लखनऊ : यूपी में भारतीय सेना में भर्ती कराने के नाम पर जालसाजी करने का गैंग चलाया जा रहा था. यूपी एसटीएफ ने यह खुलासा दो लोगों को गिरफ्तार करने के बाद किया है. आरोपी सेना में भर्ती करने के एवज में 7-7 लाख रुपए लेते और फर्जी नियुक्ति पत्र देकर फरार हो जाते थे. एसटीएफ के मुताबिक, गैंग के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए प्रयास जारी है. गिरफ्तार किए गए दो युवक जीजा व साला बताए जा रहे हैं.
एसएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम ने बताया कि 'सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर उगाही करने के कई गैंग राज्य में सक्रिय हैं. इनकी धड़पकड़ के लिए कई टीम गठित की गई हैं. सोमवार को देर रात सूचना मिली थी कि कुछ अभ्यर्थियों से नौकरी के नाम पर पैसे लेने ऐसा ही एक गैंग का सरगना चिनहट इलाके के मटियारी चौराहे पर आने वाला है. जिसके बाद टीम ने घेराबंदी कर इब्राहिमपुर, अम्बेडकर नगर निवासी मनीष यादव को गिरफ्तार कर लिया है. टीम ने आरोपी के पास से पांच अलग-अलग सरकारी विभागों के आईडी कार्ड, ज्वाइनिंग इंस्ट्रक्शन व लैपटॉप बरामद किया है.
भर्ती के लिए लेता था सात लाख रुपये : पूछताछ में आरोपी मनीष यादव ने बताया कि 'वह अपने साले जितेन्द्र राजपूत और सुशील मौर्य के साथ मिलकर भारतीय सेना में भर्ती के नाम पर बेरोजगारों को शिकार बनाते हैं. अब तक करीब 15-20 युवाओं से भर्ती के नाम पर 7-7 लाख रुपये ले चुके हैं, जिन्हे आपस में बांट लिया जाता था.' उसने बताया कि 'उसके पास से बरामद हुए फर्जी आईडी कार्ड और ज्वाइनिंग इंस्ट्रक्शन साले जितेन्द्र के साइबर कैफे से डाउनलोड करके फर्जी तरीके से बनाए हैं.'
मनीष ने दे रखी थी जालसाजी की जिम्मेदारी : आरोपी मनीष यादव ने बताया कि 'जौनपुर के रहने वाले सुशील का काम लड़कों को भर्ती के नाम पर अपने जाल में फंसाना था. साले जितेन्द्र का काम फर्जी तरीके से कागजात तैयार करना था, वहीं अभ्यर्थियों से पैसों और भर्ती करने की डील वह खुद करता था.' एसएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम ने बताया कि 'मनीष यादव के बयान के आधार पर अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए टीम रवाना हो गई है, वहीं मनीष को अग्रिम कार्रवाई के लिए थाना चिनहट में दाखिल कर दिया गया है.'
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