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यूपीपीसीएल का अनोखा आदेश : बिल चुकाने के लिए स्वीकार नहीं किया जाएगा 'चेक', विरोध के बाद आदेश वापस लेने की तैयारी

बीते 16 सितंबर को उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की ओर से बिल चुकाने के लिए चेक स्वीकार न करने का आदेश जारी किया गया था. जिसके बाद मंगलवार को उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने नियामक आयोग में अवमानना याचिका दाखिल करते हुए तत्काल इस आदेश को वापस लेने की मांग की है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 20, 2023, 10:33 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लगातार विद्युत वितरण संहिता का उल्लंघन कर रहा है. चाहे उपभोक्ताओं को बिना नोटिस दिए ही उनका लोड बढ़ाने का मामला हो या फिर अब एक नवंबर से चेक के जरिए बिजली बिल का भुगतान न लेना हो, इस तरह के कदम उठाकर विद्युत वितरण संहिता के नियमों का उल्लंघन हो रहा है. अब इसकी शिकायत विद्युत नियामक आयोग में हुई है. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग में अवमानना याचिका दाखिल करते हुए तत्काल पावर कॉरपोरेशन से इस आदेश को वापस लेने की मांग की है. आयोग में याचिका दायर करने के बाद उन्होंने पावर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक से मुलाकात कर इस पर आपत्ति जताई. इसके बाद अब एमडी ने आश्वासन दिया है कि चेक से भुगतान न लेने संबंधी जो भी निर्देश दिया गया है उसे वापस लिया जाएगा.

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा




उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की तरफ से दो दिन पहले निर्देश जारी किया गया कि एक नवंबर से चेक के माध्यम से बिजली बिल का भुगतान नहीं लिया जाएगा. परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग में विद्युत वितरण संहिता का उल्लंघन किए जाने के मामले में एक अवमानना संबंधी आपत्ति दाखिल कर दी. पावर कॉरपोरेशन की तरफ से जारी आदेश को बिना देरी के समाप्त कराए जाने के लिए आयोग से हस्तक्षेप करने की मांग उठाई. यह भी मांग की है कि आयोग जो एक संवैधानिक संस्था है वह बिजली कंपनियों को निर्देश जारी करे कि भविष्य में इस प्रकार की कोई पुनरावृत्ति नहीं होगी, क्योंकि यह एक गंभीर मामला है. इसके पहले भी बिना नोटिस के उपभोक्ताओं के भार बढ़ाने का मामला भी आया था, जिससे ऐसा लग रहा है कि विद्युत वितरण संहिता का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है.

बिलिंग काउंटर
बिलिंग काउंटर



अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि पावर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक की तरफ से 16 सितंबर को सभी बिजली कंपनियों के लिए एक आदेश जारी किया गया है, जिसमें राजस्व वृद्धि के लिए अतिरिक्त मार्गदर्शी सिद्धांत के अनेकों बिंदु दिए गए हैं. उसके बिंदु नंबर तीन पर एक नवंबर से चेक से भुगतान नहीं लिया जाएगा, पूरी तरह स्पष्ट लिखा गया है, जो पूरी तरह विद्युत वितरण संहिता- 2005 की धारा 6:10 भुगतान का ढंग का खुला उल्लंघन है. उन्होंने बताया कि इस मामले में पावर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार से मुलाकात कर जारी आदेश को विद्युत वितरण संहिता का उल्लंघन बताते हुए उसे तत्काल वापस लिए जाने की मांग की. इस पर प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने भरोसा दिया कि पावर कॉरपोरेशन की तरफ से जारी दिशा निर्देश में चेक से भुगतान न लिए जाने संबंधी जो आदेश जारी किए गए हैं. उसे पावर कॉरपोरेशन वापस ले रहा है. पावर कॉरपोरेशन विद्युत वितरण संहिता 2005 के प्रावधानों के अनुसार ही जैसे पूर्व में कार्रवाई चल रही थी. उसी तरह प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं से चेक से भुगतान लिया जाएगा. प्रबंध निदेशक पावर काॅरपोरेशन ने निदेशक वाणिज्य अमित कुमार श्रीवास्तव को उक्त जारी आदेश वापस लेने का निर्देश दिया.

