लखनऊ : कुम्भ मेले के आयोजन से पहले उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के बस बेड़े में 5000 नई बसों को जोड़ने का खाका अधिकारियों ने तैयार किया. इसके तहत इस साल 1000 नई बसों को खरीदा जाना था, पर यह तैयारी अभी अधर में लटकी है. मई के अंत तक हजारों की संख्या में अनुबंधित बसों को रोडवेज बस के बेड़े में अनुबंध योजना के अंतर्गत शामिल करना था, लेकिन इस ओर भी कोई ठोस कदम परिवहन निगम की तरफ से उठाया नहीं जा सका है. कमोवेश इलेक्ट्रिक बसों की खरीदारी में भी ऐसी ही लपरवाहियां सामने आ रही हैं. इससे यात्रियों को खासी परेशनी का सामना करना पड़ रहा है. बस स्टेशनों पर बसों के इंतजार में और अलग स्टॉपेज पर भी यात्रियों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारी रोडवेज के बस बेड़े में 12 हजार बसें होने का दावा करते हैं, लेकिन हकीकत ये है कि बसों की संख्या 10 हजार से कुछ ही ज्यादा है. इनमें अनुबंधित बसें भी शामिल हैं. बसों की संख्या काफी कम होने के चलते यात्रियों को हर रोज घंटों बस के लिए इंतजार करना पड़ता है. परिवहन निगम ने नई बसों को जोड़ने का प्लान तो तैयार किया, लेकिन अभी इस योजना को अमलीजामा पहना नहीं जा सका. जो रोडवेज बसें उम्र पूरी कर चुकी हैं वे तेजी से बस बेड़े से बाहर की जा रही हैं, लेकिन नई बसों को फ्लीट से जोड़ने में तेजी नहीं दिखाई जा रही है. यही वजह है कि यात्रियों को सफर के लिए बस के इंतजार में अपना समय बर्बाद करना पड़ रहा है. परिवहन निगम अपनी 1000 बसों की खरीदारी पूरा नहीं कर पाया है. वहीं अनुबंधित बसों के लिए नवीन अनुबंध योजना तो लागू की, लेकिन अनुबंधित बस स्वामी बसों का अनुबंध करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. यही वजह है कि बसों की संख्या लगातार कम होती जा रही है.
आई सिर्फ 600 बसें, नीलाम हो गईं 1600 से ज्यादा : परिवहन निगम के बस बेड़े में इस साल अब तक जोड़ी सिर्फ 600 बसें गई हैं. जबकि नीलामी 1600 से ज्यादा बसों की हो गई है. यानी नीलामी की तुलना में बसों को जोड़ने की कवायद नहीं की जा रही है. सिर्फ कागजों पर नई बसों के आने और भाषाओं में जनता को लुभाने का काम किया जा रहा है. हकीकत यही है कि तेजी से बसों की संख्या घटती जा रही है.
सिटी बसों का हाल भी रोडवेज जैसा : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की तरह ही लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड का भी हाल है. कुल मिलाकर इस समय सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसें सिर्फ 268 ही बची हैं. जबकि दोगुने से ज्यादा बसों की आवश्यकता यात्रियों की संख्या को देखते हुए महसूस की जा रही है. सिटी बस के अधिकारी बताते हैं कि नई इलेक्ट्रिक बसों की खरीदारी की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि कब तक नई इलेक्ट्रिक बसें आएंगी. समस्या यही है कि इलेक्ट्रिक बसें कम होने के चलते यात्रियों को शहर में भी साधनों के अभाव में भटकना पड़ रहा है. वर्तमान में 140 एसी बसें सिटी ट्रांसपोर्ट के बेड़े में शामिल हैं. इनमें जेएनयूआरएम की 100 और टाटा की 40 बसें हैं, जबकि सीएनजी की 128 बसें हैं.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि परिवहन निगम की 600 बसें क्षेत्रों को दी जा चुकी हैं. 400 बसों की बॉडी बनाने का कार्य चल रहा है. इसके अलावा 650 बसों का टेंडर हो चुका है. अनुबंधित बसों की जहां तक बात है तो 1225 का एलओआई हो चुका है और 770 बसें क्षेत्रों में संचालित होना शुरू हो गई हैं. रोडवेज की सभी बसें साधारण हैं जबकि अनुबंधित बसों में साधारण और एसी दोनों तरह की बसें शामिल हैं. 2025 तक कुंभ मेले से पहले 5000 नई बसें रोडवेज बस बड़े से जोड़नी हैं. अब तक 1,626 पुरानी बसें नीलामी के लिए अलग की जा चुकी हैं और भी प्रक्रिया जारी है. वर्तमान में रोडवेज के बस बड़े की बात करें तो लगभग 10,700 का बेड़ा है
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