लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. राजशेखर ने कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं. इसके मुताबिक वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान परिवहन निगम के बस बेड़े में बसों की बढ़ोतरी नहीं की जाएगी. इसके अलावा परिवहन निगम के साथ अब निजी बसों का अनुबंध भी नहीं होगा.
उनका कहना है कि यह फैसला कोरोना के दौरान यात्रियों की संख्या में आई बड़ी कमी के चलते लिया गया है. अगले वित्तीय वर्ष के लिए कई और भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जिससे परिवहन निगम को घाटा न होने पाए. उनका कहना है कि कोरोना से पहले जितनी संख्या में यात्री रोडवेज बसों में सफर करते थे, अभी तक उनकी संख्या आधी ही पहुंच पाई है. ऐसे में बसों के संचालन को लेकर बदलाव किए गए हैं.
यात्रियों की संख्या में गिरावट
रोडवेज के एमडी राजशेखर का कहना है कि लॉकडाउन के बाद 1 जून से सरकार ने रोडवेज बसों को संचालन की इजाजत दी. इसके बाद बसों का ऑपरेशन शुरू हुआ. 1 जून को यात्रियों के कुल संख्या 52000 रही थी, जो 28 जून तक 705801 हुई. यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी तो हो रही है, लेकिन लॉकडाउन से पूर्व प्रतिदिन यात्रा करने वाले लगभग 15,000,00 यात्रियों के बराबर नहीं हो पाई है.
कार्य योजना में होगा परिवर्तन
उन्होंने बताया कि इसी को ध्यान में रखते हुए परिवहन निगम द्वारा संचालन लाभदायकता में बढ़ोतरी और व्यय को नियंत्रित करने के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए कार्य योजना तैयार की गई है. इसके तहत वर्तमान संचालन को ध्यान में रखकर अब निगम बस बेड़े में बसों की बढ़ोतरी नहीं की जाएगी. नई निजी बसों की अनुबंध प्रक्रिया बंद रहेगी. अनुबंधित बसों की अनुबंध अवधि पूर्ण होने पर प्रतिस्थापन की प्रक्रिया बंद रहेगी.
मार्ग पर संचालित बसों की संख्या का निर्धारण इस प्रकार से किया जाएगा कि जिन मार्गों पर यात्रियों की उपलब्धता कम है, उन पर संचालित बसों की संख्या कम की जाए. अधिक यात्री उपलब्धता वाले मार्गों पर बसों की संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी. मुख्यालय स्तर पर गठित समिति संचालन प्रतिफलों का नियमित रूप से समीक्षा करेगी. यात्री उपलब्धता और संचालन की आवश्यकता को ध्यान में रखकर समय-समय पर कार्य योजना में परिवर्तन भी किया जाएगा.
नहीं जोड़ी जाएंगी रोडवेज बसें
बता दें कि 1000 नई बसें जुड़नी थीं, लेकिन कोरोना वायरस के कारण अब कार्य योजना में परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. राजशेखर ने तब्दीली कर दी है, जिसके बाद अब इतनी संख्या में बसें रोडवेज बस बड़े से नहीं जोड़ी जाएंगी. अभी 10,000 के करीब परिवहन निगम की अपनी बसें हैं.