लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन आने वाले प्राथमिक और जूनियर विद्यालयों की तस्वीर व उनकी मौजूदा स्थिति को बदलने के लिए करीब दो साल पहले कायाकल्प योजना की शुरुआत किया था. इस योजना के तहत प्रदेश के 30 हजार से अधिक बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों की मौजूदा स्थिति में बदलाव किया जाना है. प्रदेश सरकार का दावा है कि कायाकल्प योजना के तहत प्रदेश के विद्यालयों का विकास किया जा रहा है, पर इस योजना की वास्तविकता स्थिति यह है कि राजधानी जिसे प्रदेश में स्कूल मॉडल के तौर पर प्रस्तुत किया जाना है. यहीं पर ही स्कूलों की स्थिति बहुत ही खराब है. कायाकल्प योजना के तहत जो भी संसाधन स्कूलों में मुहैया कराए जाने थे, वे अभी तक स्कूलों में पहुंचे ही नहीं हैं.
बेसिक शिक्षा भवन के बगल वाले स्कूल की हालत खराब : राजधानी लखनऊ में बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के बगल में स्थित प्राथमिक विद्यालय जवाहर नगर की स्थिति बेहद खराब है. स्कूल में शौचालय के नाम पर केवल छात्राओं के लिए शौचालय है. छात्रों को बाहर खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है. स्कूल के चारों तरफ बाउंड्रीवॉल भी नहीं है. स्कूल के पीछे आसपास के लोगों ने कूड़ाघर बना रखा है. स्कूल के तरफ रास्ते पर भी कूड़े का ढेर लगा है.
जर्जर घोषित बिल्डिंग में चल रहा स्कूल : निगोहां के प्राइमरी स्कूल की हालत यह है कि यहां नौनिहालों को तमाम दुश्वारियों के बीच शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है. स्कूल की बिल्डिंग काफी जर्जर हो चुकी है. बारिश में छत टपकने लगती है. शेरपुर लवल गांव के प्राथमिक स्कूल की बिल्डिंग दो साल से जर्जर है. कमरों की कमी के कारण बच्चों को बाहर खुले में बैठकर पढ़ना पड़ रहा है. सरोजनीनगर के गिदा खेड़ा प्राथमिक विद्यालय की छत जर्जर हो चुकी है. स्कूल में तैनात शिक्षामित्रों के अनुसार बारिश में छत से पानी टपकता है. ऐसे में बड़ा हादसा कभी भी हो सकता है. स्कूल आने जाने का मार्ग भी सही नहीं है. बीते दिनों हुए बारिश के कारण कच्ची सड़क और झाड़ियों के बीच से बच्चों को आना जाना पड़ रहा है.
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि कायाकल्प योजना का सही से पालन नहीं किया जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम प्रधान बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं. कमोबेश यही स्थिति नगर क्षेत्र के विद्यालयों की भी है. जहां पर पार्षद पैसे का अभाव बताकर स्कूलों की स्थिति को सुधार नहीं करा रहे हैं. कायाकल्प के लिए जिन लोगों को जिम्मेदार बनाया गया है उनके प्राथमिकता में स्कूलों के विकास का एजेंडा, तीसरे या चौथे पायदान पर है. ऐसे में सरकार की ओर से करोड़ों खर्च करने के बाद भी स्कूलों की स्थिति में कुछ सुधार नहीं हो रहा है.ट
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