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5530 करोड़ से सुधरेगी प्रदेश में बिजली आपूर्ति व्यवस्था, गांवों में खर्च होंगे 1 हजार करोड़

उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था पटरी पर लाने के लिए भी सरकार ने बजट की व्यवस्था की है. इसके तहत बिजली आपूर्ति की दशा सुधारने के लिए 5,530 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे.

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5530 करोड़ की लागत से सुधरेगी बिजली की दशा
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Published : May 26, 2022, 5:01 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था पटरी पर लाने के लिए भी सरकार ने बजट की व्यवस्था की है. इसके तहत उत्तर प्रदेश में बिजली आपूर्ति की दशा सुधारने के लिए 5,530 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. केंद्र सरकार के सहयोग से रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम शुरू की जाएगी. इस स्कीम के तहत तीन सालों में विद्युत वितरण के क्षेत्र में व्यापक सुधार किए जाएंगे. लाइन हानियों में कमी लाए जाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार और राज्य सरकार कुल 31 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली योजना शुरू करेगी.


उत्तर प्रदेश सरकार के बजट में ऊर्जा और अतिरिक्त ऊर्जा विभाग को काफी बजट दिया गया है. बजट में कहा गया है कि वर्तमान में जिला मुख्यालयों पर 24 घंटे, तहसील मुख्यालयों पर 21 घंटे और गांवों को 21 घंटे बिजली दिए जाने के रोस्टर के एवज में 2021-22 के माह अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक ग्रामीण क्षेत्र में साढे़ 17 घंटे, तहसील क्षेत्र में 21 घंटे 11 मिनट और शहरी क्षेत्र में 23 घंटे 21 मिनट की आपूर्ति की गई है. गर्मी में ग्रामीण क्षेत्र में शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी. इसके लिए 1 हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था इस बजट में की गई है. इसके अलावा प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना 'सौभाग्य' के तहत गरीब परिवारों को नि:शुल्क और अन्य ग्रामीण परिवारों को 50 रुपये की 10 मासिक किस्तों में बिजली कनेक्शन देने की सुविधा बिजली विभाग की तरफ से दी जाएगी.

2019-20 में विद्युत उत्पादन 35079 मिलियन यूनिट, साल 2020 में विद्युत उत्पादन 23425 मिलियन यूनिट और साल 2021 में विद्युत उत्पादन 35 हजार 21 मिलियन यूनिट रहा है. ऊर्जा क्षेत्र में जो कार्य किए गए हैं उनमें 1 जनवरी 2022 से निजी नलकूप उपभोक्ताओं के बिजली कनेक्शन में 50 फीसदी छूट दी जा रही है. प्रदेश में स्थापित होने वाली तापीय उत्पादन परियोजनाओं, जिनमें घाटमपुर, ओबरा 'सी' और जवाहरपुर से उर्जा निकासी के लिए लगभग 61 हजार करोड़ रुपए के पारेषण परियोजनाओं का निर्माण पीपीपी मॉडल पर कराया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- योगी सरकार ने 6.10 लाख करोड़ का भारी भरकम बजट पेश किया

इनमें से लगभग 3,667 करोड़ रुपये की परियोजनाएं पूरी कर ली गई हैं. लगभग 2433 करोड़ रुपये की लागत की पारेषण परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं. बुंदेलखंड क्षेत्र में सौर विद्युत परियोजनाओं को बढ़ावा दिए जाने के उद्देश्य से 4 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर का निर्माण कराए जाने का फैसला लिया गया है. प्रदेश में अब तक 1819 मेगावाट क्षमता की यूटिलिटी स्केल सौर विद्युत परियोजनाएं स्थापित की गई हैं. प्रदेश सरकार ग्रिड संयोजित सोलर रूफटॉप परियोजनाओं की स्थापना को प्रोत्साहित कर रही है. उत्तर प्रदेश में अब तक 251 मेगावाट क्षमता की रूफटॉप सोलर पावर प्लांटों की स्थापना हुई है.

पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह की याद में बाबूजी कल्याण सिंह ग्राम उन्नति योजना के अंतर्गत प्रदेश के सभी गांवों की सड़कों पर सोलर स्ट्रीट लाइट की स्थापना कराई जाएगी. इसके लिए साढ़े 22 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है. प्रदेश में अपशिष्ट से जैव ऊर्जा के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नीति जारी की गई है. उल्लेखनीय है कि प्रदेश में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय वर्ष 2017-2018 से साल 2021 तक कुल 705 नए 33/11 केवी बिजली उपकेंद्र ऊर्जीकृत किए गए हैं और 1413 विद्युत उपकेंद्रों की क्षमता बढ़ाई गई है.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की बिजली व्यवस्था पटरी पर लाने के लिए भी सरकार ने बजट की व्यवस्था की है. इसके तहत उत्तर प्रदेश में बिजली आपूर्ति की दशा सुधारने के लिए 5,530 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. केंद्र सरकार के सहयोग से रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम शुरू की जाएगी. इस स्कीम के तहत तीन सालों में विद्युत वितरण के क्षेत्र में व्यापक सुधार किए जाएंगे. लाइन हानियों में कमी लाए जाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार और राज्य सरकार कुल 31 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली योजना शुरू करेगी.


उत्तर प्रदेश सरकार के बजट में ऊर्जा और अतिरिक्त ऊर्जा विभाग को काफी बजट दिया गया है. बजट में कहा गया है कि वर्तमान में जिला मुख्यालयों पर 24 घंटे, तहसील मुख्यालयों पर 21 घंटे और गांवों को 21 घंटे बिजली दिए जाने के रोस्टर के एवज में 2021-22 के माह अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक ग्रामीण क्षेत्र में साढे़ 17 घंटे, तहसील क्षेत्र में 21 घंटे 11 मिनट और शहरी क्षेत्र में 23 घंटे 21 मिनट की आपूर्ति की गई है. गर्मी में ग्रामीण क्षेत्र में शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी. इसके लिए 1 हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था इस बजट में की गई है. इसके अलावा प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना 'सौभाग्य' के तहत गरीब परिवारों को नि:शुल्क और अन्य ग्रामीण परिवारों को 50 रुपये की 10 मासिक किस्तों में बिजली कनेक्शन देने की सुविधा बिजली विभाग की तरफ से दी जाएगी.

2019-20 में विद्युत उत्पादन 35079 मिलियन यूनिट, साल 2020 में विद्युत उत्पादन 23425 मिलियन यूनिट और साल 2021 में विद्युत उत्पादन 35 हजार 21 मिलियन यूनिट रहा है. ऊर्जा क्षेत्र में जो कार्य किए गए हैं उनमें 1 जनवरी 2022 से निजी नलकूप उपभोक्ताओं के बिजली कनेक्शन में 50 फीसदी छूट दी जा रही है. प्रदेश में स्थापित होने वाली तापीय उत्पादन परियोजनाओं, जिनमें घाटमपुर, ओबरा 'सी' और जवाहरपुर से उर्जा निकासी के लिए लगभग 61 हजार करोड़ रुपए के पारेषण परियोजनाओं का निर्माण पीपीपी मॉडल पर कराया जा रहा है.

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इनमें से लगभग 3,667 करोड़ रुपये की परियोजनाएं पूरी कर ली गई हैं. लगभग 2433 करोड़ रुपये की लागत की पारेषण परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं. बुंदेलखंड क्षेत्र में सौर विद्युत परियोजनाओं को बढ़ावा दिए जाने के उद्देश्य से 4 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर का निर्माण कराए जाने का फैसला लिया गया है. प्रदेश में अब तक 1819 मेगावाट क्षमता की यूटिलिटी स्केल सौर विद्युत परियोजनाएं स्थापित की गई हैं. प्रदेश सरकार ग्रिड संयोजित सोलर रूफटॉप परियोजनाओं की स्थापना को प्रोत्साहित कर रही है. उत्तर प्रदेश में अब तक 251 मेगावाट क्षमता की रूफटॉप सोलर पावर प्लांटों की स्थापना हुई है.

पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह की याद में बाबूजी कल्याण सिंह ग्राम उन्नति योजना के अंतर्गत प्रदेश के सभी गांवों की सड़कों पर सोलर स्ट्रीट लाइट की स्थापना कराई जाएगी. इसके लिए साढ़े 22 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है. प्रदेश में अपशिष्ट से जैव ऊर्जा के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नीति जारी की गई है. उल्लेखनीय है कि प्रदेश में निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय वर्ष 2017-2018 से साल 2021 तक कुल 705 नए 33/11 केवी बिजली उपकेंद्र ऊर्जीकृत किए गए हैं और 1413 विद्युत उपकेंद्रों की क्षमता बढ़ाई गई है.

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