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Vat Savitri Vrat 2021: वट सावित्री पूजन से पहले वट देवता का किया गया पुष्पों से शृंगार

10 जून यानि गुरुवार को वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2021) है. परंपरा के मुताबिक, महिलाएं श्रृंगार के बाद वट या बरगद के वृक्ष की पूजा करती हैं. माना जाता है कि अखंड सुहाग और परिवार की बेहतरी के लिए हर विवाहिता को इसे पूरी श्रृद्धा के साथ करना चाहिए.

वट सावित्री पूजन से पहले वट देवता का किया गया पुष्पों से शृंगार
वट सावित्री पूजन से पहले वट देवता का किया गया पुष्पों से शृंगार
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Published : Jun 10, 2021, 6:35 AM IST

लखनऊ: प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाने के साथ ही वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2021) भी किया जाता है. इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु के लिए वट सावित्री व्रत पूजन करती है. इसी उद्देश्य से गोमती तट स्थित मनकामेश्वर घाट पर लगे वट के पास सफाई की गई.

मनकामेश्वर घाट पर सज गए वट वृक्ष देवता
मनकामेश्वर मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरि ने बताया कि वट वृक्ष देवता का पूजन गुरुवार को किया जाएगा. इससे एक दिन पहले वट वृक्ष देवता की आज्ञा लेने और उस स्थल को जल से साफ करने की परंपरा है. इस कड़ी में 9 जून को आदि गंगा मां गोमती के जल से वृट वृक्ष देवता का अभिषेक किया गया.

सतरंगी फूलों से हुआ शृंगार, आज होगा पूजन
सतरंगी फूलों से वृक्ष देवता का भव्य श्रंगार किया गया. वट वृक्ष का गुरुवार को सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना, फल, मिठाई अर्पित कर विधि-विधान से पूजन किया जाएगा. बरगद के देव वृक्ष की जड़ों में आदि गंगा मां गोमती का जल और गौ माता का दूध चढ़ाया जाएगा. कच्चे सूत में हल्दी लगाकर उसे वट वृक्ष के तने पर कम से कम तीन बार लपेटा जाएगा.

इसे भी पढ़ें-सूर्यग्रहण में वट सावित्री व्रत, सुहागिन क्या करें, क्या न करें?

वृक्षों की पूजा भी सनातन संस्कृति का संदेश है
उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तों पर शिव का वास होता है. उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति विश्व को आज भी यही संदेश देती है कि जीव और वन ही है. इसीलिए विभिन्न हिन्दु धार्मिक अनुष्ठानों में देवी मां तुलसी, पीपल, बरगद, केला, बेल, आम आदि का पूजने की परंपरा है.

लखनऊ: प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाने के साथ ही वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2021) भी किया जाता है. इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु के लिए वट सावित्री व्रत पूजन करती है. इसी उद्देश्य से गोमती तट स्थित मनकामेश्वर घाट पर लगे वट के पास सफाई की गई.

मनकामेश्वर घाट पर सज गए वट वृक्ष देवता
मनकामेश्वर मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरि ने बताया कि वट वृक्ष देवता का पूजन गुरुवार को किया जाएगा. इससे एक दिन पहले वट वृक्ष देवता की आज्ञा लेने और उस स्थल को जल से साफ करने की परंपरा है. इस कड़ी में 9 जून को आदि गंगा मां गोमती के जल से वृट वृक्ष देवता का अभिषेक किया गया.

सतरंगी फूलों से हुआ शृंगार, आज होगा पूजन
सतरंगी फूलों से वृक्ष देवता का भव्य श्रंगार किया गया. वट वृक्ष का गुरुवार को सिंदूर, रोली, फूल, अक्षत, चना, फल, मिठाई अर्पित कर विधि-विधान से पूजन किया जाएगा. बरगद के देव वृक्ष की जड़ों में आदि गंगा मां गोमती का जल और गौ माता का दूध चढ़ाया जाएगा. कच्चे सूत में हल्दी लगाकर उसे वट वृक्ष के तने पर कम से कम तीन बार लपेटा जाएगा.

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वृक्षों की पूजा भी सनातन संस्कृति का संदेश है
उन्होंने बताया कि पौराणिक मान्यता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और पत्तों पर शिव का वास होता है. उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति विश्व को आज भी यही संदेश देती है कि जीव और वन ही है. इसीलिए विभिन्न हिन्दु धार्मिक अनुष्ठानों में देवी मां तुलसी, पीपल, बरगद, केला, बेल, आम आदि का पूजने की परंपरा है.

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