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यूपी का माफियाराज: सनकी हत्यारा बिल्लू सांडा, संजू बाबा का जबरा फैन

उसका शौक है लोगो की हत्या करना, पश्चिमी यूपी का सबसे बड़ा डॉन बनने के लिए वो किसी भी हद तक गुजर सकता था. वो मजाकिया भी है, खतरनाक भी और हाथ में बंदूक आते ही दिमाग मे सवार हो जाती थी सनक. वो कहता था मेरा बाप बदमाश था और मैं भी बदमाश हूं. वो संजय दत्त का था जबराफैन जो बन गया पश्चिमी यूपी का सनकी हत्यारा.उसका नाम है गैंगस्टर बिल्लू सांडा. यूपी का माफिया राज में कहानी खतरनाक माफिया डॉन बिल्लू सांडा की.

up ka mafia raaj
यूपी का माफियाराज
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Published : May 8, 2022, 6:05 AM IST

Updated : May 9, 2022, 12:23 PM IST

लखनऊ: पश्चिमी यूपी का एक गैंगस्टर, पूरा नाम- नदीम उर्फ बिल्लू सांडा. उसका शौक था मर्डर करना, बिल्लू सांडा संजय दत्त को अपना गॉड फादर मानता है. यूपी के सहारनपुर जिले के मंडी कोतवाली इलाके के रहने वाले नदीम उर्फ बिल्लू सांडा के ऊपर 4 हत्या समेत अपहरण और लूट के 16 मुकदमे दर्ज है. चेहरे से भले ही बिल्लू सांडा खलनायक फ़िल्म के बिल्लू की तरह खतरनाक न दिखता हो लेकिन असल जिंदगी में उसने उस किरदार को हू-ब-हु उतार लिया था. बिल्लू सांडा जितना खतरनाक था उतना ही मज़ाकिया भी. बिल्लू को अगर कोई संजय दत्त या फिर खलनायक कह दे तो ठीक वैसे ही खुश होता था जैसे खलनायक फ़िल्म में संजय दत्त खुद को खलनायक कहते हुए हुआ करता था.

खतरनाक माफिया डॉन बिल्लू सांडा

संजय दत्त को माना गुरू
एक वक्त था जब बिल्लू सांडा मोहल्ले में अपने सनकी मिजाज के चलते किसी भी आते जाते को पीट देता था. बाप क्रिमिनल था इसलिए लोग उससे पंगा नहीं लेते थेे. यहां तक पुलिस भी उसे उतनी तवज्जो नहीं देती थी. लेकिन वो अटेंशन चाहता था, वो चाहता था किे न केवल आम लोग बल्कि पुलिस भी उसके नाम से कांपे. इसके लिए उसने संजय दत्त की फ़िल्म खलनायक देखी और संजय दत्त को बना लिया अपना गुरु.

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कहता था मेरा बाप बदमाश था और मैं भी बदमाश हूं.
बिल्लू सांडा एक बार मीडिया से बात कर रहा था. उस दौरान एक पत्रकार ने उससे ये पूछ लिया की उसे हत्या करने के लिए किससे प्रेरणा मिलती है, तो उसने बताया कि उसने खलनायक फ़िल्म देख कर हत्या करनी शुरू की थी. यही नहीं वो कहता था कि उसका बाप बदमाश था और वो भी बदमाश है. बिल्लू बताता है कि उसे हत्या करने का शौक है और इस शौक को पूरा करने में उसे बड़ा मजा आता था. यही नही उसकी माँ कहती थी कि जितनी मर्जी है उतनी हत्या करो लेकिन हमेशा कोर्ट में पेश हो जाया करना.
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हत्या करने में आता था मज़ा

