लखनऊ: यूपी SIT ने बड़ी कार्रवाई करते हुए ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक भर्ती घोटाले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. SIT ने आरोपियों के पास से 44 लाख रुपये भी बरामद किए हैं. बता दें कि वर्ष 2018 में 1953 पदों के लिए ये परीक्षा हुई थी. इसमें जमकर हुई अनियमितता के चलते परीक्षा निरस्त कर दी गई थी.
डीजी एसआईटी डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से 44 लाख रुपये बरामद किए गए हैं. उन्होंने बताया कि 22 और 23 दिसंबर 2018 को परीक्षा होने के बाद दिल्ली की एसआरएन कंपनी को स्कैनिंग का काम दिया गया था. उसने स्कैनिंग का काम केडी इंटर प्राइजेज से कराया. स्कैनिंग के दौरान ही सांठगांठ कर अभ्यर्थियों की ओएमआरशीट निकालकर सही उत्तर भरे गए थे.
विभूतिखंड थाने में दर्ज कराई गई थी एफआईआर
ओएमआरशीट शीट में गड़बड़ी सामने आने पर अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अनुसचिव राम नरेश प्रजापति ने लखनऊ के विभूतिखंड में 29 अगस्त 2019 को एफआईआर दर्ज कराई थी.इस मामले में एसआईटी ने प्रारंभिक पूछताछ के बाद 46 लोगों पर एफआईआर दर्ज की थी. इस मामले में जल्द ही एजेंसी के पदाधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी.
इसे भी पढ़ें- केजीएमयू शिक्षक भर्ती घोटाले में राजभवन में कुलपति तलब
खाली छोड़ दी गई थी ओएमआर शीट
डीजी एसआईटी ने बताया कि इस भर्ती में सुनियोजित तरीके से धांधली कर अभ्यर्थियों से लाखों रुपये वसूले गए. परीक्षा कराने वाली एजेंसी के सदस्यों और प्रदेश स्तर के दलालों ने पूरा खेल रचा था. जिन अभ्यर्थियों से सौदा हो गया था, उन्हें ओएमआर शीट खाली छोड़ देने के लिए कहा गया था. स्कैनिंग के समय ऐसी ओएमआर शीट निकालकर उसमें सही विकल्प को भर दिया जाता था. इसके बाद ओएमआर शीट स्कैनिंग रूप में पहुंचा दी जाती थी.
ये हुए गिरफ्तार
मुरादाबाद के कमलेश सिंह, मऊ के अतुल कुमार राय, अयोध्या के दीपक वर्मा, लखनऊ के राजीव जोसफ, जालौन के महेंद्र सिंह, गाजीपुर के आरपी यादव, संभल के रामवीर सिंह, मुरादाबाद के सत्यपाल सिंह, हरदोई के विमलेश, लखनऊ के नीरज व गाजियाबाद के रोहित को गिरफ्तार किया गया है. आरपी यादव के पास से 19 लाख, रामवीर के पास से 17 लाख और सत्यपाल के पास से 8 लाख रुपये बरामद किए गए हैं.