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UP Politics : अखिलेश यादव का ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ राम अचल कार्ड, बेंगलुरु बैठक से दिया पूर्वांचल को संदेश

समाजवादी पार्टी के मुखिया ने सुभासपा सुप्रीमो ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ राम अचल राजभर पर दांव लगाया है. बेंगलुरु बैठक में शामिल कराने के बाद अखिलेश यादव ने पूर्वांचल की पिछड़ी जातियों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि समाजवादी पार्टी ही पिछड़ी जातियों को संगठित करने के साथ उन्हें उचित सम्मान दिला सकती है.

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Published : Jul 20, 2023, 8:11 PM IST

अखिलेश यादव का ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ राम अचल कार्ड. देखें खबर

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर हर स्तर पर अपनी तैयारियों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. सुभासपा सुप्रीमो ओमप्रकाश राजभर के सपा गठबंधन से अलग होने के बाद अखिलेश यादव पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव वरिष्ठ सपा नेता राम अचल राजभर के सहारे राजभर बनाम राजभर का कार्ड खेल रहे हैं. राम अचल राजभर को उन्होंने बड़ी जिम्मेदारी देते हुए राजभर समाज को जोड़ने का फैसला किया है. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि राम अचल राजभर के सहारे समाजवादी पार्टी पूर्वांचल में पिछड़ी जातियों खासकर राजभर समाज के लोगों को जोड़ने का काम करेंगे.

अखिलेश यादव की रणनीति.
अखिलेश यादव की रणनीति.


दरअसल पूर्वांचल में कई जिलों में पिछड़ी जातियों खासकर अति पिछड़े समाज में राजभर बिरादरी का वोट बैंक अच्छी संख्या में हैं और यह चुनाव में बड़ी भूमिका निभाते हैं. यही कारण है कि 2017 के चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन से चुनाव लड़ने वाले ओमप्रकाश राजभर बाद में 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विवादों के चलते भाजपा से दूर हो गए थे. भाजपा नेतृत्व के खिलाफ राजभर ने जमकर बयानबाजी भी की थी. वर्ष 2022 में वह समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़े, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई. अब जब 2024 का लोकसभा चुनाव सामने है तो भाजपा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. इसीलिए ओमप्रकाश राजभर को एनडीए में शामिल कराने का काम खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया.

सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कही यह बात.
सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कही यह बात.


ऐसे में समझा जा सकता है कि राजभर समाज का वोट बैंक कितना महत्वपूर्ण है. इसीलिए हर कोई इस समाज के वोट बैंक को साधने के प्रयास कर रहा है. ओमप्रकाश राजभर जब सपा से अलग हुए तो अखिलेश यादव ने एक रणनीति के अंतर्गत अम्बेडकर नगर जिले से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ नेता विधायक व राष्ट्रीय महासचिव रामअचल राजभर पर दांव खेला है. उनको आगे करते हुए अखिलेश यादव ने पूर्वांचल में राजभर की काट करते हुए इनके माध्यम से वोट बैंक सहजने की कोशिश में लगे हुए हैं.

अखिलेश यादव का ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ राम अचल कार्ड.
अखिलेश यादव का ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ राम अचल कार्ड.

रामअचल राजभर उत्तर प्रदेश की राजनीति के महत्वपूर्ण नेताओं में शुमार रहे हैं. वह बसपा संस्थापक कांशीराम के सहयोगी से लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ लंबा राजनीतिक सफर भी तय कर चुके हैं. रामअचल राजभर बसपा सरकार में चार बार मंत्री रहे हैं. वे बसपा संगठन में कई राज्यों में प्रभारी और यूपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में वह साइकिल पर सवार हुए और विधानसभा चुनाव लड़कर विधायक फिर बने. इसके बाद अखिलेश यादव ने उन्हें राष्ट्रीय संगठन में राष्ट्रीय महासचिव बना दिया, लेकिन ओमप्रकाश राजभर के जाने के बाद उन्हें पूर्वांचल में अपने समाज के लोगों के बीच साइकिल की रफ्तार बढ़ाने की जिम्मेदारी दी है.

अखिलेश यादव का ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ राम अचल कार्ड.
अखिलेश यादव का ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ राम अचल कार्ड.


रामअचल राजभर अपनी राजभर बिरादरी के साथ ही दलित वर्ग में भी खासी पकड़ रखते हैं. वर्ष 2022 में अखिलेश यादव ने ने ओम प्रकाश राजभर को साथ जोड़कर गठबंधन किया, लेकिन इसका चुनाव में सपा जो फायदा हुआ. इसमें सबसे ज्यादा फायदा ओमप्रकाश राजभर को हुआ. उनके दल के छह विधायक बने और सपा के विधायक जीतने में भी राजभर समाज की बड़ी भूमिका रही है. सपा के साथ इस गठजोड़ से पूर्वांचल में भाजपा को काफी नुकसान हुआ. शायद यही वजह रही कि भाजपा ने एक बार फिर से ओम प्रकाश राजभर को अपने साथ जोड़ा है.


अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय महासचिव रामअचल राजभर को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जिलों में हो रहे कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यक्रमों की भी जिम्मेदारी दी है. पिछले दिनों हुए घटनाक्रम के चलते ओम प्रकाश राजभर ने भाजपा का दामन पकड़ा तो अखिलेश ने भी अपने सहयोगी रामअचल राजभर को बेंगलुरु विपक्षी एकता बैठक में शामिल कराकर उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री करा दी. अखिलेश यादव ने बेंगलुरु की बैठक में पूर्वांचल में ओम प्रकाश राजभर के मुकाबले रामअचल राजभर के माध्यम से लोकसभा चुनाव में इस समाज के वोट पर पकड़ बनाने की तैयारी का खाका भी पेश कर दिया है.