4 हत्याओं को अंजाम देने वाला बिल्लू सांडा जितना मजाकिया है, उतना ही शातिर. पैसों के लिए हत्या करने में बिल्लू देर नहीं करता था. रियल लाइफ में खलनायक बनने चले बिल्लू ने एक के बाद एक 3 हत्याओं को अंजाम दिया तो पुलिस ने उसे धर दबोचा लेकिन ज्यादा दिन तक उसे जेल की सलाखें रोक न सकीं और जेल के अंदर रहते हुए उसने भागने की तारीख का ऐलान कर दिया और न केवल ऐलान किया बल्कि तीसरे दिन सलाखें तोड़ कर फरार हो गया. फरवरी 2015 में बिल्लू ने पहली हत्या को अंजाम दिया. उसने आलम नाम के चौकीदार की हत्या कर दी. महज 4 महीने बाद उसने 6 लाख की सुपारी लेकर 14 मई 2015 को इस्तिकार का मर्डर कर दिया. यही नहीं 1 महीने बाद ही उसने अहमद नाम के शख्स की हत्या कर दी. लेकिन इस बार वो पुलिस के हत्थे चढ़ गया.

जेल से भाग निकला शातिर बिल्लू

17 महीने बिल्लू सांडा ने जेल में गुजारे अब उसे जेल में बेचैनी होनी लगी थी. जेल में न उससे कोई मिलने आता और न ही कोई उसकी जमानत करवा रहा था. कहा जाता है कि बिल्लू की जब किसी ने जमानत नहीं करवाई तो वो खुद ही 4 जनवरी 2017 को पेशी पर ले जाने के दौराना हवालात की खिड़की तोड़ कर फरार हो गया. फिल्मी स्टाइल में सलाखें तोड़ कर भागे बिल्लू ने 5 और हत्याएं करने का मन बना लिया था. बिल्लू जिस व्यक्ति को फोन कर पैसों की डिमांड करता वो अगर डिमांड पूरी न करे तो उसे मौत के घाट उतार देता. इसी दौरान बिल्लू ने एक व्यापारी से 20 लाख की रंगदारी मांग ली और इसी रंगदारी के लालच ने उसे एक बार फिर पहुंचा दिया जेल की सलाखों के पीछे.

कैसे चढ़ा पुलिस के हत्थे?

दरअसल, 4 जनवरी 2017 को हवालात की खिड़की तोड़ कर भागने के बाद बिल्लू सांडा ने जब बिजनेसमैन से रंगदारी मांगी तो खबर पुलिस तक पहुंच गयी. पुलिस को यह पता था कि अगर रंगदारी नहीं मिली तो सनकी मिज़ाज का बिल्लू व्यापारी को मौत के घाट उतार देगा. ऐसे में उसे पकड़ने के लिए कुतुबशेर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने प्लान बनाया और सबदलपुर तिराहे पर उसे धर लिया. बिल्लू सांडा को मुठभेड़ में गिरफ्तार करने वाले तत्कालीन कुतुबशेर इंस्पेक्टर जितेंद्र कालरा बताते है कि "बिल्लू सांडा काफी शातिर था. यही नही उसे पैसों की हवस ने घेर रखा था. वो बताते है जब बिल्लू सदर हवालात से फरार हुआ था तब पूरी पुलिस फोर्स की नींद हराम हो गयी थी. इसका कारण था कि बिल्लू का बाहर रहने का मतलब है कि एक-दो और हत्यायें होना क्यों कि बिल्लू किसी योजना के तहत कोई हत्या नहीं करता था. बस उसे पैसों की जरूरत होती और न पूरी होने पर वो हत्या कर देता था". कालरा बताते है कि "तत्कालीन एसएसपी सहरानपुर भरत यादव ने जब बिल्लू को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए तो उनकी टीम ने ही बिल्लू को ट्रेस करना शुरू किया और जब उसने एक व्यापारी से रंगदारी मांगी तो हम लोगों ने एक टीम बना कर चक्रव्यूह तैयार किया और उसे गिरफ्तार कर लिया.

बिल्लू सांडा के मज़ाक पर पुलिसवाले भी लगाते ठहाके

बिल्लू सांडा खूंखार तो था लेकिन मजाकिया भी बहुत था. एक बार बिल्लू का सामना पुलिस से हुआ तो उसने एक दरोगा के ऊपर फायर कर दिया. हालांकि दरोगा बाल-बाल बच गया. गिरफ्तारी के बाद बिल्लू ने दरोगा को सॉरी बोला और कहा कि मन था इसलिए चला दी गोली, वो तो दरोगा साहेब की किस्मत अच्छी थी कि वो बच गए. यही नहीं वो खुद पुलिस अधिकारियों के हाथ से हथकड़ी निकाल कर कैसे भाग जाता था, उसकी कहानी भी मज़े लेकर सुनाता था. उसकी कहानियों पर पुलिस कर्मी भी ठहाके लगाने से खुद को रोक नहीं पाते थे. " इंसपेक्टर जितेंद्र बताते है कि "बिल्लू से जब हम लोग बात करते थे तो लगता ही नही था कि ये एक खुंखार अपराधी हो सकता है. उसका मजाक करने का लहजा, जिस इंस्पेक्टर को गोली मारी उससे सॉरी बोलना और फिल्मी डायलॉग मारना हर वो चीज उसे खास बनाती थी."

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खतरनाक माफिया डॉन बिल्लू सांडा

संजय दत्त को माना गुरू
एक वक्त था जब बिल्लू सांडा मोहल्ले में अपने सनकी मिजाज के चलते किसी भी आते जाते को पीट देता था. बाप क्रिमिनल था इसलिए लोग उससे पंगा नहीं लेते थेे. यहां तक पुलिस भी उसे उतनी तवज्जो नहीं देती थी. लेकिन वो अटेंशन चाहता था, वो चाहता था किे न केवल आम लोग बल्कि पुलिस भी उसके नाम से कांपे. इसके लिए उसने संजय दत्त की फ़िल्म खलनायक देखी और संजय दत्त को बना लिया अपना गुरु.

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कहता था मेरा बाप बदमाश था और मैं भी बदमाश हूं.
बिल्लू सांडा एक बार मीडिया से बात कर रहा था. उस दौरान एक पत्रकार ने उससे ये पूछ लिया की उसे हत्या करने के लिए किससे प्रेरणा मिलती है, तो उसने बताया कि उसने खलनायक फ़िल्म देख कर हत्या करनी शुरू की थी. यही नहीं वो कहता था कि उसका बाप बदमाश था और वो भी बदमाश है. बिल्लू बताता है कि उसे हत्या करने का शौक है और इस शौक को पूरा करने में उसे बड़ा मजा आता था. यही नही उसकी माँ कहती थी कि जितनी मर्जी है उतनी हत्या करो लेकिन हमेशा कोर्ट में पेश हो जाया करना.
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हत्या करने में आता था मज़ा

4 हत्याओं को अंजाम देने वाला बिल्लू सांडा जितना मजाकिया है, उतना ही शातिर. पैसों के लिए हत्या करने में बिल्लू देर नहीं करता था. रियल लाइफ में खलनायक बनने चले बिल्लू ने एक के बाद एक 3 हत्याओं को अंजाम दिया तो पुलिस ने उसे धर दबोचा लेकिन ज्यादा दिन तक उसे जेल की सलाखें रोक न सकीं और जेल के अंदर रहते हुए उसने भागने की तारीख का ऐलान कर दिया और न केवल ऐलान किया बल्कि तीसरे दिन सलाखें तोड़ कर फरार हो गया. फरवरी 2015 में बिल्लू ने पहली हत्या को अंजाम दिया. उसने आलम नाम के चौकीदार की हत्या कर दी. महज 4 महीने बाद उसने 6 लाख की सुपारी लेकर 14 मई 2015 को इस्तिकार का मर्डर कर दिया. यही नहीं 1 महीने बाद ही उसने अहमद नाम के शख्स की हत्या कर दी. लेकिन इस बार वो पुलिस के हत्थे चढ़ गया.

