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दीनदयाल का सामाजिक जीवन समरसता और राष्ट्रभक्ति का अनुपम उदाहरण : राज्यपाल - यूपी राज्यपाल आनंदीबेन पटेल

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का ऑनलाइन उद्घाटन किया. संगोष्ठी का आयोजन दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ ने किया था. इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय का सामाजिक जीवन समरसता और राष्ट्रभक्ति का अनुपम उदाहरण है.

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया संगोष्ठी का आयोजन
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया संगोष्ठी का आयोजन
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Published : Feb 12, 2021, 8:03 PM IST

लखनऊ: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार को गोरखपुर विश्वविद्यालय में स्थापित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ की ओर से आयोजित अंतरर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का ऑनलाइन उद्घाटन किया. इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय सामान्य व्यक्ति, सक्रिय कार्यकर्ता और मौलिक विचारक के साथ-साथ समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री और दार्शनिक भी थे. एकात्म मानववाद व अंत्योदय के विचारों से उन्होंने देश को एक प्रगतिशील विचारधारा दी. उनका सामाजिक जीवन समरसता व राष्ट्रभक्ति का अनुपम उदाहरण है.

संगोष्ठी को किया संबोधित

दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ की ओर से 'पण्डित दीनदयाल का एकात्म मानवदर्शन, सतत् विकास का व्यवहार्य मार्ग' विषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. राज्यपाल ने कहा कि दीनदयाल ने दुनिया के समक्ष उपस्थित चुनौतियों से लड़ने के लिये जिस तत्व-चिन्तन को प्रस्तुत किया, उसे ‘एकात्म मानवदर्शन' के रूप में जाना जाता है. देश की आर्थिक समस्याओं पर उन्होंने गहन चिंतन किया था. इसीलिए उनका मानवतावादी दर्शन समस्त मानव मात्र के लिये कल्याणकारी था. उन्होंने ममता, समता और बन्धुत्व की भावना को प्रतिष्ठापित करने के लिये एकात्म मानववाद का दर्शन प्रस्तुत किया.

'गरीबों के प्रति थे समर्पित'

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रहित, चिन्तन, उच्च विचार, मानवीय मूल्य और सादगी सभी एक साथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व में जीवन्त रूप में देखने को मिलते थे. समाज में समता, ममता, बंधुत्व के प्रेरक और गरीबों के प्रति समर्पित थे. राष्ट्र के लिये समर्पित एक निष्काम कर्मयोगी के रूप में उनका जीवन उच्च आदर्शों और सादगी का अभूतपूर्व उदाहरण था.

लखनऊ: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शुक्रवार को गोरखपुर विश्वविद्यालय में स्थापित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ की ओर से आयोजित अंतरर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का ऑनलाइन उद्घाटन किया. इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय सामान्य व्यक्ति, सक्रिय कार्यकर्ता और मौलिक विचारक के साथ-साथ समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री और दार्शनिक भी थे. एकात्म मानववाद व अंत्योदय के विचारों से उन्होंने देश को एक प्रगतिशील विचारधारा दी. उनका सामाजिक जीवन समरसता व राष्ट्रभक्ति का अनुपम उदाहरण है.

संगोष्ठी को किया संबोधित

दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ की ओर से 'पण्डित दीनदयाल का एकात्म मानवदर्शन, सतत् विकास का व्यवहार्य मार्ग' विषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. राज्यपाल ने कहा कि दीनदयाल ने दुनिया के समक्ष उपस्थित चुनौतियों से लड़ने के लिये जिस तत्व-चिन्तन को प्रस्तुत किया, उसे ‘एकात्म मानवदर्शन' के रूप में जाना जाता है. देश की आर्थिक समस्याओं पर उन्होंने गहन चिंतन किया था. इसीलिए उनका मानवतावादी दर्शन समस्त मानव मात्र के लिये कल्याणकारी था. उन्होंने ममता, समता और बन्धुत्व की भावना को प्रतिष्ठापित करने के लिये एकात्म मानववाद का दर्शन प्रस्तुत किया.

'गरीबों के प्रति थे समर्पित'

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रहित, चिन्तन, उच्च विचार, मानवीय मूल्य और सादगी सभी एक साथ पंडित दीनदयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व में जीवन्त रूप में देखने को मिलते थे. समाज में समता, ममता, बंधुत्व के प्रेरक और गरीबों के प्रति समर्पित थे. राष्ट्र के लिये समर्पित एक निष्काम कर्मयोगी के रूप में उनका जीवन उच्च आदर्शों और सादगी का अभूतपूर्व उदाहरण था.

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