यह भी पढ़ें : यूपी के जिला अस्पतालों में लगेगी यह मशीनें, डिप्टी सीएम ने दिए निर्देश

अखिलेश यादव का ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ राम अचल कार्ड. देखें खबर

लखनऊ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर हर स्तर पर अपनी तैयारियों को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. सुभासपा सुप्रीमो ओमप्रकाश राजभर के सपा गठबंधन से अलग होने के बाद अखिलेश यादव पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव वरिष्ठ सपा नेता राम अचल राजभर के सहारे राजभर बनाम राजभर का कार्ड खेल रहे हैं. राम अचल राजभर को उन्होंने बड़ी जिम्मेदारी देते हुए राजभर समाज को जोड़ने का फैसला किया है. सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि राम अचल राजभर के सहारे समाजवादी पार्टी पूर्वांचल में पिछड़ी जातियों खासकर राजभर समाज के लोगों को जोड़ने का काम करेंगे.

अखिलेश यादव की रणनीति.
अखिलेश यादव की रणनीति.


दरअसल पूर्वांचल में कई जिलों में पिछड़ी जातियों खासकर अति पिछड़े समाज में राजभर बिरादरी का वोट बैंक अच्छी संख्या में हैं और यह चुनाव में बड़ी भूमिका निभाते हैं. यही कारण है कि 2017 के चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन से चुनाव लड़ने वाले ओमप्रकाश राजभर बाद में 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले विवादों के चलते भाजपा से दूर हो गए थे. भाजपा नेतृत्व के खिलाफ राजभर ने जमकर बयानबाजी भी की थी. वर्ष 2022 में वह समाजवादी पार्टी के साथ चुनाव लड़े, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई. अब जब 2024 का लोकसभा चुनाव सामने है तो भाजपा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. इसीलिए ओमप्रकाश राजभर को एनडीए में शामिल कराने का काम खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया.

सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कही यह बात.
सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा ने कही यह बात.


ऐसे में समझा जा सकता है कि राजभर समाज का वोट बैंक कितना महत्वपूर्ण है. इसीलिए हर कोई इस समाज के वोट बैंक को साधने के प्रयास कर रहा है. ओमप्रकाश राजभर जब सपा से अलग हुए तो अखिलेश यादव ने एक रणनीति के अंतर्गत अम्बेडकर नगर जिले से ताल्लुक रखने वाले वरिष्ठ नेता विधायक व राष्ट्रीय महासचिव रामअचल राजभर पर दांव खेला है. उनको आगे करते हुए अखिलेश यादव ने पूर्वांचल में राजभर की काट करते हुए इनके माध्यम से वोट बैंक सहजने की कोशिश में लगे हुए हैं.

अखिलेश यादव का ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ राम अचल कार्ड.
अखिलेश यादव का ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ राम अचल कार्ड.

रामअचल राजभर उत्तर प्रदेश की राजनीति के महत्वपूर्ण नेताओं में शुमार रहे हैं. वह बसपा संस्थापक कांशीराम के सहयोगी से लेकर बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ लंबा राजनीतिक सफर भी तय कर चुके हैं. रामअचल राजभर बसपा सरकार में चार बार मंत्री रहे हैं. वे बसपा संगठन में कई राज्यों में प्रभारी और यूपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव में वह साइकिल पर सवार हुए और विधानसभा चुनाव लड़कर विधायक फिर बने. इसके बाद अखिलेश यादव ने उन्हें राष्ट्रीय संगठन में राष्ट्रीय महासचिव बना दिया, लेकिन ओमप्रकाश राजभर के जाने के बाद उन्हें पूर्वांचल में अपने समाज के लोगों के बीच साइकिल की रफ्तार बढ़ाने की जिम्मेदारी दी है.

अखिलेश यादव का ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ राम अचल कार्ड.
अखिलेश यादव का ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ राम अचल कार्ड.


रामअचल राजभर अपनी राजभर बिरादरी के साथ ही दलित वर्ग में भी खासी पकड़ रखते हैं. वर्ष 2022 में अखिलेश यादव ने ने ओम प्रकाश राजभर को साथ जोड़कर गठबंधन किया, लेकिन इसका चुनाव में सपा जो फायदा हुआ. इसमें सबसे ज्यादा फायदा ओमप्रकाश राजभर को हुआ. उनके दल के छह विधायक बने और सपा के विधायक जीतने में भी राजभर समाज की बड़ी भूमिका रही है. सपा के साथ इस गठजोड़ से पूर्वांचल में भाजपा को काफी नुकसान हुआ. शायद यही वजह रही कि भाजपा ने एक बार फिर से ओम प्रकाश राजभर को अपने साथ जोड़ा है.


अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय महासचिव रामअचल राजभर को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जिलों में हो रहे कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यक्रमों की भी जिम्मेदारी दी है. पिछले दिनों हुए घटनाक्रम के चलते ओम प्रकाश राजभर ने भाजपा का दामन पकड़ा तो अखिलेश ने भी अपने सहयोगी रामअचल राजभर को बेंगलुरु विपक्षी एकता बैठक में शामिल कराकर उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में एंट्री करा दी. अखिलेश यादव ने बेंगलुरु की बैठक में पूर्वांचल में ओम प्रकाश राजभर के मुकाबले रामअचल राजभर के माध्यम से लोकसभा चुनाव में इस समाज के वोट पर पकड़ बनाने की तैयारी का खाका भी पेश कर दिया है.

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