जेल से भाग निकला शातिर बिल्लू

17 महीने बिल्लू सांडा ने जेल में गुजारे अब उसे जेल में बेचैनी होनी लगी थी. जेल में न उससे कोई मिलने आता और न ही कोई उसकी जमानत करवा रहा था. कहा जाता है कि बिल्लू की जब किसी ने जमानत नहीं करवाई तो वो खुद ही 4 जनवरी 2017 को पेशी पर ले जाने के दौराना हवालात की खिड़की तोड़ कर फरार हो गया. फिल्मी स्टाइल में सलाखें तोड़ कर भागे बिल्लू ने 5 और हत्याएं करने का मन बना लिया था. बिल्लू जिस व्यक्ति को फोन कर पैसों की डिमांड करता वो अगर डिमांड पूरी न करे तो उसे मौत के घाट उतार देता. इसी दौरान बिल्लू ने एक व्यापारी से 20 लाख की रंगदारी मांग ली और इसी रंगदारी के लालच ने उसे एक बार फिर पहुंचा दिया जेल की सलाखों के पीछे.

कैसे चढ़ा पुलिस के हत्थे?

दरअसल, 4 जनवरी 2017 को हवालात की खिड़की तोड़ कर भागने के बाद बिल्लू सांडा ने जब बिजनेसमैन से रंगदारी मांगी तो खबर पुलिस तक पहुंच गयी. पुलिस को यह पता था कि अगर रंगदारी नहीं मिली तो सनकी मिज़ाज का बिल्लू व्यापारी को मौत के घाट उतार देगा. ऐसे में उसे पकड़ने के लिए कुतुबशेर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने प्लान बनाया और सबदलपुर तिराहे पर उसे धर लिया. बिल्लू सांडा को मुठभेड़ में गिरफ्तार करने वाले तत्कालीन कुतुबशेर इंस्पेक्टर जितेंद्र कालरा बताते है कि "बिल्लू सांडा काफी शातिर था. यही नही उसे पैसों की हवस ने घेर रखा था. वो बताते है जब बिल्लू सदर हवालात से फरार हुआ था तब पूरी पुलिस फोर्स की नींद हराम हो गयी थी. इसका कारण था कि बिल्लू का बाहर रहने का मतलब है कि एक-दो और हत्यायें होना क्यों कि बिल्लू किसी योजना के तहत कोई हत्या नहीं करता था. बस उसे पैसों की जरूरत होती और न पूरी होने पर वो हत्या कर देता था". कालरा बताते है कि "तत्कालीन एसएसपी सहरानपुर भरत यादव ने जब बिल्लू को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए तो उनकी टीम ने ही बिल्लू को ट्रेस करना शुरू किया और जब उसने एक व्यापारी से रंगदारी मांगी तो हम लोगों ने एक टीम बना कर चक्रव्यूह तैयार किया और उसे गिरफ्तार कर लिया.

बिल्लू सांडा के मज़ाक पर पुलिसवाले भी लगाते ठहाके

बिल्लू सांडा खूंखार तो था लेकिन मजाकिया भी बहुत था. एक बार बिल्लू का सामना पुलिस से हुआ तो उसने एक दरोगा के ऊपर फायर कर दिया. हालांकि दरोगा बाल-बाल बच गया. गिरफ्तारी के बाद बिल्लू ने दरोगा को सॉरी बोला और कहा कि मन था इसलिए चला दी गोली, वो तो दरोगा साहेब की किस्मत अच्छी थी कि वो बच गए. यही नहीं वो खुद पुलिस अधिकारियों के हाथ से हथकड़ी निकाल कर कैसे भाग जाता था, उसकी कहानी भी मज़े लेकर सुनाता था. उसकी कहानियों पर पुलिस कर्मी भी ठहाके लगाने से खुद को रोक नहीं पाते थे. " इंसपेक्टर जितेंद्र बताते है कि "बिल्लू से जब हम लोग बात करते थे तो लगता ही नही था कि ये एक खुंखार अपराधी हो सकता है. उसका मजाक करने का लहजा, जिस इंस्पेक्टर को गोली मारी उससे सॉरी बोलना और फिल्मी डायलॉग मारना हर वो चीज उसे खास बनाती थी."

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Last Updated : May 9, 2022, 12:23 PM IST
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