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यूपी परिवहन विभाग के सैकड़ों कर्मचारियों पर मंडरा रहा नौकरी का संकट, अधिकारियों से लगायी मदद की गुहार

यूपी परिवहन विभाग के सैकड़ों कर्मचारियों पर नौकरी का संकट मंडरा (UP Transport Department employees face job crisis) रहा है. परिवहन विभाग में 10 वर्ष पहले अनुबंध पर सैकड़ों कर्मचारी रखे गए थे. इनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 29, 2023, 7:42 AM IST

लखनऊ: एक तरफ सरकारी विभागों में तेजी से निजीकरण बढ़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ यूपी परिवहन विभाग निजी कर्मचारियों को ही नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा (UP Transport Department employees face job crisis) रहा है. उत्तर प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस से संबंधित काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारियों की नौकरी पर संकट मंडराने लगा है. कर्मचारी अधिकारियों के आगे हाथ जोड़कर नौकरी बचाने की गुहार लगा रहे हैं. परिवहन विभाग में 10 वर्ष पहले अनुबंध पर सैकड़ों कर्मचारी रखे गए थे. विभाग अब सेवा प्रदाता कंपनी का अनुबंध नहीं बढ़ाया जाएगा.

परिवहन विभाग से अनुबंधित सेवा प्रदाता स्मार्ट चिप की सेवाएं फरवरी 2024 में खत्म हो जाएंगी. सेवा प्रदाता ने 10 साल पूर्व जिलों में 350 से अधिक कर्मचारी तैनात किए थे. इनसे आरटीओ और एआरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदकों की स्क्रूटनी से लेकर बायोमैट्रिक तक के कार्य कराए जा रहे थे. इसका मकसद लोगों को दलालों से बचाकर निर्धारित शुल्क पर ट्रांसपेरेंसी से काम कराना था, लेकिन अब कर्मचारियों का कहना है कि सेवा प्रदाता पर उल्टा दलाली का आरोप लगा दिया गया है.

इसका संज्ञान लेकर परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह ने सेवा प्रदाता का कार्यकाल आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया है. इसके विरोध में प्रदेश भर के सैकड़ों कर्मचारी गुरुवार को परिवहन विभाग के सीनियर अफसरों से मिले. कहा कि 10 सालों में न किसी तरह का आरोप न तो कहीं कोई शिकायत हुई है. अब अचानक आरोप लगाकर नौकरी से बाहर किए जाने की तैयारी है. इससे सैकड़ों परिवारों के सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा.

कर्मचारियों का कहना है कि फरवरी में खत्म हो रहे सेवा प्रदाता के टेंडर में इस बार सिर्फ मुख्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस प्रिंट करने का ठेका दिया गया है. इस व्यवस्था से आवेदकों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. आलम यह है कि प्रदेश में तमाम आवेदकों को समय पर ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिल पा रहे हैं. प्रदेश के कई जिलों से लोग डीएल के लिए अपना काम छोड़ कर सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर और किराया खर्च कर जानकारी लेने आते हैं, लेकिन यहां पर उन्हें इसकी जानकारी देने वाला कोई नहीं है. ड्राइविंग लाइसेंस प्रिंट के नाम पर करोड़ों रुपए की धनराशि खर्च हो रही है. इस काम को आसानी से आरटीओ कार्यालय से भी किया जा सकता है. इससे विभाग का पैसा भी बचाया जा सकता है और आवेदकों की समस्या भी खत्म हो सकती है.

अधिकारियों ने दिया समायोजन का भरोसा: परिवहन विभाग मुख्यालय पर स्मार्ट चिप सेवा प्रदाता कंपनी के सैकड़ो कर्मचारी अपनी नौकरी न छीने जाने की गुहार लेकर पहुंचे तो अधिकारियों ने भरोसा दिलाया की कोशिश की जाएगी कि कंपनी के कर्मचारियों का समायोजन किया जाए, जिससे उनकी नौकरी न जाने पाए.

