लखनऊ: आरटीओ कार्यालय के फिटनेस ग्राउंड में वाहनों की फिटनेस के लिए लगाई गईं मशीनें वाहन स्वामियों को दर्द दे रही हैं. जब से वाहनों की फिटनेस मशीनों से शुरू हुई है वाहन स्वामियों की परेशानियां बढ़ती ही जा रही है. अपर-डीपर लाइट वाहनों की फिटनेस पर ग्रहण लगा रही हैं. वाहन स्वामियों को फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल करने में बहुत दिक्कत आ रही है. 10 दिन के अंदर 380 वाहनों की जांच हुई और उसमें से 235 वाहन फेल हो गए. वाहन स्वामी फिटनेस के लिए लगातार चक्कर काट रहे हैं.
वाहन स्वामी को फिटनेस प्रमाण पत्र मिलने में हो रही समस्या
फिटनेस ग्राउंड पर मशीन फिटनेस में कमर्शियल वाहन की अपर और डीपर लाइट में जरा सी भी दिक्कत होती है तो कम्प्यूटर इसे एक्सेप्ट करने के बजाय रिजेक्ट कर देता है. इसके बाद फिटनेस प्रमाण पत्र मिलना नामुमकिन हो जाता है. एक बार फिटनेस रिजेक्ट होने पर अगर तकनीकी खामी दूर करा कर वाहन स्वामी उसी दिन आरटीओ कार्यालय ले आता है तो उसी फीस में काम चल जाता है. यदि दूसरे या तीसरे दिन वाहन को लेकर गए तो फिर से छोटे वाहनों की 600 रुपये और बड़े वाहनों की 1000 रुपये फीस जमा करनी होती है.
अधिकतर वाहन हुए फेल
10 दिन के अंदर कुल 380 अलग-अलग कमर्शियल वाहनों की फिटनेस जांची गई. इसमें से सिर्फ 145 वाहन ही फिटनेस प्रमाण पत्र हासिल करने में सफल हुए. 235 वाहनों को मशीनों ने रिजेक्ट कर दिया. इनमें 50 विक्रम टेम्पो 50 में 30 पास हुए, हल्के मोटरयान में 155 में 70 पास और ट्रक व बस में 105 में 45 पास 60 फेल हो गए.
हमारे समझ में ही नहीं आ रहा कि समस्या क्या है. कभी बताते हैं यह लाइट खराब है कभी वह लाइट खराब. अब कंप्यूटर बताता है कि वाहन की लाइट खराब है, जबकि हम हर बार सही करा कर लाते हैं. फिटनेस नहीं मिल पा रही है आखिर कितनी बार हम रसीद कटाएं.
-शैलेंद्र, वाहन स्वामी
कंपनी जो लाइट देती है वह इन्हें चाहिए नहीं. एक बार यह तो बताएं कि कौन सी कंपनी की लाइट हम लगवाएं. अब हमारे पास मशीन तो है नहीं जो इतने पॉइंट पर चेक कर लें. बहुत समस्या हो रही है.
-विकास, वाहन स्वामी