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यूपी परिवहन विभाग में एक दशक पहले खत्म हो गया पैसेंजर टैक्स वसूलने का काम, नहीं खत्म हुआ पदनाम

यूपी परिवहन विभाग (up transport department) में पैसेंजर टैक्स ऑफिसर का काम 13 साल पहले खत्म कर दिया गया था, लेकिन अब तक इस पद पर तैनात अधिकारियों के पद का नाम नहीं बदला गया है.

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Published : Apr 5, 2023, 7:07 AM IST

लखनऊ: यूपी परिवहन विभाग में जिस काम के लिए पैसेंजर टैक्स ऑफिसर (passenger tax officer) का पद सृजित किया गया था वह काम ही 13 साल पहले खत्म हो गया, लेकिन अधिकारियों के पद का नाम अभी तक नहीं बदला. यात्री कर अधिकारी के पद पर तैनात अफसरों को फील्ड में पैसेंजर टैक्स और गुडस टैक्स वसूलने की जिम्मेदारी ली गई थी, लेकिन सरकार ने साल 2010 में पैसेंजर एंड गुड्स टैक्स को खत्म कर एडिशनल टैक्स लागू कर दिया, लेकिन काम खत्म होने के बाद अभी भी विभाग में पीटीओ का ही पदनाम चल रहा है.

पदनाम न बदलने से अफसर परेशान हैं. वे चाहते हैं कि जब काम एआरटीओ की तरह ही लिया जा रहा है, तो पदनाम भी बदलना चाहिए. हालांकि इस बारे में परिवहन विभाग के अधिकारी कुछ भी बता पाने में असमर्थता जता रहे हैं. उनका कहना है कि यह शासन से ही संभव है. परिवहन विभाग में कई सारे पद होते हैं उन्हीं में से एक यात्री कर/मालकर अधिकारी (पीटीओ) का भी पद है. पीटीओ को सभी तरह के वाहनों से पैसेंजर एंड गुड्स टैक्स वसूलने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन आज से 13 साल पहले वर्ष 2010 में सरकार ने पैसेंजर एंड गुड्स टैक्स ही खत्म कर दिया.

इसकी जगह पर एडिशनल टैक्स लगा दिया. यूपी परिवहन विभाग (up transport department) में पीटीओ के पास धारा 22 का जो अधिकार था, वह छिन गया. पीटीओ को जो टैक्स एसेसमेंट का अधिकार था, वह भी खत्म हो गया. कहने का सीधा सा मतलब है कि जिस काम के लिए यह पद सृजित किया गया था, वह काम अब से 13 साल पहले ही समाप्त हो गया. पर अब भी परिवहन विभाग में ये पद बरकरार है. इस पद पर दर्जनों अधिकारी (लगभग 63) तैनात हैं. अब पीटीओ का काम आरटीओ और एआरटीओ के नेतृत्व में चेकिंग अभियान चलाकर परिवहन विभाग के नियमों और मानकों का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर कार्रवाई करना होता है.

उनसे अब भी सड़क पर अभियान चलवाया जाता है, वसूली भी कराई जाती है. लेकिन पीटीओ की समस्या ये है कि जब वे प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क साधते हैं, तो पीटीओ पद नाम बताने पर उन्हें वह रिस्पांस नहीं मिलता जो एआरटीओ को मिलता है. कई यात्री कर अधिकारियों का कहना है कि अब काम एआरटीओ की तरह लिया जाता है, लेकिन नाम पीटीओ ही चल रहा है. इस तरफ भी विभाग के जिम्मेदारों को ध्यान देने की जरूरत है.


परिवहन विभाग के सीनियर अधिकारियों का कहना है कि पदनाम में बदलाव का अधिकार शासन को ही है. सीनियर अधिकारी भी मानते हैं कि यूपी परिवहन विभाग में पीटीओ (PTO in UP Transport Department) का काम भी एआरटीओ की तरह ही होता है इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन पीटीओ को उतनी अहमियत नहीं मिलती जितनी एआरटीओ को मिलती है.