ये भी पढ़ें- अवध आ रहे श्रीराम: रामलला की तीन सुंदर प्रतिमाओं में प्राण प्रतिष्ठा के लिए एक का चयन दो दिन में होगा, राम भक्तों का पग-पग पर होगा भव्य स्वागत

लखनऊ: एक तरफ सरकारी विभागों में तेजी से निजीकरण बढ़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ यूपी परिवहन विभाग निजी कर्मचारियों को ही नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा (UP Transport Department employees face job crisis) रहा है. उत्तर प्रदेश में ड्राइविंग लाइसेंस से संबंधित काम करने वाले सैकड़ों कर्मचारियों की नौकरी पर संकट मंडराने लगा है. कर्मचारी अधिकारियों के आगे हाथ जोड़कर नौकरी बचाने की गुहार लगा रहे हैं. परिवहन विभाग में 10 वर्ष पहले अनुबंध पर सैकड़ों कर्मचारी रखे गए थे. विभाग अब सेवा प्रदाता कंपनी का अनुबंध नहीं बढ़ाया जाएगा.

परिवहन विभाग से अनुबंधित सेवा प्रदाता स्मार्ट चिप की सेवाएं फरवरी 2024 में खत्म हो जाएंगी. सेवा प्रदाता ने 10 साल पूर्व जिलों में 350 से अधिक कर्मचारी तैनात किए थे. इनसे आरटीओ और एआरटीओ कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदकों की स्क्रूटनी से लेकर बायोमैट्रिक तक के कार्य कराए जा रहे थे. इसका मकसद लोगों को दलालों से बचाकर निर्धारित शुल्क पर ट्रांसपेरेंसी से काम कराना था, लेकिन अब कर्मचारियों का कहना है कि सेवा प्रदाता पर उल्टा दलाली का आरोप लगा दिया गया है.

इसका संज्ञान लेकर परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह ने सेवा प्रदाता का कार्यकाल आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया है. इसके विरोध में प्रदेश भर के सैकड़ों कर्मचारी गुरुवार को परिवहन विभाग के सीनियर अफसरों से मिले. कहा कि 10 सालों में न किसी तरह का आरोप न तो कहीं कोई शिकायत हुई है. अब अचानक आरोप लगाकर नौकरी से बाहर किए जाने की तैयारी है. इससे सैकड़ों परिवारों के सामने रोजी-रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा.

कर्मचारियों का कहना है कि फरवरी में खत्म हो रहे सेवा प्रदाता के टेंडर में इस बार सिर्फ मुख्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस प्रिंट करने का ठेका दिया गया है. इस व्यवस्था से आवेदकों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. आलम यह है कि प्रदेश में तमाम आवेदकों को समय पर ड्राइविंग लाइसेंस नहीं मिल पा रहे हैं. प्रदेश के कई जिलों से लोग डीएल के लिए अपना काम छोड़ कर सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय कर और किराया खर्च कर जानकारी लेने आते हैं, लेकिन यहां पर उन्हें इसकी जानकारी देने वाला कोई नहीं है. ड्राइविंग लाइसेंस प्रिंट के नाम पर करोड़ों रुपए की धनराशि खर्च हो रही है. इस काम को आसानी से आरटीओ कार्यालय से भी किया जा सकता है. इससे विभाग का पैसा भी बचाया जा सकता है और आवेदकों की समस्या भी खत्म हो सकती है.

अधिकारियों ने दिया समायोजन का भरोसा: परिवहन विभाग मुख्यालय पर स्मार्ट चिप सेवा प्रदाता कंपनी के सैकड़ो कर्मचारी अपनी नौकरी न छीने जाने की गुहार लेकर पहुंचे तो अधिकारियों ने भरोसा दिलाया की कोशिश की जाएगी कि कंपनी के कर्मचारियों का समायोजन किया जाए, जिससे उनकी नौकरी न जाने पाए.

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