरू किया है. इस तकनीकी फिटनेस से वाहन स्वामी काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि इस तकनीक से आए दिन वाहनों की लाइट फ्यूज हो रही है. वाहन की फिटनेस के लिए लगातार चक्कर काट रहे हैं.

मशीन की तकनीकी फिटनेस से परेशान वाहन मालिक
author img

By

Published : Oct 13, 2019, 10:16 AM IST

लखनऊ: आरटीओ कार्यालय के फिटनेस ग्राउंड में वाहनों की फिटनेस के लिए लगाई गईं मशीनें वाहन स्वामियों को दर्द दे रही हैं. जब से वाहनों की फिटनेस मशीनों से शुरू हुई है वाहन स्वामियों की परेशानियां बढ़ती ही जा रही है. अपर-डीपर लाइट वाहनों की फिटनेस पर ग्रहण लगा रही हैं. वाहन स्वामियों को फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल करने में बहुत दिक्कत आ रही है. 10 दिन के अंदर 380 वाहनों की जांच हुई और उसमें से 235 वाहन फेल हो गए. वाहन स्वामी फिटनेस के लिए लगातार चक्कर काट रहे हैं.

मशीन की तकनीकी फिटनेस से परेशान वाहन मालिक.
तकनीकी फिटनेस को लेकर वाहन स्वामी परेशान
एक अक्टूबर से आरटीओ कार्यालय के फिटनेस ग्राउंड पर कमर्शियल वाहनों के लिए मैनुअल फिटनेस के बजाय मशीनों से फिटनेस टेस्ट शुरू कर दिया गया है. इसका नतीजा यह हुआ कि जो वाहन मैनुअल टेस्ट में पास होकर सड़क पर दौड़ते रहे वह मशीनों से टेस्ट में फेल हो रहे हैं. फिटनेस में फेल होने वाले वाहनों में सबसे ज्यादा संख्या ऐसे वाहनों की है जिनकी लाइट दिक्कत करती है और कंप्यूटर उन्हें फेल कर देता है.

वाहन स्वामी को फिटनेस प्रमाण पत्र मिलने में हो रही समस्या

फिटनेस ग्राउंड पर मशीन फिटनेस में कमर्शियल वाहन की अपर और डीपर लाइट में जरा सी भी दिक्कत होती है तो कम्प्यूटर इसे एक्सेप्ट करने के बजाय रिजेक्ट कर देता है. इसके बाद फिटनेस प्रमाण पत्र मिलना नामुमकिन हो जाता है. एक बार फिटनेस रिजेक्ट होने पर अगर तकनीकी खामी दूर करा कर वाहन स्वामी उसी दिन आरटीओ कार्यालय ले आता है तो उसी फीस में काम चल जाता है. यदि दूसरे या तीसरे दिन वाहन को लेकर गए तो फिर से छोटे वाहनों की 600 रुपये और बड़े वाहनों की 1000 रुपये फीस जमा करनी होती है.

अधिकतर वाहन हुए फेल
10 दिन के अंदर कुल 380 अलग-अलग कमर्शियल वाहनों की फिटनेस जांची गई. इसमें से सिर्फ 145 वाहन ही फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल करने में सफल हुए. 235 वाहनों को मशीनों ने रिजेक्ट कर दिया. इनमें 50 विक्रम टेम्पो 50 में 30 पास हुए, हल्के मोटरयान में 155 में 70 पास और ट्रक व बस में 105 में 45 पास 60 फेल हो गए.

हमारे समझ में ही नहीं आ रहा कि समस्या क्या है. कभी बताते हैं यह लाइट खराब है कभी वह लाइट खराब. अब कंप्यूटर बताता है कि वाहन की लाइट खराब है, जबकि हम हर बार सही करा कर लाते हैं. फिटनेस नहीं मिल पा रही है आखिर कितनी बार हम रसीद कटाएं.

-शैलेंद्र, वाहन स्वामी

कंपनी जो लाइट देती है वह इन्हें चाहिए नहीं. एक बार यह तो बताएं कि कौन सी कंपनी की लाइट हम लगवाएं. अब हमारे पास मशीन तो है नहीं जो इतने पॉइंट पर चेक कर लें. बहुत समस्या हो रही है.

-विकास, वाहन स्वामी

लखनऊ: आरटीओ कार्यालय के फिटनेस ग्राउंड में वाहनों की फिटनेस के लिए लगाई गईं मशीनें वाहन स्वामियों को दर्द दे रही हैं. जब से वाहनों की फिटनेस मशीनों से शुरू हुई है वाहन स्वामियों की परेशानियां बढ़ती ही जा रही है. अपर-डीपर लाइट वाहनों की फिटनेस पर ग्रहण लगा रही हैं. वाहन स्वामियों को फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल करने में बहुत दिक्कत आ रही है. 10 दिन के अंदर 380 वाहनों की जांच हुई और उसमें से 235 वाहन फेल हो गए. वाहन स्वामी फिटनेस के लिए लगातार चक्कर काट रहे हैं.

मशीन की तकनीकी फिटनेस से परेशान वाहन मालिक.
तकनीकी फिटनेस को लेकर वाहन स्वामी परेशान
एक अक्टूबर से आरटीओ कार्यालय के फिटनेस ग्राउंड पर कमर्शियल वाहनों के लिए मैनुअल फिटनेस के बजाय मशीनों से फिटनेस टेस्ट शुरू कर दिया गया है. इसका नतीजा यह हुआ कि जो वाहन मैनुअल टेस्ट में पास होकर सड़क पर दौड़ते रहे वह मशीनों से टेस्ट में फेल हो रहे हैं. फिटनेस में फेल होने वाले वाहनों में सबसे ज्यादा संख्या ऐसे वाहनों की है जिनकी लाइट दिक्कत करती है और कंप्यूटर उन्हें फेल कर देता है.

वाहन स्वामी को फिटनेस प्रमाण पत्र मिलने में हो रही समस्या

फिटनेस ग्राउंड पर मशीन फिटनेस में कमर्शियल वाहन की अपर और डीपर लाइट में जरा सी भी दिक्कत होती है तो कम्प्यूटर इसे एक्सेप्ट करने के बजाय रिजेक्ट कर देता है. इसके बाद फिटनेस प्रमाण पत्र मिलना नामुमकिन हो जाता है. एक बार फिटनेस रिजेक्ट होने पर अगर तकनीकी खामी दूर करा कर वाहन स्वामी उसी दिन आरटीओ कार्यालय ले आता है तो उसी फीस में काम चल जाता है. यदि दूसरे या तीसरे दिन वाहन को लेकर गए तो फिर से छोटे वाहनों की 600 रुपये और बड़े वाहनों की 1000 रुपये फीस जमा करनी होती है.

अधिकतर वाहन हुए फेल
10 दिन के अंदर कुल 380 अलग-अलग कमर्शियल वाहनों की फिटनेस जांची गई. इसमें से सिर्फ 145 वाहन ही फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल करने में सफल हुए. 235 वाहनों को मशीनों ने रिजेक्ट कर दिया. इनमें 50 विक्रम टेम्पो 50 में 30 पास हुए, हल्के मोटरयान में 155 में 70 पास और ट्रक व बस में 105 में 45 पास 60 फेल हो गए.

हमारे समझ में ही नहीं आ रहा कि समस्या क्या है. कभी बताते हैं यह लाइट खराब है कभी वह लाइट खराब. अब कंप्यूटर बताता है कि वाहन की लाइट खराब है, जबकि हम हर बार सही करा कर लाते हैं. फिटनेस नहीं मिल पा रही है आखिर कितनी बार हम रसीद कटाएं.

-शैलेंद्र, वाहन स्वामी

कंपनी जो लाइट देती है वह इन्हें चाहिए नहीं. एक बार यह तो बताएं कि कौन सी कंपनी की लाइट हम लगवाएं. अब हमारे पास मशीन तो है नहीं जो इतने पॉइंट पर चेक कर लें. बहुत समस्या हो रही है.

-विकास, वाहन स्वामी

Intro:मशीनें दे रहीं वाहन स्वामियों को दर्द, वाहनों की लाइट फ्यूज कर रही फिटनेस

लखनऊ। आरटीओ कार्यालय के फिटनेस ग्राउंड में वाहनों की फिटनेस के लिए लगाई गईं मशीनें वाहन स्वामियों को दर्द दे रही हैं। जब से वाहनों की फिटनेस मशीनों से शुरू हुई है वाहन स्वामियों की मर्ज बढ़ती ही जा रही है। परिवहन विभाग के पास फिलहाल इसका कोई इलाज भी नहीं है।वाहनों की लाइटें फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं मिलने का बड़ा कारण बन रही है। अपर डीपर लाइट वाहनों की फिटनेस पर ग्रहण लगा रही है। वाहन स्वामियों को फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल करने में कितनी दिक्कत आ रही है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 10 दिन के अंदर 380 वाहनों की जांच हुई और उसमें से 235 वाहन फेल हो गए। अब वाहन स्वामी फिटनेस के लिए लगातार चक्कर काट रहे हैं।



Body:1 अक्टूबर से आरटीओ कार्यालय के फिटनेस ग्राउंड पर कमर्शियल वाहनों के लिए मैनुअल फिटनेस के बजाय टेक्निकल यानी मशीनों से फिटनेस टेस्ट शुरू कर दिया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि जो वाहन मैनुअल टेस्ट में पास होकर सड़क पर दौड़ते रहे वह मशीनों से टेस्ट में फेल हो रहे हैं। फिटनेस में फेल होने वाले वाहनों में सबसे ज्यादा संख्या ऐसे वाहनों की है जिनकी लाइट दिक्कत करती है और कंप्यूटर उन्हें फेल कर देता है। फिटनेस ग्राउंड पर कमर्शियल वाहन की अपर और डीपर लाइट में जरा सी भी दिक्कत होती है तो कम्प्यूटर इसे एक्सेप्ट करने के बजाय रिजेक्ट कर देता है इसके बाद फिटनेस प्रमाण पत्र मिलना नामुमकिन हो जाता है, क्योंकि मशीनों पर इंसानों का वश ही नहीं चक रहा है जो एक बार रिजेक्ट होने पर इसमें सुधार कर पाएं। एक बार फिटनेस रिजेक्ट होने पर अगर तकनीकी खामी दूर करा कर वाहन स्वामी उसी दिन आरटीओ कार्यालय ले आता है तो उसी फीस में काम चल जाता है लेकिन दूसरे या तीसरे दिन लाने पर फिर से छोटे वाहनों की ₹600 और बड़े वाहनों की ₹1000 फीस जमा करनी होती है। मशीनों से फिटनेस होने पर लगातार कई कई बार वाहन स्वामियों को फिटनेस रिजेक्ट होने के चलते फीस भरनी पड़ रही है। वाहन स्वामी शैलेंद्र और विकास कहते हैं कि हमारे समझ में ही नहीं आ रहा कि समस्या क्या है। कभी बताते हैं यह लाइट खराब है कभी वह लाइट खराब। अब कंप्यूटर बताता है कि वाह की लाइट खराब है जबकि हम हर बार सही करा कर लाते हैं। फिटनेस नहीं मिल पा रही है आखिर कितनी बार हम रसीद कटाएं। कंपनी जो लाइट देती है वह इन्हें चाहिए नहीं। एक बार यह तो बताएं कि कौन सी कंपनी की लाइट हम लगवाएं। अब हमारे पास मशीन तो है नहीं जो इतने पॉइंट पर चेक कर लें। बहुत समस्या हो रही है।
Conclusion:10 दिन के अंदर कुल 380 अलग-अलग कमर्शियल वाहनों की फिटनेस जांच हुई जिसमें से सिर्फ 145 वाहन ही फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल करने में सफल हुए, जबकि 235 वाहनों को मशीनों ने रिजेक्ट कर दिया। इनमें 50 विक्रम टेम्पो 50 में 30 पास हुए 20 फेल, हल्के मोटरयान में 155 में 70 पास 85 फेल और ट्रक व बस में 105 में 45 पास 60 फेल हो गए।

Akhil pandey ,LUcknow, 9336864096
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.