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सीएम योगी का बयान किसानों के साथ छलावाः डाॅ. उमा शंकर

किसानों को उनकी उपज का 72 घंटे के अंदर भुगतान किए जाने के मुख्यमंत्री योगी के बयान पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने तंज कसा है. पार्टी प्रवक्ता डाॅ. उमा शंकर पांडेय ने कहा कि सीएम का यह बयान प्रदेश के किसानों के साथ एक और छलावा है.

डाॅ. उमा शंकर, कांग्रेस प्रवक्ता
डाॅ. उमा शंकर, कांग्रेस प्रवक्ता
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Published : Jan 31, 2021, 8:02 PM IST

लखनऊः किसानों को उनकी उपज का 72 घंटे के अंदर भुगतान किए जाने के मुख्यमंत्री योगी के बयान पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने तंज कसा है. पार्टी प्रवक्ता डाॅ. उमा शंकर पांडेय ने कहा कि सीएम का यह बयान प्रदेश के किसानों के साथ एक और छलावा है. उन्होंने कहा कि भाजपा के संकल्प पत्र में किए गए 14 दिनों के अन्दर गन्ना किसानों के बकाए भुगतान का वादा अभी तक नहीं हुआ पूरा है. बता दें कि सीएम ने समीक्षा बैठक में किसानों को उनकी उपज का भुगतान 72 घंटे में करने का निर्देश दिया है.

किसानों पर किया जा रहा उत्पीड़न
डाॅ. उमा शंकर ने कहा कि योगी सरकार के इशारे पर पुलिस निर्दयतापूर्वक बागपत में रात्रि में किसानों पर उत्पीड़नात्मक कार्रवाई करती है. लाठीचार्ज कर किसानों को भगाकर आंदोलन को समाप्त करा देती है. यही आदेश योगी सरकार ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों एवं पुलिस कप्तानों को दिया था. गाजीपुर बार्डर पर भी किसानों के आंदोलन को समाप्त कराने की पूरी तैयारी थी, लेकिन तमाम किसान नेताओं के संघर्ष, साहस और प्रबल विरोध के बाद यह संभव नहीं हो सका. कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भी तत्काल किसानों के समर्थन में आवाज उठाई और योगी सरकार को अपने कदम पीछे खींचने के लिए मजबूर होना पड़ा.

पूरा नहीं किया संकल्प पत्र का वादा
उमाशंकर ने कहा कि दिल्ली-गाजीपुर बार्डर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर पिछले 70 दिनों से इस हाड़ कंपाने वाली ठंड में अन्नदाता आंदोलनरत हैं. किसानों पर भाजपा सरकार दमन और उत्पीड़नात्मक कार्रवाई कर रही है. ये खुद-ब-खुद मुख्यमंत्री के किसानों के प्रति उदासीन और किसान विरोधी रवैये को उजागर करता है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने संकल्प पत्र में 14 दिनों के अन्दर गन्ना किसानों के बकाये भुगतान और भुगतान न होने की स्थिति में ब्याज सहित भुगतान करने का वादा किया था. लेकिन योगी सरकार के चार वर्ष बीत रहे हैं और गन्ना किसानों का अभी तक बकाया भुगतान नहीं हो पाया है. आर्थिक तंगी के चलते किसानों को आत्महत्या तक करनी पड़ी है. बुन्देलखण्ड के दर्जनों किसानों ने भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते आत्महत्या कर ली है.

लखनऊः किसानों को उनकी उपज का 72 घंटे के अंदर भुगतान किए जाने के मुख्यमंत्री योगी के बयान पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने तंज कसा है. पार्टी प्रवक्ता डाॅ. उमा शंकर पांडेय ने कहा कि सीएम का यह बयान प्रदेश के किसानों के साथ एक और छलावा है. उन्होंने कहा कि भाजपा के संकल्प पत्र में किए गए 14 दिनों के अन्दर गन्ना किसानों के बकाए भुगतान का वादा अभी तक नहीं हुआ पूरा है. बता दें कि सीएम ने समीक्षा बैठक में किसानों को उनकी उपज का भुगतान 72 घंटे में करने का निर्देश दिया है.

किसानों पर किया जा रहा उत्पीड़न
डाॅ. उमा शंकर ने कहा कि योगी सरकार के इशारे पर पुलिस निर्दयतापूर्वक बागपत में रात्रि में किसानों पर उत्पीड़नात्मक कार्रवाई करती है. लाठीचार्ज कर किसानों को भगाकर आंदोलन को समाप्त करा देती है. यही आदेश योगी सरकार ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों एवं पुलिस कप्तानों को दिया था. गाजीपुर बार्डर पर भी किसानों के आंदोलन को समाप्त कराने की पूरी तैयारी थी, लेकिन तमाम किसान नेताओं के संघर्ष, साहस और प्रबल विरोध के बाद यह संभव नहीं हो सका. कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भी तत्काल किसानों के समर्थन में आवाज उठाई और योगी सरकार को अपने कदम पीछे खींचने के लिए मजबूर होना पड़ा.

पूरा नहीं किया संकल्प पत्र का वादा
उमाशंकर ने कहा कि दिल्ली-गाजीपुर बार्डर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी की मांग को लेकर पिछले 70 दिनों से इस हाड़ कंपाने वाली ठंड में अन्नदाता आंदोलनरत हैं. किसानों पर भाजपा सरकार दमन और उत्पीड़नात्मक कार्रवाई कर रही है. ये खुद-ब-खुद मुख्यमंत्री के किसानों के प्रति उदासीन और किसान विरोधी रवैये को उजागर करता है. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव के दौरान अपने संकल्प पत्र में 14 दिनों के अन्दर गन्ना किसानों के बकाये भुगतान और भुगतान न होने की स्थिति में ब्याज सहित भुगतान करने का वादा किया था. लेकिन योगी सरकार के चार वर्ष बीत रहे हैं और गन्ना किसानों का अभी तक बकाया भुगतान नहीं हो पाया है. आर्थिक तंगी के चलते किसानों को आत्महत्या तक करनी पड़ी है. बुन्देलखण्ड के दर्जनों किसानों ने भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते आत्महत्या कर ली है.

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