लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग से स्वीकृत कॉस्ट बुक से अधिक उपभोक्ताओं से वसूली के मामले में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन की मुश्किलें बढ़ गई हैं. निदेशक वितरण की तरफ से नियामक आयोग के समक्ष पक्ष रखा गया. विभाग ने माना कि दो करोड़ 27 लाख 49 हजार रुपये की उपभोक्ताओं से ज्यादा वसूली की गई है. नौ हजार उपभोक्ताओं को उनसे ज्यादा वाली गई धनराशि वापस लौटाई गई है. नियामक आयोग के चेयरमैन ने इस मामले में सभी बिजली कंपनियों के एमडी को आगामी एक नवंबर को उपस्थित होकर शपथपत्र देने के निर्देश दिए हैं.
उत्तर प्रदेश के सभी डिस्कॉम मध्यांचल, पूर्वांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल व केस्को में कास्ट डाटा बुक के स्थान पर पावर कारपोरेशन के अपने बनाए गए स्टॉक इश्यू रेट के आधार पर उपभोक्ताओं से करोड़ों रुपये की वसूली की गई. उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग में इस पूरे मामले में रिट दायर की थी. पावर कारपोरेशन के निदेशक (वितरण) कमलेश बहादुर सिंह की तरफ से विद्युत नियामक आयोग को लिखित जवाब सौंपकर जानकारी दी गई कि पूर्वांचल में 25 लाख 26 हजार, मध्यांचल में दो करोड़ 1 लाख 63 हजार, केस्को में 60 हजार रुपये की ज्यादा वसूली उपभोक्ताओं से की गई है. ये भी जानकारी दी गई है कि दक्षिणांचल व पश्चिमांचल में ज्यादा वसूली नहीं हुई है. कुल वसूल की गई राशि दो करोड़ 27 लाख 49 हजार रुपये है. पूर्वांचल के प्रबंध निदेशक ने अपना जवाब भेजा है कि 22 अवर अभियंता, 15 उपखंड अधिकारी व नौ अधिशासी अभियंता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई कर चेतावनी दी है.
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दणिक्षांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में अधिक वसूली न किए जाने के पावर कारपोरेशन के जवाब के खिलाफ उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने विरोध दर्ज कर सबूत पेश किया. बताया कि मैनपुरी की उपभोक्ता आभा यादव का पूरा एस्टीमेट और जमा की रसीद आयोग को सौंप दी गई है. नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह ने नाराजगी जताते हुए यूपीपीसीएल से उपभोक्ताओं से अतिरिक्त वसूली के पैसे की वापसी का शपथ पत्र मांगा है. कहा कि इसमें कोई भी हीलाहवाली होगी तो सख्त एक्शन होगा.