लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चलने वाली सरकारी एंबुलेंस सेवा को लेकर शासन बड़ा बदलाव कर सकता है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के मुताबिक, शासन ने सरकारी एंबुलेंस सेवा को अपने हाथों में लेने की कवायद शुरू कर दी है. एंबुलेंस सेवा को लेकर शासन स्तर के सभी जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को एक पत्र लिखा गया है. मुख्य चिकित्सा अधिकारी लखनऊ संजय भटनागर ने बताया कि एंबुलेंस सेवा के संदर्भ में शासन स्तर से एक पत्र प्राप्त हुआ है, जिसको लेकर विभाग में मंथन चल रहा है.
वर्तमान में निजी हाथों में है एंबुलेंस सेवा
वर्तमान में उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस सेवा निजी कंपनी जीवीकेईएमआरआई (JVKEMRI) के कंधों पर है, लेकिन कंपनी और सरकार के बीच में सामंजस्य नहीं बैठ पा रहा है. इसको लेकर दोनों के बीच में खींचतान चल रही है. इसी बीच शासन स्तर पर एंबुलेंस सेवा को विभाग के हाथों में देने की तैयारियां हो रही है.
शासन स्तर पर तैयार हो रहा प्लान
एंबुलेंस सेवा को अपने हाथों में लेने के लिए शासन स्तर पर एक प्लान तैयार किया गया. इस प्लान के तहत हर जिले में एक कॉल सेंटर का निर्माण किया जाएगा. कॉल सेंटर को प्रभावी बनाने के लिए बीएसएनएल से मदद ली जाएगी. जिले में एंबुलेंस सेवा को प्रभावी बनाने के लिए एंबुलेंस सेवा प्रबंध दल का गठन किया जाएगा. इसमें टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, फ्लीट प्रबंधक और समन्वयक को तैनात किया जाएगा. एंबुलेंस के लिए ड्राइवरनव इमरजेंसी टेक्नीशियन को मैन पावर एजेंसी से हायर किया जाएगा. एंबुलेंस सेवा को प्रभावी बनाने के लिए जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को नोडल बनाया जा सकता है.
पूरे प्रदेश में फैला है एंबुलेंस का जाल
एंबुलेंस की सेवा उपलब्ध कराने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में एंबुलेंस का जाल फैला हुआ है. प्रदेश में इमरजेंसी एंबुलेंस सेवा 108 के 2200 एंबुलेंस वाहन, नवजात व प्रसूता को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस सेवा 102 की 2217 एंबुलेंस वाहन और लाइफ सपोर्ट 250 एंबुलेंस वाहन संचालित हैं. इन सभी एंबुलेंस के संचालन की जिम्मेदारी निजी कंपनी के हाथों में है, लेकिन अब परिवर्तन के बाद इन सभी एंबुलेंस का संचालन सरकारी तंत्र की मदद से किया जाएगा.