लखनऊ: प्रदेश के खस्ताहाल पूरे राजकीय माध्यमिक विद्यालयों की सूरते हाल बदलने की कवायद शुरू हो गई है. उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (Uttar Pradesh Board of Secondary Education) अपने इन खस्ताहाल विद्यालयों को प्राइवेट स्कूलों के तर्ज पर चमकाने की तैयारी कर रहा है. माध्यमिक विद्यालयों के नवीनीकरण मिशन नामक सरकारी एजेंसी प्रदेश के राजकीय माध्यमिक स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों की तरह अप टू डेट बनाएंगे.
इसके तहत माध्यमिक विद्यालयों के बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर को और सुदृढ़ बनाया जाएगा. इसमें विद्यालय भवन से लेकर लैब, पुस्तकालय और खेल के मैदान सहित सभी बुनियादी सुविधाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाया जाएगा. इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने प्रदेश भर के सभी जिला अधिकारियों को पत्र भेज दिया है.
अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में विद्यालय संकुल व्यवस्था की संस्तुति की गई है. इसमें यह भी उल्लेख है कि प्रत्येक विद्यालय में उसका साफ-सुथरा अच्छा भवन हो, साथ ही पुस्तकालय, प्रयोगशाला, कंप्यूटर लैब, कौशल प्रयोगशाला, खेल का मैदान, खेल उपकरण आदि के लिए पर्याप्त संसाधन व उनका कुशल और प्रभावी प्रबंधन भी विद्यालय में मौजूद हो.
उन्होंने अपने आदेश में कहा है कि विद्यालयों के कमरों व हॉल का निर्माण, शौचालय ब्लॉक का निर्माण, शैक्षिक उद्देश्य के लिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर सहित आईटी सिस्टम की खरीद, स्मार्ट बोर्ड, विजुअल डिस्प्ले यूनिट प्रोजेक्टर की खरीद, प्रशिक्षण उपकरणों की खरीद, प्रयोगशाला की स्थापना, रसोई की स्थापना, बस, फर्नीचर और पिक्चर्स की खरीद सहित कई जरूरी चीजों की खरीद सांसद कोटे से कराया जा सकेगा.
उन्होंने अपने आदेश (List of dilapidated government schools) में कहा कि इसके अलावा भी स्कूल की पेयजल सुविधा, शौचालयों की व्यवस्था, अतिरिक्त कक्षों का निर्माण, बाउंड्री वॉल का निर्माण और बिजली से संबंधित कार्य आदि काम भी सांसद अपने कोटे से करा सकते हैं.