यह भी पढ़ें : अब 75 हजार आवेदकों को कनेक्शन मिलना हुआ आसान, चेयरमैन ने हटाई पाबंदी

यह भी पढ़ें : पश्चिमी यूपी में गर्मी में निर्बाध विद्युत आपूर्ति, बकाया वसूली और कटियाबाजों को लेकर PVVNL ने बनाया प्लान

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लगातार विद्युत वितरण संहिता का उल्लंघन कर रहा है. चाहे उपभोक्ताओं को बिना नोटिस दिए ही उनका लोड बढ़ाने का मामला हो या फिर अब एक नवंबर से चेक के जरिए बिजली बिल का भुगतान न लेना हो, इस तरह के कदम उठाकर विद्युत वितरण संहिता के नियमों का उल्लंघन हो रहा है. अब इसकी शिकायत विद्युत नियामक आयोग में हुई है. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग में अवमानना याचिका दाखिल करते हुए तत्काल पावर कॉरपोरेशन से इस आदेश को वापस लेने की मांग की है. आयोग में याचिका दायर करने के बाद उन्होंने पावर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक से मुलाकात कर इस पर आपत्ति जताई. इसके बाद अब एमडी ने आश्वासन दिया है कि चेक से भुगतान न लेने संबंधी जो भी निर्देश दिया गया है उसे वापस लिया जाएगा.

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा




उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की तरफ से दो दिन पहले निर्देश जारी किया गया कि एक नवंबर से चेक के माध्यम से बिजली बिल का भुगतान नहीं लिया जाएगा. परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग में विद्युत वितरण संहिता का उल्लंघन किए जाने के मामले में एक अवमानना संबंधी आपत्ति दाखिल कर दी. पावर कॉरपोरेशन की तरफ से जारी आदेश को बिना देरी के समाप्त कराए जाने के लिए आयोग से हस्तक्षेप करने की मांग उठाई. यह भी मांग की है कि आयोग जो एक संवैधानिक संस्था है वह बिजली कंपनियों को निर्देश जारी करे कि भविष्य में इस प्रकार की कोई पुनरावृत्ति नहीं होगी, क्योंकि यह एक गंभीर मामला है. इसके पहले भी बिना नोटिस के उपभोक्ताओं के भार बढ़ाने का मामला भी आया था, जिससे ऐसा लग रहा है कि विद्युत वितरण संहिता का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है.

बिलिंग काउंटर
बिलिंग काउंटर



अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि पावर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक की तरफ से 16 सितंबर को सभी बिजली कंपनियों के लिए एक आदेश जारी किया गया है, जिसमें राजस्व वृद्धि के लिए अतिरिक्त मार्गदर्शी सिद्धांत के अनेकों बिंदु दिए गए हैं. उसके बिंदु नंबर तीन पर एक नवंबर से चेक से भुगतान नहीं लिया जाएगा, पूरी तरह स्पष्ट लिखा गया है, जो पूरी तरह विद्युत वितरण संहिता- 2005 की धारा 6:10 भुगतान का ढंग का खुला उल्लंघन है. उन्होंने बताया कि इस मामले में पावर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार से मुलाकात कर जारी आदेश को विद्युत वितरण संहिता का उल्लंघन बताते हुए उसे तत्काल वापस लिए जाने की मांग की. इस पर प्रबंध निदेशक पंकज कुमार ने भरोसा दिया कि पावर कॉरपोरेशन की तरफ से जारी दिशा निर्देश में चेक से भुगतान न लिए जाने संबंधी जो आदेश जारी किए गए हैं. उसे पावर कॉरपोरेशन वापस ले रहा है. पावर कॉरपोरेशन विद्युत वितरण संहिता 2005 के प्रावधानों के अनुसार ही जैसे पूर्व में कार्रवाई चल रही थी. उसी तरह प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं से चेक से भुगतान लिया जाएगा. प्रबंध निदेशक पावर काॅरपोरेशन ने निदेशक वाणिज्य अमित कुमार श्रीवास्तव को उक्त जारी आदेश वापस लेने का निर्देश दिया.

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