लखनऊ: उत्तर प्रदेश कैडर के 3 आईएएस अधिकारियों (uttar pradesh cadre ias officers) ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (voluntary retirement scheme) की मांग की है. यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है. इससे पहले उत्तर प्रदेश कैडर के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजीव अग्रवाल ने इस्तीफा देकर निजी कंपनी में बड़े पद पर नौकरी कर ली थी. उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में इन दिनों यह चर्चा आम है कि आईएएस अधिकारियों की ताकत दिन पर दिन कम होती जा रही है. इसके अलावा उन पर सख्ती और सर्विलांस बहुत अधिक हो गया है. इस वजह से वे अब इस सेवा को जारी रखने के इच्छुक नहीं है. इसीलिए विपरीत परिस्थितियां पढ़ते ही विपद को छोड़ना ही उचित समझ रहे हैं.
28 जुलाई को एक आदेश जारी हुआ, जिसमें 1987 बैच की वरिष्ठ आईएएस रेणुका कुमार को केंद्र सरकार में बिना प्रतिनियुक्ति पूरी हुए उनके मूल कैडर में उत्तर प्रदेश में प्रत्यावर्तित किया गया. जानकारी के मुताबिक, 25 जुलाई को ही रेणुका कुमार ने वीआरएस (Renuka Kumar demanded VRS) के लिए डीओपीटी की सचिव को आवेदन भेज दिया था. साथ ही मुख्य सचिव और अपर मुंख्य सचिव नियुक्ति को भी इस सम्बंध में पत्र भी भेजा है.
इसके अलावा आईएएस विकास गोठलवाल (IAS Vikas Gothalwal demanded VRS) 2003 और जूथिका पाटणकर (IAS Juthika Patankar demands VRS) 1988 ने भी वीआरएस मांगा हैं. विकास गोठलवाल स्टडी लीव पर चल रहे है. इससे पहले वे सचिव अवस्थापना और औद्योगिक विकास पर तैनात थे. स्वास्थ्य कारणों से विकास ने वीआरएस मांगा है. 1988 बैच की यूपी कैडर की IAS जूथिका पाटणकर ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए वीआरएस मांगा है. वह केंद्रीय सूचना आयोग में तैनात हैं. साल 2019 में उत्तर प्रदेश कैडर के संयुक्त सचिव स्तर के केंद्र में अधिकारी राजीव अग्रवाल ने भी इस्तीफा देकर टैक्सी स्टार्टअप उबर में उच्च पद पर जॉइन कर लिया था.
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वर्तमान सरकार के बारे में कहा जा रहा है कि आईएएस अधिकारियों के पर कतरे जा चुके हैं. उनको सरकार के दिशा निर्देशों का सख्ती से पालन करना पड़ता है. इसके अलावा कायदे कानूनों पर अमल करने में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है. इस वजह से आईएएस अधिकारी अपनी पूरी ताकत के साथ काम नहीं कर पा रहे हैं. यही नहीं आईपीएस अधिकारियों के बढ़ते प्रभाव के चलते भी उच्च प्रशासनिक सेवा अनेक अफसरों पर बोझ के समान हो गई है. इसलिए वे इस सेवा से निजात पा रहे हैं.
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