देहरादून: उत्तराखंड गठन के 21 साल बाद यूपी रोडवेज को बंटवारे के तहत 100 करोड़ से अधिक धनराशि का भुगतान करना था. ये मामला आजतक अधर में लटका हुआ है. वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश परिवहन निगम पर करोड़ों रुपये टैक्स चोरी और देनदारी का मामला सामने आया है. जानकारी अनुसार लंबे समय से उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसें बिना टैक्स दिए ही उत्तराखंड में संचालित हो रही हैं. जिसके चलते उत्तराखंड परिवहन निगम को प्रतिमाह करोड़ों के राजस्व का घाटा हो रहा है.
टैक्स भुगतान को लेकर पत्राचार बेनतीजा: टैक्स भुगतान को लेकर उत्तराखंड परिवहन निगम द्वारा कई बार यूपी रोडवेज विभाग से पत्राचार किया जा चुका है, लेकिन अभी तक इस पर कोई सुनवाई नहीं हुई है. जानकारी अनुसार वर्ष 2021 से वर्तमान समय तक उत्तराखंड में संचालित होने वाली उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों का टैक्स राज्य परिवहन विभाग को नहीं मिल रहा है. जबकि उत्तर प्रदेश में चलने वाली उत्तराखंड की बसों का टैक्स प्रतिमाह 2 करोड़ रुपये का भुगतान यूपी रोडवेज को दिया जा रहा है.
बंस संचालन को लेकर कोई परमिट एग्रीमेंट नहीं: राज्य गठन के बाद उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश STA (स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी) के बीच निगम बसों के संचालन को लेकर कोई परमिट एग्रीमेंट नहीं हुआ है. हालांकि, दोनों राज्यों के रोडवेज बोर्ड में आपसी समझौता के तहत ही एक-दूसरे के राज्य में बसों के संचालन का टैक्स बिना किसी सर्वे के तहत अनुमानित तौर पर दिया जाता है. उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारी यूनियन पदाधिकारी अशोक चौधरी के मुताबिक यूपी रोडवेज मात्र 30 लाख की धनराशि उत्तराखंड परिवहन निगम को टैक्स के रूप में देती रही है. जबकि विगत समय में एक सर्वे के अनुसार यूपी रोडवेज की बसों का संचालन उत्तराखंड में प्रतिदिन लगभग 1500 की संख्या में होता है, जिसके हिसाब से उनके ऊपर प्रतिमाह औसतन 3 करोड़ रुपए टैक्स का बनता है.
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हर दिन 1500 बसें संचालित: 2021 तक रोडवेज बसों में ₹100 प्रति सीट प्रति माह की दर से टैक्स निर्धारित था, जो नवंबर 2021 से बढ़ाकर प्रति सीट 400 प्रति माह कर दिया गया है. ऐसे में उत्तर प्रदेश की 1500 बसें प्रतिदिन उत्तराखंड में संचालित होती हैं. उसके हिसाब से यूपी रोडवेज पर प्रतिमाह 3 करोड़ रुपए टैक्स बनता है, लेकिन मनमाना रवैया के चलते उत्तर प्रदेश परिवहन निगम टैक्स को नहीं अदा कर रहा है. जिसके कारण पहले से आर्थिक घाटे से जूझ रहे उत्तराखंड रोडवेज को करोड़ों का राजस्व घाटा हो रहा है.
यूपी रोडवेज को रोका गया: उत्तरांचल कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारी अशोक चौधरी ने बताया कि यह मामला साल 2016 से सबसे अधिक चर्चाओं में आया था. क्योंकि 2016 में जब टैक्स अदा न करने वाली कुछेक यूपी रोडवेज की बसों को उत्तराखंड में रोका गया तो, दबावपूर्ण रवैया बनाते हुए यूपी में संचालित होने वाली उत्तराखंड की सैकड़ों बसों को ड्राइवर, कंडक्टर सहित बंधक बना लिया गया. मामले में विवाद होते ही तत्कालीन सपा सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत को इस विषय पर हस्तक्षेप कर बातचीत करनी पड़ी.
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यूपी-यूके बोर्ड विवाद: यूपी रोडवेज बोर्ड द्वारा उस समय शर्त रखी गई थी, उनकी बसों को रोकने वाले आरटीओ को निलंबित किया जाए. इस दबावपूर्ण रवैये के चलते उत्तराखंड के आरटीओ को 1 माह के लिए सस्पेंड किया गया. तब जाकर उत्तराखंड की बसों को बंधन मुक्त किया गया. कर्मचारी यूनियन पदाधिकारी अशोक चौधरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश रोडवेज द्वारा टैक्स सही रूप में अदा न करने का मामला लगातार मनमाने ढंग से बढ़ता जा रहा है. उत्तर प्रदेश परिवहन निगम इस बात को मानने को राजी नहीं कि प्रतिदिन उनकी बसें उत्तराखंड में प्रतिदिन 1500 की संख्या से अधिक चलती हैं.
जबकि अलग-अलग डिपो में इसके सर्वे में यह पाया गया है कि उत्तराखंड में यूपी रोडवेज की 1500 अधिक बसें प्रतिदिन संचालित होती हैं. जिसके मुताबिक वर्तमान समयानुसार टैक्स के रूप में 3 करोड़ रुपए प्रतिमाह भुगतान बनता है. जिसे यूपी रोडवेज दबावपूर्ण रवैया के चलते नहीं अदा कर रहा है.