लखनऊ: प्रदेश में सब्जियों के दाम स्थिर न रहकर उनके दामों में लगतार उतार-चढ़ाव आ रहा है. दामों के बढ़ने और घटने की मुख्य वजह सब्जियों की स्थानीय बाड़ियों से आवक होना है. जब सब्जियों की स्थानीय बाड़ियों से आवक बढ़ती है तो दाम घट जाते हैं और जब आवक कम हो जाती है तो दाम बढ़ने लगते हैं. बात करें अगर तोरई और भिंडी की तो बीते दिसम्बर में महंगे दामों में बिकने के बाद अब थोड़ी राहत मिली है. 50 से 60 रुपये में तोरई, करेला और भिंडी बिक रही है, जो महीने भर पहले 80 से 90 रुपये की बिक रही थी. इन सब्जियों की स्थानीय आवक हुई तो दाम कम हो गए. वहीं, लौकी, गोभी, टमाटर और हरी मटर के दाम कुछ दिन पहले बढ़े हुए थे. जैसे ही इनकी स्थानीय बाड़ियों से आवक हुई, दामों में कमी आ गई.
सब्जियों के दामों में लगातर उतार-चढ़ाव से मंडी आढ़ती, किसान औरआम आदमी परेशान है. जब बाहर से सब्जियां आती हैं तो इनके दाम बढ़ जाते हैं. इसका पहला बड़ा कारण डीजल के दामों में इजाफा देखने को मिल रहा है. डीजल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्ट का खर्चा बढ़ जाता है और बाहर से आने वाली सब्जियों के दाम बढ़ जाते हैं. जब यही सब्जियां लोकल बाड़ियों से मंडी में आती हैं तो दाम कम हो जाते हैं. क्योंकि, स्थानीय बाड़ियों से सब्जी लाने में ज्यादा खर्च नहीं आता और किसान कम मुनाफा कमा कर भी सस्ते दामों पर सब्जियां बेच देते हैं. इस कारण दामों में गिरावट आ जाती है.
मंडी में सब्जियों के थोक भाव
आलू- 6 रुपये किलो, प्याज- 12 रुपये किलो, टमाटर- 12 रुपये किलो, नींबू- 100 रुपये किलो, तोरई- 45 रुपये किलो, लहसुन- 80 रुपये किलो, करेला- 40 रुपये किलो, परवल- 80 रुपये किलो, मटर- 20 रुपये किलो, सेम- 40 रुपये किलो, शिमला मिर्च- 20 रुपये किलो, कद्दू- 10 रुपये किलो, लौकी- 16 रुपये किलो, पालक- 20 रुपये किलो, भिंडी- 60 रुपये किलो, मिर्च- 40 रुपये किलो, गोभी- 10 रुपये पर पीस, गाजर- 10 रुपये किलो.
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