ये भी पढ़ें- लखनऊ में छात्र के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म, दोषी स्कूल कर्मचारी को उम्र कैद

लखनऊ: यूपी परिवहन विभाग में जिस काम के लिए पैसेंजर टैक्स ऑफिसर (passenger tax officer) का पद सृजित किया गया था वह काम ही 13 साल पहले खत्म हो गया, लेकिन अधिकारियों के पद का नाम अभी तक नहीं बदला. यात्री कर अधिकारी के पद पर तैनात अफसरों को फील्ड में पैसेंजर टैक्स और गुडस टैक्स वसूलने की जिम्मेदारी ली गई थी, लेकिन सरकार ने साल 2010 में पैसेंजर एंड गुड्स टैक्स को खत्म कर एडिशनल टैक्स लागू कर दिया, लेकिन काम खत्म होने के बाद अभी भी विभाग में पीटीओ का ही पदनाम चल रहा है.

पदनाम न बदलने से अफसर परेशान हैं. वे चाहते हैं कि जब काम एआरटीओ की तरह ही लिया जा रहा है, तो पदनाम भी बदलना चाहिए. हालांकि इस बारे में परिवहन विभाग के अधिकारी कुछ भी बता पाने में असमर्थता जता रहे हैं. उनका कहना है कि यह शासन से ही संभव है. परिवहन विभाग में कई सारे पद होते हैं उन्हीं में से एक यात्री कर/मालकर अधिकारी (पीटीओ) का भी पद है. पीटीओ को सभी तरह के वाहनों से पैसेंजर एंड गुड्स टैक्स वसूलने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन आज से 13 साल पहले वर्ष 2010 में सरकार ने पैसेंजर एंड गुड्स टैक्स ही खत्म कर दिया.

इसकी जगह पर एडिशनल टैक्स लगा दिया. यूपी परिवहन विभाग (up transport department) में पीटीओ के पास धारा 22 का जो अधिकार था, वह छिन गया. पीटीओ को जो टैक्स एसेसमेंट का अधिकार था, वह भी खत्म हो गया. कहने का सीधा सा मतलब है कि जिस काम के लिए यह पद सृजित किया गया था, वह काम अब से 13 साल पहले ही समाप्त हो गया. पर अब भी परिवहन विभाग में ये पद बरकरार है. इस पद पर दर्जनों अधिकारी (लगभग 63) तैनात हैं. अब पीटीओ का काम आरटीओ और एआरटीओ के नेतृत्व में चेकिंग अभियान चलाकर परिवहन विभाग के नियमों और मानकों का उल्लंघन करने वाले वाहनों पर कार्रवाई करना होता है.

उनसे अब भी सड़क पर अभियान चलवाया जाता है, वसूली भी कराई जाती है. लेकिन पीटीओ की समस्या ये है कि जब वे प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क साधते हैं, तो पीटीओ पद नाम बताने पर उन्हें वह रिस्पांस नहीं मिलता जो एआरटीओ को मिलता है. कई यात्री कर अधिकारियों का कहना है कि अब काम एआरटीओ की तरह लिया जाता है, लेकिन नाम पीटीओ ही चल रहा है. इस तरफ भी विभाग के जिम्मेदारों को ध्यान देने की जरूरत है.


परिवहन विभाग के सीनियर अधिकारियों का कहना है कि पदनाम में बदलाव का अधिकार शासन को ही है. सीनियर अधिकारी भी मानते हैं कि यूपी परिवहन विभाग में पीटीओ (PTO in UP Transport Department) का काम भी एआरटीओ की तरह ही होता है इसमें कोई संदेह नहीं है, लेकिन पीटीओ को उतनी अहमियत नहीं मिलती जितनी एआरटीओ को मिलती है.

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