लखनऊः उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में दाखिल आपत्तियों के आधार पर विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में एकमुश्त 25 प्रतिशत कमी करने का अनुरोध किया है. परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने दावा किया कि 17 मई को बिजली दरों पर होने वाली सुनवाई में यदि विद्युत नियामक आयोग न्यायपूर्ण फैसला लेता है तो बिजली की दरें एकमुश्त 25 फीसदी तक कम हो सकती हैं. अवधेश वर्मा की दलील है कि उपभोक्ताओ का बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओ के निकल रहे लगभग 19537 करोड़ के एवज में एकमुश्त 25 प्रतिशत अथवा 3 वर्षों तक लगातार 8 प्रतिशत बिजली दरों में कमी आयोग इस कोरोना काल में करे.
खारिज स्लैब परिवर्तन को पुन: लागू कराने की साजिश
वर्मा ने कहा कि विद्युत नियामक आयोग द्वारा वर्ष 2020-21 में जिस स्लैब परिवर्तन को खारिज कर दिया गया था. उसे पुन: वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) का पार्ट बना दिया गया है. वर्मा ने कहा कि नियामक आयोग द्वारा खारिज स्लैब परिवर्तन को पुन: लागू कराने की साजिश गलत है. आयोग ने बिजनेस प्लान में जब वर्ष 2021-22 के लिए वितरण हानियां 11.08 प्रतिशत अनुमोदित कर दी तो फिर एआरआर में उसे बढ़ाकर 16.64 प्रतिशत प्रस्तावित करना खुला उल्लंघन के अवमानना भी है.
यूपी में घट रही प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत
वर्मा ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश का ऐसा राज्य है, जहां पर पिछले तीन वर्षों से प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में कोई सुधार नहीं हो रहा है. जिसका मुख्य कारण बिजली दरों में व्यापक बढ़ोतरी होना है. उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 में जहां प्रदेश में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 628 थी, वहीं वर्ष 2018 -19 में घटकर 606 हो गयी. अब वर्ष 2019-20 में मात्र प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 629 है, जो बहुत ही खराब स्थिति में है. देश के उत्तरी व पश्चिमी रीजन के ग्रिड पर जुड़े 14 राज्यों में यूपी में प्रति व्यक्ति खपत सबसे कम हैं. ऐसे में यदि दरों में कमी न की गयी तो यह और भी निचले स्तर पर आएगी.
बिलिंग सिस्टम में शून्य फीड है जमा सिक्योरिटी
वर्मा ने कहा कि बिलिंग का हाल यह है कि करीब 60 लाख विद्युत उपभोक्ता प्रदेश में ऐसे है जिनकी जमा सिक्योरटी पिछले लगभग 5 सालों से अधिक समय व्यतीत होने को है. बिलिंग सिस्टम में जीरो फीड है, आज सभी उपभोक्ताओ को जो ब्याज 5 सालों से बिजली कंपनियों ने हड़पा है, उसको निकला जाय तो पांच वर्षो में 100 करोड़ से ऊपर होगी.