लखनऊ: प्रदेश में आर्थिक अपराधों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. सीएम योगी के अथक प्रयासों के बावजूद भ्रष्टाचार कम होने का नाम नहीं ले रहा है. सीएम योगी ने पिछले दो सालों में भ्रष्टाचार के आरोप में कई अधिकारियों पर कार्रवाई की है, इसके बावजूद भ्रष्टाचार अपनी चरम सीमा पर है.
भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी
आईएएस अफसरों की वजह से आर्थिक अपराध में सीएम के प्रयासों के बाद भी कमी नहीं आई है. एनसीआरबी की रिपोर्ट में बताया गया कि उत्तर प्रदेश आर्थिक अपराध में देश में पहले पायदान पर है. 2016, 2017 और 2018 में देश में हुए आर्थिक अपराधों में 14 फीसदी अपराध सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही हुए हैं.
नेशनल क्राइम ब्यूरो का आंकड़ा
नेशनल क्राइम ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़े बता रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2016 में 15,765 आर्थिक अपराध के मामले दर्ज हुए हैं. वहीं साल 2017 में यह आंकड़ा बढ़कर 20 हजार 700 के पार पहुंच गया है. वर्ष 2018 में यह आंकड़ा और बढ़कर 22 हजार 822 हो गया है.
विपक्ष ने साधा निशाना
विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार खुद भ्रष्टाचार में लिप्त है, तो कैसे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएगी. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने बताया कि आर्थिक अपराध में उत्तर प्रदेश नंबर एक पर पहुंच गया है. योगी सरकार में करीब डेढ़ दर्जन से ज्यादा घोटाले हुए हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात करते हों, लेकिन उनकी सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है.
सरकार का दावा
वहीं, सरकार का दावा है कि भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम किया जा रहा है. सीएम योगी ने पीसीएस और पीपीएस जैसे 600 अधिकारियों पर कार्रवाई की है. इसमें जबरन रिटायर करने से लेकर बर्खास्त करने तक की कार्रवाई शामिल है.
जब से उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार आई है, तब से बड़े-बड़े भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हुई है.
- डॉ. चंद्रमोहन, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा