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16 महीने से शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन की कुर्सी खाली, जानें क्यों नहीं हो पा रहा चयन? - वसीम रिजवी

यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड (UP Shia Central Waqf Board) का गठन 16 महीने बाद भी नहीं हो सका है. वक्फ बोर्ड का गठन अधूरा होने के कारण चेयरमैन की नियुक्ति भी नहीं हो सकी है.

यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड
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Published : Sep 25, 2021, 6:17 PM IST

लखनऊः यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड (UP Shia Central Waqf Board) का गठन 16 महीने बाद भी नहीं हो सका है. यूपी चुनाव से पहले योगी सरकार (Yogi Government) ने अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़ी इकाइयों, बोर्ड, समितियों का गठन कर दिया है, लेकिन शिया वक्फ बोर्ड का गठन अधूरा होने से चेयरमैन का चुनाव नहीं हो पा रहा है. जानकारों की मानें तो चेयरमैन की खाली पड़ी कुर्सी के चलते वक्फ से जुड़े मामले लंबित हो रहे हैं. इसमें प्रमुख रूप से मुतवल्लीशिप जारी करना और उनका रिनिविल करना भी है.

अल्लामा जमीर नकवी, वक्फ मामलों के जानकार.
बता दें कि वक्फ एक्ट 1995 के तहत 11 सदस्यीय बोर्ड में दो सांसद, दो विधानमंडल, दो बार काउंसिल के सदस्य और 2 मुतवल्ली, 1 मुस्लिम स्कॉलर, 1 सामाजिक कार्यकर्ता और एक उपसचिव स्तर की अधिकारी होते हैं. हालांकि 11 सदस्य नहीं होने पर कम से कम 9 सदस्य होने पर भी बोर्ड का गठन किया जा सकता है. योगी सरकार द्वारा चार सदस्य नामित करने और चुनकर आने वाले 3 सदस्यों के बाद भी बोर्ड में अब तक दो सदस्यों को नामित नहीं किया गया है. जिससे बोर्ड का गठन अधूरा रह गया है. ऐसे में चेयरमैन का चुनाव संभव नहीं है और वसीम रिजवी के बाद से अब तक यह पद खाली है.
वक्फ एक्ट के तहत शिया वक्फ बोर्ड में विधानमंडल कोटे से न्यूनतम 1 और अधिकतम 2 सदस्य होना जरूरी है, जिसका चयन अब तक नहीं हो सका है. इसके अलावा विधायक कोटे की कुर्सी शिया वक्फ बोर्ड में खाली है. इसी के साथ एक उपसचिव स्तर की महिला अधिकारी को भी राज्य सरकार नामित कर बोर्ड का सदस्य बनाती है. लेकिन योगी सरकार ने अब तक किसी भी अफसर को नामित नहीं किया है, जिससे बोर्ड का कोरम अधूरा रह गया है. यही कारण है कि चेयरमैन का चुनाव लंबित ही रहा है.
राज्य सरकार द्वारा नामित चार सदस्यों में मुस्लिम स्कॉलर मौलाना रजा हुसैन, समाजिक कार्यकर्ता हसन कौसर, बार काउंसिल से सय्यद शबाहत हुसैन, मोहम्मद जरयाब जमाल रिजवी का नाम शामिल हैं. वहीं, मुतवल्ली कोटे से चुनकर आये 2 सदस्य वसीम रिजवी और सय्यद फैजी के साथ सांसद कोटे से निर्विरोध एक सदस्य बेगम नूर बनो में मौजूद है. कुल मिलाकर अभी तक सिर्फ 7 ही सदस्य शिया वक्फ बोर्ड में जगह बना पाए हैं, जबकि न्यूनतम 9 सदस्य होने पर ही चेयरमैन का चुनाव कराया जा सकता है.

इसे भी पढ़ें-प्रतापगढ़: कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी और सांसद संगमलाल गुप्ता में मारपीट, फटे कुर्ते टूटी कुर्सियां



वक्फ मामलों के जानकर अल्लामा जमीर नकवी ने बताया कि चेयरमैन का चुनाव नहीं होने से वक्फ बोर्ड का गठन अधूरा है. उन्होंने कहा कि बोर्ड को ही वक्फ मामलों में निर्णय लेने का अधिकार है, इसलिए काम प्रभावित हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करें या फिर पारदर्शिता से शिया वक्फ बोर्ड का चुनाव कराए. अल्लामा जमीर ने पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी को BJP और RSS का बेहद करीबी बताया. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा नामित सदस्यों के वोट से अगला चेयरमैन वसीम रिजवी या फिर उसका कोई साथी हो सकता है.

