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UPTET में 2017 का प्रश्न हुआ रिपीट, यूथ कांग्रेस ने जलाई प्रश्न-पत्र की प्रतियां

उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (Uttar Pradesh Teacher Eligibility Test 2021 ) को लेकर एक बार फिर यूपी सरकार विवादों के घेरे में है. अभ्यर्थियों की शिकायत है कि प्राइमरी परीक्षा में 2017 (UPTET Previous Year Paper 2017) का लगभग 70 से 80 प्रतिशत तक के प्रश्न रिपीट किए गए थे. वहीं अपर प्राइमरी में करीब 90 प्रतिशत प्रश्न दोहराए गए थे.

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Published : Jan 24, 2022, 6:26 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Sarkar) ने विवादों के बीच जैसे तैसे उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (Uttar Pradesh Teacher Eligibility Test 2021 ) करा तो ली, लेकिन अब इसको लेकर नए सवाल खड़े हो गए. अभ्यर्थियों की शिकायत है कि इस बार के प्रश्न पत्र में 70 से 80% तक सवाल 2017 के पेपर के रिपीट (UPTET Previous Year Paper 2017) कर दिए गए. उनका कहना है कि प्राइमरी के पेपर में 70 से 80 परसेंट तक प्रश्न रिपीट हुए हैं जबकि अपर प्राइमरी के पेपर (UPTET upper primary paper) में यह संख्या 90% से भी अधिक है.

यूथ कांग्रेस की तरफ से इसके विरोध (Youth Congress Protest) में प्रदेश में कई जगह प्रश्न पत्र की प्रतियां तक जलाई गई. मेरठ, जालौन, बांदा, प्रयागराज यमुना पार, हमीरपुर, महोबा समेत प्रदेश के कई जिलों से सोशल मीडिया पर अभ्यर्थियों की तरफ से प्रतियों को जलाकर वीडियो पोस्ट किए गए हैं. उनकी तरफ से लगातार सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

विकास सिंह ने अपने ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है, "महोदय फिर से UPTET परीक्षा मजाक बन गई है. क्या आयोग इतना नकारा हो गया है कि एक पेपर ठीक से करा नहीं सकता ? एग्जाम पेपर फिर लीक हुआ है. पूरा का पूरा पेपर 2017 का उठा के रख दिया गया है. अब बस क्वेश्चन पेपर बांटने और व्हाट्सएप करने की कोई जरूरत नहीं."

यह भी पढ़ें: बीएचयू की रिसर्च में खुलासा, दोनों वैक्सीन लगवाने वाले संक्रमित होने पर भी सुरक्षित...

अखिलेश मिश्रा ने अपने ट्वीट में लिखा है, "गजब की धांधली, UPTET में 2017 को ही 2021 का पेपर बना दिया गया. 21 लाख अभ्यर्थियों की जान जोखिम में डाली. हाईकोर्ट के जजमेंट के अनुसार, UPTET कैंसिल होना चाहिए. अगर किसी पेपर में पिछले पेपर का 40% से ज्यादा प्रश्न आये तो उसको निरस्त कर देना चाहिए. इसमें 80% आया है."

शिक्षक पात्रता परीक्षा 2021 का आयोजन बीती 28 नवंबर को किया जा रहा था, लेकिन परीक्षा शुरू होने के चंद मिनट बाद ही पेपर कैंसिल कर दिया गया. प्रश्न पत्र लीक होने के कारण यह फैसला लिया गया था, जिसके बाद सरकार पर लगातार कई सवाल उठ रहे हैं. सवालों के बीच सरकार की तरफ से 23 जनवरी को इस परीक्षा को कराने की घोषणा की गई थी. हालांकि, कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए अभ्यर्थियों की ओर से इसे टालने पर जोर दिया जा रहा था. इसके बावजूद सरकार की तरफ से परीक्षा को आयोजित करने पर काफी नाराजगी दिखाई गई.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Sarkar) ने विवादों के बीच जैसे तैसे उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (Uttar Pradesh Teacher Eligibility Test 2021 ) करा तो ली, लेकिन अब इसको लेकर नए सवाल खड़े हो गए. अभ्यर्थियों की शिकायत है कि इस बार के प्रश्न पत्र में 70 से 80% तक सवाल 2017 के पेपर के रिपीट (UPTET Previous Year Paper 2017) कर दिए गए. उनका कहना है कि प्राइमरी के पेपर में 70 से 80 परसेंट तक प्रश्न रिपीट हुए हैं जबकि अपर प्राइमरी के पेपर (UPTET upper primary paper) में यह संख्या 90% से भी अधिक है.

यूथ कांग्रेस की तरफ से इसके विरोध (Youth Congress Protest) में प्रदेश में कई जगह प्रश्न पत्र की प्रतियां तक जलाई गई. मेरठ, जालौन, बांदा, प्रयागराज यमुना पार, हमीरपुर, महोबा समेत प्रदेश के कई जिलों से सोशल मीडिया पर अभ्यर्थियों की तरफ से प्रतियों को जलाकर वीडियो पोस्ट किए गए हैं. उनकी तरफ से लगातार सरकार पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

विकास सिंह ने अपने ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है, "महोदय फिर से UPTET परीक्षा मजाक बन गई है. क्या आयोग इतना नकारा हो गया है कि एक पेपर ठीक से करा नहीं सकता ? एग्जाम पेपर फिर लीक हुआ है. पूरा का पूरा पेपर 2017 का उठा के रख दिया गया है. अब बस क्वेश्चन पेपर बांटने और व्हाट्सएप करने की कोई जरूरत नहीं."

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अखिलेश मिश्रा ने अपने ट्वीट में लिखा है, "गजब की धांधली, UPTET में 2017 को ही 2021 का पेपर बना दिया गया. 21 लाख अभ्यर्थियों की जान जोखिम में डाली. हाईकोर्ट के जजमेंट के अनुसार, UPTET कैंसिल होना चाहिए. अगर किसी पेपर में पिछले पेपर का 40% से ज्यादा प्रश्न आये तो उसको निरस्त कर देना चाहिए. इसमें 80% आया है."

शिक्षक पात्रता परीक्षा 2021 का आयोजन बीती 28 नवंबर को किया जा रहा था, लेकिन परीक्षा शुरू होने के चंद मिनट बाद ही पेपर कैंसिल कर दिया गया. प्रश्न पत्र लीक होने के कारण यह फैसला लिया गया था, जिसके बाद सरकार पर लगातार कई सवाल उठ रहे हैं. सवालों के बीच सरकार की तरफ से 23 जनवरी को इस परीक्षा को कराने की घोषणा की गई थी. हालांकि, कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए अभ्यर्थियों की ओर से इसे टालने पर जोर दिया जा रहा था. इसके बावजूद सरकार की तरफ से परीक्षा को आयोजित करने पर काफी नाराजगी दिखाई गई.

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