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NCRB की रिपोर्ट: आर्थिक अपराधों में उत्तर प्रदेश नंबर वन

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश आर्थिक अपराधों में पहले स्थान पर है. इसपर विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते कहा कि सरकार खुद भ्रष्टाचार में लिप्त है, तो कैसे भ्रष्टाचार पर लगाम लगा पाएगी.

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Published : Jan 11, 2020, 10:59 AM IST

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आर्थिक अपराधों में उत्तर प्रदेश नंबर एक पर.

लखनऊ: प्रदेश में आर्थिक अपराधों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. सीएम योगी के अथक प्रयासों के बावजूद भ्रष्टाचार कम होने का नाम नहीं ले रहा है. सीएम योगी ने पिछले दो सालों में भ्रष्टाचार के आरोप में कई अधिकारियों पर कार्रवाई की है, इसके बावजूद भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है.

आर्थिक अपराधों में उत्तर प्रदेश नंबर एक पर.

भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी

आईएएस अफसरों की वजह से आर्थिक अपराध में सीएम के प्रयासों के बाद भी कमी नहीं आई है. एनसीआरबी की रिपोर्ट में बताया गया कि उत्तर प्रदेश आर्थिक अपराध में देश में पहले पायदान पर है. 2016, 2017 और 2018 में देश में हुए आर्थिक अपराधों में 14 फीसदी अपराध सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही हुए हैं.

नेशनल क्राइम ब्यूरो का आंकड़ा

नेशनल क्राइम ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़े बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2016 में 15,765 आर्थिक अपराध के मामले दर्ज हुए हैं. वहीं साल 2017 में यह आंकड़ा बढ़कर 20 हजार 700 के पार पहुंच गया है. वर्ष 2018 में यह आंकड़ा और बढ़कर 22 हजार 822 हो गया है.

विपक्ष ने साधा निशाना

विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार खुद भ्रष्टाचार में लिप्त है, तो कैसे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएगी. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने बताया कि आर्थिक अपराध में उत्तर प्रदेश नंबर एक पर पहुंच गया है. योगी सरकार में करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा घोटाले हुए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात करते हों, लेकिन उनकी सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है.

सरकार का दावा

वहीं, सरकार का दावा है कि भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम किया जा रहा है. सीएम योगी ने पीसीएस और पीपीएस जैसे 600 अधिकारियों पर कार्रवाई की है. इसमें जबरन रिटायर करने से लेकर बर्खास्त करने तक की कार्रवाई शामिल है.

जब से उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार आई है, तब से बड़े-बड़े भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हुई है.
- डॉ. चंद्रमोहन, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

लखनऊ: प्रदेश में आर्थिक अपराधों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. सीएम योगी के अथक प्रयासों के बावजूद भ्रष्टाचार कम होने का नाम नहीं ले रहा है. सीएम योगी ने पिछले दो सालों में भ्रष्टाचार के आरोप में कई अधिकारियों पर कार्रवाई की है, इसके बावजूद भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है.

आर्थिक अपराधों में उत्तर प्रदेश नंबर एक पर.

भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी

आईएएस अफसरों की वजह से आर्थिक अपराध में सीएम के प्रयासों के बाद भी कमी नहीं आई है. एनसीआरबी की रिपोर्ट में बताया गया कि उत्तर प्रदेश आर्थिक अपराध में देश में पहले पायदान पर है. 2016, 2017 और 2018 में देश में हुए आर्थिक अपराधों में 14 फीसदी अपराध सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही हुए हैं.

नेशनल क्राइम ब्यूरो का आंकड़ा

नेशनल क्राइम ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़े बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2016 में 15,765 आर्थिक अपराध के मामले दर्ज हुए हैं. वहीं साल 2017 में यह आंकड़ा बढ़कर 20 हजार 700 के पार पहुंच गया है. वर्ष 2018 में यह आंकड़ा और बढ़कर 22 हजार 822 हो गया है.

विपक्ष ने साधा निशाना

विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार खुद भ्रष्टाचार में लिप्त है, तो कैसे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएगी. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने बताया कि आर्थिक अपराध में उत्तर प्रदेश नंबर एक पर पहुंच गया है. योगी सरकार में करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा घोटाले हुए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात करते हों, लेकिन उनकी सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है.

सरकार का दावा

वहीं, सरकार का दावा है कि भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम किया जा रहा है. सीएम योगी ने पीसीएस और पीपीएस जैसे 600 अधिकारियों पर कार्रवाई की है. इसमें जबरन रिटायर करने से लेकर बर्खास्त करने तक की कार्रवाई शामिल है.

जब से उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार आई है, तब से बड़े-बड़े भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हुई है.
- डॉ. चंद्रमोहन, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

Intro:लखनऊ: आर्थिक अपराध में अफसरों की वजह से यूपी की छवि हो रही धूमिल, योगी के प्रयासों का क्या हुआ असर

लखनऊ। देश के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी आर्थिक अपराधों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अथक प्रयासों के बावजूद भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लग पा रहा है। पिछले ढाई वर्षों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ी संख्या में भ्रस्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की। अभी हाल ही में भ्रष्टाचार में लिप्त आईपीएस अफसरों पर कार्रवाई हुई लेकिन शीर्ष पर कुंडली मारकर बैठे आईएएस अफसरों की वजह से आर्थिक अपराध में मुख्यमंत्री के प्रयासों के अनुरूप गिरावट नहीं आ पा रही है। एनसीआरबी की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि उत्तर प्रदेश आर्थिक अपराध में देश में सबसे ऊपरी पायदान पर है। वर्ष 2016, 2017 और 2018 में देश में हुए आर्थिक अपराधों में से 14 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में हुए हैं। हालांकि सत्ताधारी दल बीजेपी का कहना है कि यूपी सबसे बड़ा राज्य है। यहां सबसे अधिक आबादी है। इस लिहाज से भी इन आंकड़ों का आकलन करना चाहिए।


Body:उत्तर प्रदेश की योगी सरकार का दावा है कि वह भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करते हुए आगे बढ़ रही है। बहुत हद तक यह सामने दिख भी रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीसीएस और पीपीएस जैसे अफसरों समेत तमाम छोटे बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई की है। कुल मिलाकर करीब 600 अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्रवाई हुई है। इसमे जबरन रिटायर करने से लेकर बर्खास्त करने तक कि कार्रवाई शामिल है। बावजूद इसके उत्तर प्रदेश में आर्थिक अपराध बढ़ रहे हैं। नेशनल क्राईम ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़े बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2016 में 15765 आर्थिक अपराध के मामले दर्ज हुए हैं। साल 2017 में यह संख्या 20 हजार 700 पहुंच गयी। वहीं वर्ष 2018 की बात करें तो यह आंकड़ा 22 हजार 822 पर पहुंच गया है।

बाईट-समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी का कहना है कि आर्थिक अपराध में भी उत्तर प्रदेश नंबर एक पर पहुंच गया है। पांच से छह घोटाले एकदम अभी हाल के ही हैं। जीपीएफ घोटाला, होमगार्ड घोटाला, कंबल घोटाला, एलडीए घोटाला। ऐसे ही योगी सरकार में करीब डेढ़ दर्जन घोटाले हुए हैं। सारे घोटाले इसी सरकार में हो रहे हैं। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हुए मंत्रियों को योगी सरकार को हटाना पड़ा है। यह पूरी सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है। भले ही मुख्यमंत्री जी जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात करते हों लेकिन उनकी सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है।

बाईट-राजनीतिक विश्लेषक अनिल त्रिपाठी का कहना है कि असल में सारी चीजें मुख्यमंत्री के हाथों में नहीं हैं। समस्या यहां पर है। मुख्यमंत्री के पंचम तल से लेकर उनके मंत्री तक उनके नियंत्रण से बाहर हैं। सभी लोग इन पांच वर्षों में अपने आप को संपन्नता की श्रेणी में शिखर पर पहुंचा लेना चाहते हैं। जिसके चलते आर्थिक रूप से भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। कोई भी सेक्टर नहीं बचा है जिस क्षेत्र से रुपये निकालकर वह अपनी जेबों में ना डाल रहे हों।

बाईट-राजनीतिक विश्लेषक विजय शंकर पंकज कहते हैं कि आर्थिक अपराध हमेशा ऊपर से नीचे की तरफ चलता है। अन्य अपराधों की तुलना में यह एक अलग प्रकार का अपराध है। यह सुनियोजित अपराध होता है। मैं मानता हूं कि सामाजिक व्यवस्था में आर्थिक अपराध एक हिस्सा बन चुका है। आम आदमी भी समझ रहा है कि बिना पैसा दिए उसका कोई काम नहीं होगा। लेकिन इस आर्थिक अपराध में सबसे बड़ा गुनाहगार अगर किसी को मानता हूं तो वह ब्यूरोक्रेसी है। क्योंकि ज्यादातर मामलों को ब्यूरोक्रेसी ही उलझाए रखती है। उसके माध्यम से अपराध होते हैं। अब तक राष्ट्रीय स्तर पर तो कुछ कार्रवाई हुई है लेकिन उत्तर प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है।

बाईट- भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ चंद्रमोहन कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में जब से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार आई है तब से बड़े-बड़े भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। अधिकारी हों, व्यापारी हों या कोई और भ्रष्टाचार में लिप्त व्यक्ति, उस पर कार्रवाई की गई है। योगी आदित्यनाथ सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है।

दिलीप शुक्ला, 9450663213


Conclusion:
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