लखनऊः यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड (UP Shia Central Waqf Board) का गठन 16 महीने बाद भी नहीं हो सका है. यूपी चुनाव से पहले योगी सरकार (Yogi Government) ने अल्पसंख्यक वर्ग से जुड़ी इकाइयों, बोर्ड, समितियों का गठन कर दिया है, लेकिन शिया वक्फ बोर्ड का गठन अधूरा होने से चेयरमैन का चुनाव नहीं हो पा रहा है. जानकारों की मानें तो चेयरमैन की खाली पड़ी कुर्सी के चलते वक्फ से जुड़े मामले लंबित हो रहे हैं. इसमें प्रमुख रूप से मुतवल्लीशिप जारी करना और उनका रिनिविल करना भी है.

अल्लामा जमीर नकवी, वक्फ मामलों के जानकार.
बता दें कि वक्फ एक्ट 1995 के तहत 11 सदस्यीय बोर्ड में दो सांसद, दो विधानमंडल, दो बार काउंसिल के सदस्य और 2 मुतवल्ली, 1 मुस्लिम स्कॉलर, 1 सामाजिक कार्यकर्ता और एक उपसचिव स्तर की अधिकारी होते हैं. हालांकि 11 सदस्य नहीं होने पर कम से कम 9 सदस्य होने पर भी बोर्ड का गठन किया जा सकता है. योगी सरकार द्वारा चार सदस्य नामित करने और चुनकर आने वाले 3 सदस्यों के बाद भी बोर्ड में अब तक दो सदस्यों को नामित नहीं किया गया है. जिससे बोर्ड का गठन अधूरा रह गया है. ऐसे में चेयरमैन का चुनाव संभव नहीं है और वसीम रिजवी के बाद से अब तक यह पद खाली है.
वक्फ एक्ट के तहत शिया वक्फ बोर्ड में विधानमंडल कोटे से न्यूनतम 1 और अधिकतम 2 सदस्य होना जरूरी है, जिसका चयन अब तक नहीं हो सका है. इसके अलावा विधायक कोटे की कुर्सी शिया वक्फ बोर्ड में खाली है. इसी के साथ एक उपसचिव स्तर की महिला अधिकारी को भी राज्य सरकार नामित कर बोर्ड का सदस्य बनाती है. लेकिन योगी सरकार ने अब तक किसी भी अफसर को नामित नहीं किया है, जिससे बोर्ड का कोरम अधूरा रह गया है. यही कारण है कि चेयरमैन का चुनाव लंबित ही रहा है.
राज्य सरकार द्वारा नामित चार सदस्यों में मुस्लिम स्कॉलर मौलाना रजा हुसैन, समाजिक कार्यकर्ता हसन कौसर, बार काउंसिल से सय्यद शबाहत हुसैन, मोहम्मद जरयाब जमाल रिजवी का नाम शामिल हैं. वहीं, मुतवल्ली कोटे से चुनकर आये 2 सदस्य वसीम रिजवी और सय्यद फैजी के साथ सांसद कोटे से निर्विरोध एक सदस्य बेगम नूर बनो में मौजूद है. कुल मिलाकर अभी तक सिर्फ 7 ही सदस्य शिया वक्फ बोर्ड में जगह बना पाए हैं, जबकि न्यूनतम 9 सदस्य होने पर ही चेयरमैन का चुनाव कराया जा सकता है.

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वक्फ मामलों के जानकर अल्लामा जमीर नकवी ने बताया कि चेयरमैन का चुनाव नहीं होने से वक्फ बोर्ड का गठन अधूरा है. उन्होंने कहा कि बोर्ड को ही वक्फ मामलों में निर्णय लेने का अधिकार है, इसलिए काम प्रभावित हो रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करें या फिर पारदर्शिता से शिया वक्फ बोर्ड का चुनाव कराए. अल्लामा जमीर ने पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी को BJP और RSS का बेहद करीबी बताया. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा नामित सदस्यों के वोट से अगला चेयरमैन वसीम रिजवी या फिर उसका कोई साथी हो सकता है.

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