ETV Bharat / state

क्या लोकसभा चुनाव में गठबंधन के सहारे उत्तर प्रदेश में नैया पार लगाएगी कांग्रेस

विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इनक्लूसिव अलायंस (INDIA) को लेकर कांग्रेस काफी आश्वस्त है कि वह भाजपा का जोरदार मुकाबला कर पाएगी. हालांकि विपक्षी दलों के बीच सीटों को लेकर स्थिति अभी साफ नहीं हो सकी है. ऐसे में उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस क्या रणनीति अपनाएगी यह देखने वाली बात होगी. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jul 20, 2023, 7:42 PM IST

लखनऊ : राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा सरकार के खिलाफ गठबंधन बनाने में जुटी कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में आज भी अपनी जड़ें मजबूत नहीं कर पाई है. पिछले दिनों बेंगलुरु में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में तय हुआ की उनके गठबंधन का नाम इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इनक्लूसिव अलायंस (INDIA) होगा. विपक्षी दलों में सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण गठबंधन के नेतृत्व का स्वाभाविक जिम्मेदार कांग्रेस पार्टी को ही माना जा रहा है. हाल ही में कर्नाटक की सत्ता भाजपा से छीनने वाली कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में अपना संगठन मजबूत करने को लेकर कतई गंभीर नहीं है. ऐसे में आगे चलकर सपा और कांग्रेस पार्टी में सीटों को लेकर तालमेल कैसे होगा, यह देखने वाली बात होगी.

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.


कांग्रेस पार्टी नें 2009 में उत्तर प्रदेश में 21 लोकसभा सीटें जीती थीं. पार्टी का प्रदेश संगठन आगामी चुनावों में इन्हीं 21 सीटों पर फोकस करना चाहता है. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट जीतने वाली कांग्रेस पार्टी को समाजवादी पार्टी इतनी सीटें दे दे, यह बड़ी बात होगी. यह बात और है कि कांग्रेस अपने गठबंधन के साथी पर दबाव बनाने के लिए यह हथकंडा अपना रही हो. हालांकि कांग्रेस की यह रणनीति किसी को भी समझ नहीं आ रही. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में अभूतपूर्व हार के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस निष्क्रिय ही दिखाई दी है. यह बात और है कि यदा-कदा औपचारिक धरना-प्रदर्शन या बैठकें हो गईं. अन्य दल जिस तरह से लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हैं, उसके लिहाज के कांग्रेस पार्टी की तैयारी शून्य ही दिखाई देती है.

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.




उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में रायबरेली से सिर्फ सोनिया गांधी की एक सीट 2019 में कांग्रेस, जीत सकी थी. पिछले साल हुए विधानसभा के चुनावों में भी कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें नसीब हुईं. यह दोनों सीटें भी नेताओं के व्यक्तिगत प्रभाव वाली मानी जाती हैं. राज्यसभा में भी उत्तर प्रदेश से कांग्रेस का कोई सदस्य नहीं है और यही हाल विधान परिषद में है. ऐसे में पार्टी नेतृत्व को उत्तर प्रदेश में एक साल पहले से ही लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाना चाहिए था, किंतु नेतृत्व ने इस ओर कतई ध्यान नहीं दिया. शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष और क्षेत्रीय अध्यक्षों के नामों की घोषणा जरूर की, लेकिन आज तक प्रदेश का संगठन नहीं बन सका है. प्रदेश के नेताओं में भीतरी राजनीति भी कम नहीं है. यह सब स्थितियां पार्टी को और गर्त में ले जा रही हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी की प्रदेश में क्या रणनीति होगी कहना कठिन है. शायद वह गठबंधन के सहारे अपनी नैया पार लगाना चाहती है.

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.



राजनीतिक विश्लेषक डॉ. प्रदीप यादव कहते हैं किसी भी पार्टी की रीढ़ बूथ स्तर के कार्यकर्ता होते हैं. भारतीय जनता पार्टी ने तो पन्ना प्रमुख तक बना रखे हैं. ऐसे में किसी भी राजनीतिक दल के प्रतिस्पर्धा और बढ़ जाती है. प्रदेश में कांग्रेस का बूथ स्तर से लेकर जिले स्तर तक नेटवर्क बहुत ही कमजोर हो गया है. इसके बावजूद नेतृत्व अपनी समस्याओं में उलझा हुआ है. कायदे से किसी भी दल के लिए यह वक्त लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटने का था, लेकिन न जाने क्यों इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. डॉ. प्रदीप यादव कहते हैं भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर घेरने के लिए कांग्रेस की तैयारी कितनी भी क्यों न हो, जब तक वह खुद को उत्तर प्रदेश में मजबूत नहीं कर लेगा, तब तक केंद्र में कांग्रेस का प्रधानमंत्री बनना कठिन है, चाहे विपक्षी गठबंधन जीतकर भी आ जाए, तब भी. इसलिए उप्र पर ध्यान न देना कांग्रेस के लिए बड़ी भूल साबित होगा.


