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शासन के पेंच में फंसे परिवहन निगम के 348 करोड़ रुपये

कोराना काल में यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम की हालत खराब होती जा रही है. कोरोना की वजह से यात्री नहीं होने के कारण परिवहन निगम में आय का स्रोत न के बराबर है. वहीं, परिवहन निगम की करीब 348 करोड़ से ज्यादा की धनराशि सरकार के पास फंसी हुई है.

यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम
यूपी राज्य सड़क परिवहन निगम
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Published : May 16, 2021, 10:19 PM IST

लखनऊ: कोरोना से उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की हालत खस्ता होती जा रही है. इसी तरह अगले माह तक स्थिति और यही रही तो रोडवेज को अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक के लिए सोंचना पड़ जाएगा. वजह है कि वर्तमान में बसों का संचालन काफी कम संख्या में हो रहा है, ऐसे में रोडवेज के पास आय का कोई अन्य जरिया नहीं बचा है. उस पर पिछली बार जब सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए मुफ्त में बसें उपलब्ध कराई थीं तो इसका पूरा भुगतान भी अब तक नहीं हुआ है. अभी भी परिवहन निगम की करीब 348 करोड़ से ज्यादा की धनराशि सरकार के पास फंसी हुई है. इस तरफ रोडवेज प्रशासन कोई प्रयास नहीं कर रहा है और शासन सांस नहीं ले रहा है.

बकाया हैं 348 करोड़ रुपये
परिवहन निगम ने पिछले साल उत्तर प्रदेश सरकार के कहने पर प्रवासी श्रमिकों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए मुफ्त में रोडवेज बसों का संचालन किया था. इससे रोडवेज का प्रदेश सरकार पर 648 करोड़ रुपये का भुगतान बाकी हो गया था. तत्कालीन प्रबंध निदेशक राजशेखर ने प्रयास किया तो 300 करोड़ रुपये सरकार ने रोडवेज प्रशासन को दे दिए, लेकिन इसके बाद एमडी राजशेखर का तबादला हो गया. देखते ही देखते फिर से कोरोना की दूसरी लहर आ गई. ऐसे में परिवहन निगम को अन्तर्राजीय बस सेवाएं बंद कर देनी पड़ीं, जिससे बड़ी समस्या खड़ी हो गई.

अब रोडवेज प्रशासन अंतर्जनपदीय बसों का संचालन कर सिर्फ प्रवासी श्रमिकों को ही उनके घर तक पहुंचाने के लिए बसें चला रहा है. लॉकडाउन के चलते नियमित यात्री नहीं मिल रहे हैं. लिहाजा, अब आने वाले दिनों में रोडवेज प्रशासन के सामने अपने कर्मचारियों को वेतन देने का संकट खड़ा हो गया है, जबकि रोडवेज का अपना 348 करोड़ रुपये सरकार पर बकाया है. अगर सरकार यह पैसा रोडवेज प्रशासन को दे दे तो कर्मचारियों को अगले दो से तीन माह तक आराम से वेतन मिल सकता है. फिलहाल इस ओर परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक धीरज साहू की तरफ से कोई खास प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, जिसके चलते शासन भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है. इन दोनों के चक्कर में परिवहन निगम के कर्मचारी पिस रहे हैं.

एमडी नहीं कर रहे कोई प्रयास
इस बारे में जब परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक से बात करने का प्रयास किया गया तो वह सुबह से व्यस्त ही हैं. इस कारण कोई जानकारी नहीं हुई, लेकिन परिवहन निगम के सीनियर अधिकारियों की मानें तो अभी भी 348 करोड़ रुपये बकाया है, लेकिन इस तरफ विभागीय मुखिया ने शासन पर कोई दबाव भी नहीं बनाया है. इसके चलते भविष्य में परिवहन निगम कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने में भी बड़ी समस्याएं खड़ी होना तय है.

इसे भी पढ़ें- सीएम योगी का दावा, प्रदेश में घट रही कोविड मरीजों की संख्या

लखनऊ: कोरोना से उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की हालत खस्ता होती जा रही है. इसी तरह अगले माह तक स्थिति और यही रही तो रोडवेज को अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक के लिए सोंचना पड़ जाएगा. वजह है कि वर्तमान में बसों का संचालन काफी कम संख्या में हो रहा है, ऐसे में रोडवेज के पास आय का कोई अन्य जरिया नहीं बचा है. उस पर पिछली बार जब सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को घर पहुंचाने के लिए मुफ्त में बसें उपलब्ध कराई थीं तो इसका पूरा भुगतान भी अब तक नहीं हुआ है. अभी भी परिवहन निगम की करीब 348 करोड़ से ज्यादा की धनराशि सरकार के पास फंसी हुई है. इस तरफ रोडवेज प्रशासन कोई प्रयास नहीं कर रहा है और शासन सांस नहीं ले रहा है.

बकाया हैं 348 करोड़ रुपये
परिवहन निगम ने पिछले साल उत्तर प्रदेश सरकार के कहने पर प्रवासी श्रमिकों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए मुफ्त में रोडवेज बसों का संचालन किया था. इससे रोडवेज का प्रदेश सरकार पर 648 करोड़ रुपये का भुगतान बाकी हो गया था. तत्कालीन प्रबंध निदेशक राजशेखर ने प्रयास किया तो 300 करोड़ रुपये सरकार ने रोडवेज प्रशासन को दे दिए, लेकिन इसके बाद एमडी राजशेखर का तबादला हो गया. देखते ही देखते फिर से कोरोना की दूसरी लहर आ गई. ऐसे में परिवहन निगम को अन्तर्राजीय बस सेवाएं बंद कर देनी पड़ीं, जिससे बड़ी समस्या खड़ी हो गई.

अब रोडवेज प्रशासन अंतर्जनपदीय बसों का संचालन कर सिर्फ प्रवासी श्रमिकों को ही उनके घर तक पहुंचाने के लिए बसें चला रहा है. लॉकडाउन के चलते नियमित यात्री नहीं मिल रहे हैं. लिहाजा, अब आने वाले दिनों में रोडवेज प्रशासन के सामने अपने कर्मचारियों को वेतन देने का संकट खड़ा हो गया है, जबकि रोडवेज का अपना 348 करोड़ रुपये सरकार पर बकाया है. अगर सरकार यह पैसा रोडवेज प्रशासन को दे दे तो कर्मचारियों को अगले दो से तीन माह तक आराम से वेतन मिल सकता है. फिलहाल इस ओर परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक धीरज साहू की तरफ से कोई खास प्रयास नहीं किए जा रहे हैं, जिसके चलते शासन भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है. इन दोनों के चक्कर में परिवहन निगम के कर्मचारी पिस रहे हैं.

एमडी नहीं कर रहे कोई प्रयास
इस बारे में जब परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक से बात करने का प्रयास किया गया तो वह सुबह से व्यस्त ही हैं. इस कारण कोई जानकारी नहीं हुई, लेकिन परिवहन निगम के सीनियर अधिकारियों की मानें तो अभी भी 348 करोड़ रुपये बकाया है, लेकिन इस तरफ विभागीय मुखिया ने शासन पर कोई दबाव भी नहीं बनाया है. इसके चलते भविष्य में परिवहन निगम कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने में भी बड़ी समस्याएं खड़ी होना तय है.

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