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यूपी रेरा ने कसा शिकंजा : प्रमोटरों को हर छह माह में देनी होगी ऑडिट रिपोर्ट, निर्देश जारी

यूपी रेरा ने आवासीय परियोजनाओं के बैंक खातों के संबंध में संशोधित (builders in UP) निर्देश जारी किए हैं. रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने बताया कि 'प्रमोटर के लिए अनिवार्य किया गया है कि परियोजना के बैंक खातों का वार्षिक ऑडिट कराया जाए.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 12, 2023, 3:48 PM IST

लखनऊ : यूपी रेरा ने आवासीय परियोजनाओं के बैंक खातों के संबंध में संशोधित निर्देश जारी किए हैं. इन निर्देशों में बैंक खातों के खोलने, उनके संचालन, प्रमोटर द्वारा रेरा को दी जाने वाली रिपोर्ट्स, खातों की ऑडिटिंग, उनमें परिवर्तन तथा उन्हें बन्द करने के सम्बन्ध में भी स्पष्ट व्यवस्था निर्धारित कर दी गई है. हर बिल्डर को अपने एकाउंट की ऑडिट रिपोर्ट हर छह महीने में देना होगा.


इन बातों का रखना है ध्यान : रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने बताया कि 'रेरा में पंजीकृत परियोजनाओं के बैंक खातों की व्यवस्था में पारदर्शिता प्रामाणिक होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि रेरा को इस बात का भी ध्यान देना है कि ऐसी स्थिति भी आ सकती है, जब किसी परियोजना के बैंक खाते में परिवर्तन अपिहार्य हो जाए और ऐसी भी परिस्थितियां भी आ सकती हैं कि किसी बैंक खाते का फॉरेन्सिक ऑडिट आवश्यक हो जाए.'

परियोजना के बैंक खातों की ऑडिटिंग : रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने बताया कि 'प्रमोटर के लिए अनिवार्य किया गया है कि परियोजना के बैंक खातों का ऑडिट कराया जाए. वित्तीय वर्ष बीतने के छह माह के अंदर रेरा की वेबसाइट पर रिपोर्ट अपलोड किया जाए. बैंक खाते में गंभीर अनियमितता मिलने पर या गम्भीर शिकायत आने पर रेरा द्वारा किसी प्रतिष्ठित ऑडिटिंग फर्म से परियोजना के खातों का फॉरेन्सिक ऑडिट कराया जा सकेगा, जिसका व्यय प्रमोटर द्वारा ही उठाया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रमोटर द्वारा खाते में संशोधन के लिए ऑनलाइन आवदेन किया जा सकेगा और अपवाद स्वरूप परिस्थितियों में प्रमोटर द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से संतुष्ट होने पर रेरा बैंक खाते में परिवर्तन की स्वीकृति प्रदान कर सकता है.'

आवेदन का किया जाएगा परीक्षण : उन्होंने बताया कि 'प्रमोटर के आवेदन का परीक्षण किया जाएगा और संतुष्ट होने पर प्रोमोटर को परियोजना का सेपरेट एकाउंट बन्द करने और खाते में अवशेष धनराशि निकालने की अनुमति प्रदान की जा सकेगी. अगर प्रमोटर द्वारा सभी देनदारियों के समाधान के सम्बन्ध में गलत बयानी की गई होगी तो परियोजना के खाते को बंद करने की अनुमति के बाद भी प्रमोटर अपनी जिम्मदारियों से मुक्त नहीं होगा.'

यह भी पढ़ें : रेरा पर 45 हजार शिकायतों का बोझ, बिल्डरों ने किया यह खेल

यह भी पढ़ें : RERA action on builders : बिल्डरों ने जनता के 50 हजार करोड़ लूटे, रेरा का यह है एक्शन प्लान

लखनऊ : यूपी रेरा ने आवासीय परियोजनाओं के बैंक खातों के संबंध में संशोधित निर्देश जारी किए हैं. इन निर्देशों में बैंक खातों के खोलने, उनके संचालन, प्रमोटर द्वारा रेरा को दी जाने वाली रिपोर्ट्स, खातों की ऑडिटिंग, उनमें परिवर्तन तथा उन्हें बन्द करने के सम्बन्ध में भी स्पष्ट व्यवस्था निर्धारित कर दी गई है. हर बिल्डर को अपने एकाउंट की ऑडिट रिपोर्ट हर छह महीने में देना होगा.


इन बातों का रखना है ध्यान : रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने बताया कि 'रेरा में पंजीकृत परियोजनाओं के बैंक खातों की व्यवस्था में पारदर्शिता प्रामाणिक होनी चाहिए. उन्होंने बताया कि रेरा को इस बात का भी ध्यान देना है कि ऐसी स्थिति भी आ सकती है, जब किसी परियोजना के बैंक खाते में परिवर्तन अपिहार्य हो जाए और ऐसी भी परिस्थितियां भी आ सकती हैं कि किसी बैंक खाते का फॉरेन्सिक ऑडिट आवश्यक हो जाए.'

परियोजना के बैंक खातों की ऑडिटिंग : रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी ने बताया कि 'प्रमोटर के लिए अनिवार्य किया गया है कि परियोजना के बैंक खातों का ऑडिट कराया जाए. वित्तीय वर्ष बीतने के छह माह के अंदर रेरा की वेबसाइट पर रिपोर्ट अपलोड किया जाए. बैंक खाते में गंभीर अनियमितता मिलने पर या गम्भीर शिकायत आने पर रेरा द्वारा किसी प्रतिष्ठित ऑडिटिंग फर्म से परियोजना के खातों का फॉरेन्सिक ऑडिट कराया जा सकेगा, जिसका व्यय प्रमोटर द्वारा ही उठाया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रमोटर द्वारा खाते में संशोधन के लिए ऑनलाइन आवदेन किया जा सकेगा और अपवाद स्वरूप परिस्थितियों में प्रमोटर द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से संतुष्ट होने पर रेरा बैंक खाते में परिवर्तन की स्वीकृति प्रदान कर सकता है.'

आवेदन का किया जाएगा परीक्षण : उन्होंने बताया कि 'प्रमोटर के आवेदन का परीक्षण किया जाएगा और संतुष्ट होने पर प्रोमोटर को परियोजना का सेपरेट एकाउंट बन्द करने और खाते में अवशेष धनराशि निकालने की अनुमति प्रदान की जा सकेगी. अगर प्रमोटर द्वारा सभी देनदारियों के समाधान के सम्बन्ध में गलत बयानी की गई होगी तो परियोजना के खाते को बंद करने की अनुमति के बाद भी प्रमोटर अपनी जिम्मदारियों से मुक्त नहीं होगा.'

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