यह भी पढ़ें : Watch: मणिपुर घटना पर पीएम मोदी बोले-मेरा हृदय पीड़ा और क्रोध से भरा है, बख्शे नहीं जाएंगे दोषी

लखनऊ : राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा सरकार के खिलाफ गठबंधन बनाने में जुटी कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में आज भी अपनी जड़ें मजबूत नहीं कर पाई है. पिछले दिनों बेंगलुरु में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक में तय हुआ की उनके गठबंधन का नाम इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इनक्लूसिव अलायंस (INDIA) होगा. विपक्षी दलों में सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण गठबंधन के नेतृत्व का स्वाभाविक जिम्मेदार कांग्रेस पार्टी को ही माना जा रहा है. हाल ही में कर्नाटक की सत्ता भाजपा से छीनने वाली कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में अपना संगठन मजबूत करने को लेकर कतई गंभीर नहीं है. ऐसे में आगे चलकर सपा और कांग्रेस पार्टी में सीटों को लेकर तालमेल कैसे होगा, यह देखने वाली बात होगी.

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.


कांग्रेस पार्टी नें 2009 में उत्तर प्रदेश में 21 लोकसभा सीटें जीती थीं. पार्टी का प्रदेश संगठन आगामी चुनावों में इन्हीं 21 सीटों पर फोकस करना चाहता है. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट जीतने वाली कांग्रेस पार्टी को समाजवादी पार्टी इतनी सीटें दे दे, यह बड़ी बात होगी. यह बात और है कि कांग्रेस अपने गठबंधन के साथी पर दबाव बनाने के लिए यह हथकंडा अपना रही हो. हालांकि कांग्रेस की यह रणनीति किसी को भी समझ नहीं आ रही. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में अभूतपूर्व हार के बाद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस निष्क्रिय ही दिखाई दी है. यह बात और है कि यदा-कदा औपचारिक धरना-प्रदर्शन या बैठकें हो गईं. अन्य दल जिस तरह से लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हैं, उसके लिहाज के कांग्रेस पार्टी की तैयारी शून्य ही दिखाई देती है.

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.




उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में रायबरेली से सिर्फ सोनिया गांधी की एक सीट 2019 में कांग्रेस, जीत सकी थी. पिछले साल हुए विधानसभा के चुनावों में भी कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें नसीब हुईं. यह दोनों सीटें भी नेताओं के व्यक्तिगत प्रभाव वाली मानी जाती हैं. राज्यसभा में भी उत्तर प्रदेश से कांग्रेस का कोई सदस्य नहीं है और यही हाल विधान परिषद में है. ऐसे में पार्टी नेतृत्व को उत्तर प्रदेश में एक साल पहले से ही लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाना चाहिए था, किंतु नेतृत्व ने इस ओर कतई ध्यान नहीं दिया. शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष और क्षेत्रीय अध्यक्षों के नामों की घोषणा जरूर की, लेकिन आज तक प्रदेश का संगठन नहीं बन सका है. प्रदेश के नेताओं में भीतरी राजनीति भी कम नहीं है. यह सब स्थितियां पार्टी को और गर्त में ले जा रही हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी की प्रदेश में क्या रणनीति होगी कहना कठिन है. शायद वह गठबंधन के सहारे अपनी नैया पार लगाना चाहती है.

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए गठबंधन की राह.



राजनीतिक विश्लेषक डॉ. प्रदीप यादव कहते हैं किसी भी पार्टी की रीढ़ बूथ स्तर के कार्यकर्ता होते हैं. भारतीय जनता पार्टी ने तो पन्ना प्रमुख तक बना रखे हैं. ऐसे में किसी भी राजनीतिक दल के प्रतिस्पर्धा और बढ़ जाती है. प्रदेश में कांग्रेस का बूथ स्तर से लेकर जिले स्तर तक नेटवर्क बहुत ही कमजोर हो गया है. इसके बावजूद नेतृत्व अपनी समस्याओं में उलझा हुआ है. कायदे से किसी भी दल के लिए यह वक्त लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटने का था, लेकिन न जाने क्यों इस ओर ध्यान नहीं दे रही है. डॉ. प्रदीप यादव कहते हैं भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर घेरने के लिए कांग्रेस की तैयारी कितनी भी क्यों न हो, जब तक वह खुद को उत्तर प्रदेश में मजबूत नहीं कर लेगा, तब तक केंद्र में कांग्रेस का प्रधानमंत्री बनना कठिन है, चाहे विपक्षी गठबंधन जीतकर भी आ जाए, तब भी. इसलिए उप्र पर ध्यान न देना कांग्रेस के लिए बड़ी भूल साबित होगा.


यह भी पढ़ें : Watch: मणिपुर घटना पर पीएम मोदी बोले-मेरा हृदय पीड़ा और क्रोध से भरा है, बख्शे नहीं जाएंगे दोषी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.